नयी दिल्ली, 20 जून (भाषा) पर्सनल कंप्यूटर के क्षेत्र में क्रांति लाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट के चेयरमैन बनाए गए भारतीय मूल के सत्य नडेला को क्रिकेट का शौक जुनून की हद तक है, नयी चीजें सीखने की ललक ऐसी कि जितने ऑनलाइन कोर्स कर पाते हैं, उससे कहीं ज्यादा में नाम लिखवाते हैं, पढ़ने की चाह इतनी कि जितनी किताबें पढ़ पाते हैं, उससे कहीं ज्यादा खरीदते हैं और आगे बढ़ने की जिद ऐसी कि दुनिया की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी में सबसे बड़े ओहदे पर पहुंच चुके हैं। बिल गेट्स ने 1975 में पॉल एलन के साथ माइक्रोसॉफ्ट की स्थापना की और दुनिया भर में पर्सनल कंप्यूटर में क्रांति का चेहरा बने। सत्य नडेला ने पिछले 30 साल में माइक्रोसॉफ्ट को नयी बुलंदियों तक पहुंचाने का काम किया और इसी का नतीजा है कि वह कंपनी के इतिहास के तीसरे चेयरमैन बनाए गए हैं। इससे पहले उन्हें 2014 में जब कंपनी का सीईओ बनाया गया था तो उनके करोड़ों रुपये के वेतन का जिक्र करते हुए अखबारों के पहले पन्ने पर खबरें छपी थीं, जिनमें कहा गया था, ‘‘भारतीय मूल के इंजीनियर सत्य नडेला टेक्नोलॉजी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी माइक्रोसॉफ्ट की उस कुर्सी पर बैठेंगे जिस पर कभी बिल गेट्स बैठा करते थे।’’ सत्य नारायण नडेला का जन्म हैदराबाद के अनंतपुर जिले के उच्च शिक्षाप्राप्त तेलुगु परिवार में 19 अगस्त 1967 को हुआ था। उनकी मां संस्कृत की व्याख्याता और पिता प्रशासनिक सेवा में अधिकारी थे। सत्या ने अपनी स्कूली शिक्षा बेगमपेट के हैदराबाद पब्लिक स्कूल से पूरी करने के बाद वर्ष 1988 में कर्नाटक के मणिपाल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। आगे की पढ़ाई के लिए वह अमेरिका चले गए और उन्होंने विस्कॉन्सिन यूनिवर्सिटी से मास्टर ऑफ साइंस और शिकागो यूनिवर्सिटी से एमबीए की पढ़ाई पूरी की। ‘क्लाउड गुरू’ कहलाने वाले नडेला ने 1990 में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद कुछ समय सन माइक्रोसिस्टम के साथ काम किया और 1992 में युवा इंजीनियर के तौर पर माइक्रोसॉफ्ट से जुड़े तथा एक के बाद एक कई बड़ी उपलब्धियां हासिल कीं। तब कौन जानता था कि यह भोला सा चेहरा एक दिन बिल गेट्स की ही तरह माइक्रोसॉफ्ट का हस्ताक्षर बन जाएगा। वर्ष 2000 में उन्हें माइक्रोसॉफ्ट सेंट्रल का उपाध्यक्ष बनाया गया। उसके बाद उन्होंने कंपनी में कई बड़ी जिम्मेदारियां संभालीं और 2014 में सीईओ के पद पर पहुंचे। इस दौरान विंडो सर्वर, डेवलपर्स टूल, अज़ूर को विकसित करने में नडेला ने अहम भूमिका निभाई। हालांकि उनकी एक और पहल ‘‘बिंग’’ को उतनी सफलता नहीं मिल पाई।माइक्रोसॉफ्ट में सफलता की सीढ़ियां चढ़ने के दौरान उन्हें 2019 में फाइनेंशियल टाइम्स पर्सन ऑफ द ईयर के अवार्ड से नवाजा गया और 2020 में वह ग्लोबल इंडियन बिजनेस आइकन चुने गए। नडेला के पारिवारिक जीवन की बात करें तो उन्होंने 1992 में दो बड़े काम किए, एक तो माइक्रोसॉफ्ट में नौकरी और दूसरा अपने बचपन की दोस्त अनुपमा से शादी। नडेला के पिता की तरह अनुपमा के पिता भी भारतीय प्रशासनिक सेवा में अधिकारी रहे और दोनों आपस में दोस्त भी हैं। नडेला और अनुपमा के तीन बच्चे हैं जो अपने परिवार के साथ वाशिंगटन में रहते हैं।