नयी दिल्ली 17 जून (भाषा) दवा निर्माता कंपनी वीनस रेमेडीज ने फ्रांस की कंपनी एससीआर फार्माटॉप के साथ पैरासिटामोल दवा के पेटेंट अधिकार को लेकर दस वर्षों चली आ रही लड़ाई को आखिरकार जीत लिया। भारतीय दवा कंपनी ने देश में पेरासिटामोल समाधान के निर्माण में किसी भी पेटेंट अधिकार की बाधा को दूर करने के लिए कानूनी लड़ाई शुरू की थी। वीनस रेमेडीज ने बृहस्पतिवार को एक बयान में कहा कि इंजेक्शन के रूप में दी जाने वाली पेरासिटामोल (इंट्रावेनस) तपन और बुखार जैसी बीमारियों में काफी असरदार साबित होती है। इस दवा पर से पेटेंट बाधा को दूर करना मौजूदा कोविड-19 महामारी से जूझ रहे देश में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के लिए एक अच्छा घटनाक्रम है। भारतीय पेटेंट कार्यालय ने चार जून के अपने फैसले में भारतीय दवा कंपनी के पक्ष में अपना निर्णय सुनाया और पेटेंट को वापस लेने के अपने निर्णय को बरकरार रखा। कंपनी के अध्यक्ष सारांश चौधरी ने कहा, ‘‘हमारा प्रयास यह सुनिश्चित करना था कि इंट्रावेनस पेरासिटामोल जैसी महत्वपूर्ण दवाएं हमारे देश में आम जनता के लिए किफायती कीमतों पर सामान्य रूप से निर्मित और सुलभ होती रहें। विशेष कर कोरोना के इस मुश्किल दौर में।’’ गौरतलब है कि वीनस रेमेडीज ने वर्ष 2011 में पेटेंट का विरोध किया था। इसके बाद पेटेंट 2018 में वापस ले लिया गया था। हालांकि, एससीआर फार्माटॉप ने बाद में दिल्ली उच्च न्यायालय और बौद्धिक संपदा अपीलीय बोर्ड (आईपीएबी) का रुख किया था। हिमाचल के बद्दी स्थित वीनस रेमेडीज 70 से अधिक देशों में उपस्थिति के साथ दुनिया के अग्रणी पेरासिटामोल इंजेक्शन विनिर्माताओं में से एक है।