नई दिल्ली: दिग्गज माइनिंग किंग और अरबपति कारोबारी अनिल अग्रवाल (Anil Agarwal) ने सरकार के खिलाफ बड़ी जीत हासिल की है। वेदांता (Vedanta) के मालिक अनिल अग्रवाल ने 9545 करोड़ के मामले में बड़ी जीत हासिल की है। वेदांता ने 9545 करोड़ की लागत स्वीकार नहीं करने के मामले में सरकार के खिलाफ मध्यस्थता का केस जीत लिया है। दरअसल सरकार ने वेदांता के राजस्थान ऑयल एंड गैस फील्ड्स से अधिक भुगतान की मांग की थी, जबकि अनिल अग्रवाल की कंपनी ने कहा था कि उसने 9545 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।क्या है पूरा मामलाखनन कारोबारी अनिल अग्रवाल की अगुवाई वाली वेदांता लिमिटेड ने 1.16 अरब डॉलर की लागत को स्वीकार नहीं करने के मामले में सरकार के खिलाफ मध्यस्थता का मुकदमा जीत लिया है। सरकार ने कंपनी के राजस्थान तेल और गैस क्षेत्रों से अधिक भुगतान की मांग की थी। दूसरी ओर वेदांता ने कहा था कि कुछ निश्चित लागत में 9,545 करोड़ रुपये खर्च हुए। सरकार ने तेल ब्लॉक की कुछ लागत को फिर से आवंटित करने और राजस्थान ब्लॉक से उत्पादित तेल के लिए पाइपलाइन बिछाने पर आने वाली लागत के एक हिस्से को अस्वीकार कर दिया था। ऐसे में अतिरिक्त लाभ पेट्रोलियम (या तेल और गैस क्षेत्रों में इसका हिस्सा) की मांग की गई।समझौते के अनुसार, कंपनी को सरकार के साथ तय अनुपात में लाभ बांटने से पहले सभी लागत को वसूलने की अनुमति दी जाती है। यदि लागत के एक हिस्से को नकार दिया जाता है, तो इसके चलते अधिक मुनाफा होगा और सरकार को ज्यादा हिस्सा मिलेगा। वेदांता ने इस मांग को मध्यस्थता न्यायाधिकरण के समक्ष चुनौती दी थी। वेदांता ने शेयर बाजार को बताया, ”कंपनी को 23 अगस्त, 2023 को एक मध्यस्थता आदेश मिला है। कंपनी ने हालांकि मध्यस्थता फैसले का अधिक विवरण नहीं दिया और कहा कि वह फैसले की समीक्षा कर रही है और इसके वित्तीय प्रभाव का मूल्यांकन किया जा रहा है। वेदांता ने अपनी ताजा वार्षिक रिपोर्ट में बताया था कि इसका वित्तीय प्रभाव 9,545 करोड़ रुपये तक का है।