खुद ने चुकाया पार्टी का पूरा बिलवेदांता के चेयरमैन ने कहा, ‘जब धीरूभाई पार्टी से चले गए तो मैं बड़ा चौड़ा होकर चल रहा था। सब लोग बातें कर रहे थे कि मेरी कितनी ऊपर तक जान-पहचान है। जब मैं पार्टी का बिल पे करने के लिए काउंटर पर गया तो पता चला कि बिल का पेमेंट तो हो चुका है। मैंने पूछा किसने किया है पमेंट तो पता चला कि धीरूभाई मेरी कॉकटेल पार्टी का पेमेंट कर चुके थे।’ अनिल अग्रवाल बोले, ‘धीरूभाई अंबानी ने मुझे इस तरह एक बहुत बड़ा चांस दिया था।’ इस पार्टी के बाद अग्रवाल को 50 लाख रुपये का लोन भी मिल गया। उन्होंने कहा कि जो बड़े लोग होते हैं, उनके हर एक्शन में आपको बड़प्पन देखने को मिल जाता है।धीरूभाई ने ऐसे की मददअग्रवाल ने आगे बताया, ‘मैं दोबारा हेल्थ क्लब गया। यहां मैंने धीरूभाई को पूरी बात बताई। मैंने बताया कि मुधे सिंडिकेड बैंक से लोन की जरूरत है और मैंने उससे कहा है कि कल कॉकटेल पार्टी में धीरूभाई भी आएंगे। यह सुनकर धीरूभाई बोले कि तू बहुत बदमाश है। इसके बाद वे बिना कुछ बोले वहां से चले गए। अब मुझे चिंता हो रही थी कि धीरूभाई आएंगे कि नहीं। लेकिन आप विश्वास नहीं करेंगे, धीरूभाई पार्टी में पहुंचे। उन्होंने सब से हाथ मिलाया और 10-15 मिनट वहां रहे।’50 लाख के लोन के लिए लगाया जुगाड़अनिल अग्रवाल को उस समय अपने बिजनस के लिए 50 लाख रुपये के लोन की जरूरत थी। वे सिंडिकेट बैंक से लोन के लिए बात कर रहे थे। लेकिन बात बन नहीं रही थी। फिर अग्रवाल ने एक घांसू आइडिया लगाया। वे कहते हैं, ‘सिंडिकेट बैंक का चेयरमैन उस समय रघुपति था। मैं रघुपति से बोला कि कल मैंने एक कॉकटेल पार्टी रखी है। आप आइएगा। इस पर चेयरमैन ने कहा कि उसके पास टाइम नहीं है। फिर मैने उसे बताया कि इस पार्टी में कल धीरूभाई अंबानी भी आएंगे। चेयरमैन इसके बाद पार्टी में आने को तैयार हो गया।’ खास बात यह थी कि अग्रवाल ने तब तक धीरूभाई को इनवाइट भी नहीं किया था।ओबेरॉय हेल्थ क्लब के कोने में जा बैठे वेदांता चेयरमैनवेदांता चेयरमैन कहते हैं कि जब वे साल 1977-79 में मुंबई आए, तो सक्सेसफुल लोगों में एक ही व्यक्ति का नाम छाया रहता था। वे थे धीरूभाई अंबानी। उन्होंने कहा, ‘धीरूभाई उस जमाने के देश में सबसे सक्सेसफुल व्यक्ति थे। इसलिए मुझे उनसे मिलना था। लेकिन पता नहीं था कि कैसे मिला जाए। मैंने जानकारी जुटाई तो पता चला कि धीरूभाई ओबेरॉय के हेल्थ क्लब में जाते हैं। धीरूभाई की उपस्थिति में वहां जाना काफी मुश्किल था। फिर मैंने कोशिश की और कहा कि मुझे पीछे एक कोने में बिठा दो, तो उन्होंने मुझे उनके आने से पहले ही एक कोने में जगह दे दी।’ अग्रवाल ने आगे बताया, ‘धीरूभाई वहां आए। तब वे जाने को हुए तो मैं धीरे से बोला कि धीरूभाई जी आपको मैं एक बिहारी जोक सुनाऊं। वे मुस्कुराए और कहा कि तुम कल फिर आना। मैंने कहा-ठीक है।’