लोकसभा में पास हुआ डेटा प्रॉटेक्शन बिल, जान लीजिए इससे जुड़ी आपके काम की सभी बातें

नई दिल्ली: विपक्ष के तमाम विरोध के बावजूद सोमवार को लोकसभा में डिजिटल निजी डेटा संरक्षण बिल पास हो गया। सदन में यह बिल हंगामे के बीच पास किया गया। दरअसल, विपक्ष गोपनीयता से जुड़े मुद्दे और निजता के मौलिक अधिकार के उल्लंघन को लेकर लगातार विरोध करता रहा है। सोमवार को बिल को सदन में चर्चा और पास होने के लिए लाए जाने पर भी विपक्ष ने विरोध किया। दरअसल, इसमें RTI कानून की धारा 8(1)(J) में संशोधन का प्रस्ताव भी है। इस पर विपक्ष का कहना है कि इससे RTI कानून कमजोर होगा।विपक्षी सांसदों ने बिल को संसदीय समिति के पास भेजने की मांग भी की। TMC सांसद सौगत राय, कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी और AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बिल का खासा विरोध किया। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी का कहना था कि इस बिल के जरिए सरकार सूचना के अधिकार कानून को कुचलना चाहती है। इस बिल को चर्चा के लिए स्टैंडिंग कमिटी के पास भेजा जाना चाहिए।दूसरी ओर बिल को सदन में रखते हुए केंद्रीय संचार और सूचना तकनीक मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि यह बिल देश के 140 करोड़ लोगों के डिजिटल निजी डेटा की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। आज पूरी दुनिया में डिजिटल इंडिया की चर्चा चल रही है और दुनिया के कई देश इसे अपनाना चाहते हैं। चाहे डिजिटल भुगतान प्रणाली हो, आधार की व्यवस्था हो या फिर डिजिटल लॉकर हो।Greater Noida: डेटा स्क्रैप कर चीन भेजने से सरकार को लगाई 500 करोड़ की चपत, नोएडा का बड़ा फर्जीवाड़ा जानिए90 करोड़ भारतीय इंटरनेट से जुड़ेवैष्णव का कहना था कि 90 करोड़ भारतीय इंटरनेट से जुड़ गए हैं। 4जी, 5जी और भारतनेट के माध्यम से छोटे-छोटे गांव तक डिजिटल सुविधा पहुंच गई है। वहीं बिल पर चर्चा के दौरान विपक्ष द्वारा हो रहे हंगामे पर निशाना साधते हुए वैष्णव ने कहा कि अच्छा होता कि विपक्षी सदस्य इस अहम बिल पर चर्चा करते, लेकिन विपक्ष को देश के लोगों और उनके अधिकारों की कोई चिंता नहीं है। इन्हें सिर्फ नारे लगाने हैं, चर्चा में इनकी कोई रुचि नहीं है।बिल की खास बातें- डेटा के गलत इस्तेमाल होने पर न्यूनतम 50 करोड़ और अधिकतम 250 करोड़ तक का जुर्माना हो सकता है- डेटा का गलत इस्तेमाल न हो, इसके लिए कानूनी फ्रेमवर्क तैयार किया गया है- इस पर निगरानी के लिए डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड भी होगा- अगर कोई कंपनी किसी व्यक्ति का पर्सनल डेटा चाहती है, तो उसे उस यूजर को इस बारे में पहले से बताना होगा कि वो ऐसा क्यों कर रहे हैं- डेटा इकट्ठा करने वाली कंपनियों पर ही इसे सुरक्षित बनाए रखने की जवाबदेही भी होगी।- डेटा तभी तक स्टोर किया जा सकेगा, जब तक जरूरी हो। इसके बाद डेटा डिलीट करना होगा, उसे सर्वर से भी डेटा हटाना होगा- देश में सोशल मीडिया कंपनियां और गेमिंग कंपनियां बड़े पैमाने पर बच्चों का डेटा स्टोर कर रही हैं। इसके लिए अब पैरंट्स से मंजूरी लेनी होगी- डेटा ट्रांसफर मित्र देशों में ही किया जा सकता है- डेटा ट्रांसफर और उसकी प्रोसेसिंग के कर्मशल इस्तेमाल पर कई तरह की रोक भी होगीयह बिल लागू होने के बाद देश के लोगों के प्राइवेसी से जुड़े अधिकारों को और मजबूत बनाएगा। इससे जुड़ी नीतियों और शिकायत के निपटारे के साथ-साथ सुरक्षा उपायों को अपनाना इसकी अहम शर्तें हैं – मनीष सहगल, पार्टनर, रिस्क एडवाइजारी, डेलॉयट इंडिया