नयी दिल्ली, 22 जून (भाषा) केंद्रीय बिजली सचिव आलोक कुमार ने मंगलवार को कहा कि सरकार और उद्योग को यह सुनिश्चित करने के लिये मिलकर काम करना चाहिए कि मौजूदा नियम-कानून निवेश के रास्ते में बाधा उत्पन्न नहीं करे। उन्होंने सार्वजिक क्षेत्र की बिजली कंपनी एनटीपीसी द्वारा ‘ऑनलाइन’ आयोजित दो दिवसीय ब्रिक्स ग्रीन हाइड्रोजन शिखर सम्मेलन में यह बात कही। एनटीपीसी ने कुमार के हवाले से एक बयान में कहा, ‘‘सरकार और उद्योग को यह सुनिश्चित करने के लिये मिलकर काम करने की आवश्यकता है कि नियम-कानून निवेश के रास्ते में अनावश्यक बाधा न हों।’’ उन्होंने कहा कि बड़ी मात्रा में हाइड्रोजन के सुरक्षित परिवहन और भंडारण तथा उत्पत्ति के उपयुक्त प्रमाण पत्र को लेकर सामान्य अंतरराष्ट्रीय मानकों से व्यापार को लाभ होगा। सचिव ने कहा कि ब्रिक्स देश इन पहलुओं पर मिलकर काम कर सकते हैं। कुमार ने कहा, ‘‘भारत ने प्रतिस्पर्धी तरीके से हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के लिये महत्वकांक्षी राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन शुरू किया है। इसके तहत निजी क्षेत्र से जुड़े उर्वरकों / रिफाइनरियों के लिए हरित हाइड्रोजन की खरीद अनिवार्य होगी।’’ इस मौके पर एनटीपीसी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक गुरदीप सिंह ने कहा, ‘‘पांच ब्रिक्स देश सतत विकास और समावेशी आर्थिक विकास का एक साझा दृष्टिकोण रखते हैं। ब्रिक्स देशों के एजेंडे में ऊर्जा सहयोग को मजबूत करना और सभी के लिए सस्ती, विश्वसनीय, सुलभ और सुरक्षित ऊर्जा सुनिश्चित करना हमेशा से महत्वपूर्ण रणनीतिक क्षेत्र रहा है।’’ ब्रिक्स देशों में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। सिंह ने कहा कि भारत हाइड्रोजन के बड़े स्तर पर अपनाने से न केवल हाइड्रोकार्बन ईंधन पर अपनी आयात निर्भरता को कम करेगा, बल्कि अपने नागरिकों को स्वच्छ हवा भी प्रदान करने के साथ ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाएगा और देश के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण को पूरा करेगा।’’ ‘ऑनलाइल’ कार्यक्रम में ब्रिक्स में शामिल सभी देशों के विशेषज्ञों ने विषय पर अपने विचार रखे और अस क्षेत्र में अपने-अपने देशों में हो रही ताजा गतिविधियों की जानकारी दी।