हाइलाइट्सकोरोना काल में सेकेंड हैंड व्हीकल की खरीद-बिक्री खूब हो रही हैऐसे में लोग चोरी के वाहन भी बेच कर खूब पैसे बना रहे हैंग्रामीण और दूर दराज के इलाके में तो पता भी नहीं चलता और लोग ठगे जाते हैंअब गांव में ही पता चल जाएगा कि यह व्हीकल मालिक बेच रहा है या चोर बेच रहा हैनई दिल्लीकोरोना काल में सेकेंड हैंड व्हीकल (Secondhand Car) की खरीद-बिक्री खूब हो रही है। ऐसे में लोग चोरी के वाहन भी बेच कर खूब पैसे बना रहे हैं। ग्रामीण और दूर दराज के इलाके में तो पता भी नहीं चलता और लोग ठगे जाते हैं। अब गांव में ही पता चल जाएगा कि यह व्हीकल (Used Vehicle) मालिक बेच रहा है या चोर बेच रहा है। इसके लिए नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (NCRB) और कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) में करार हुआ है।लोगों को सेकेंड हैंड व्हीकल (Used Car) खरीदने में परेशानी नहीं हो, इसके लिए केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (IT Ministry) के तहत काम करने वाले कॉमन सर्विस सेंटर ने गृह मंत्रालय (Home Ministry) के निकाय नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ( NCRB ) के साथ करार किया है। इसके तहत देश भर में मौजूद कॉमन सर्विस सेंटर के करीब चार लाख केंद्रों के माध्यम से सेकेंड हैंड गाड़ी खरीदने वालों को उस व्हीकल के बारे में पूरी जानकारी दी जाएगी।सीएससी से मिलेगा एनओसीवैसे तो नियम है कि सेकेंड हैंड व्हीकल खरीदने के लिए एनसीआरबी से एनओसी लिया जाए। पर गांवों या दूररदाज के इलाकों में ऐसा होता नहीं है। दरअसल, सब जगह एनसीआरबी का दफ्तर भी नहीं है। इसलिए एनसीआरबी ने सीएससी से करार किया है, क्योंकि इसकी पहुंच देश के गांव-गांव तक है। इस करार का शुभारंभ केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के निदेशक और केंद्रीय गृह मंत्रालय तथा नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति मैं कल किया।यह भी पढ़ें: Money Making Tips: अमीर बनना है तो बस इन 3 टिप्स को दिमाग में बैठा लें, कम उम्र में ही बरसने लगेगी दौलत!कैसे मिलेगी एनओसीइस सेवा के माध्यम से पुरानी गाड़ी खरीदने वाले अपने नजदीक के कॉमन सर्विस सेंटर में जाकर खरीदे जाने वाले वाहन से संबंधित नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट को हासिल कर पाएंगे। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने सभी राज्य सरकारों को अनुरोध किया है कि वह सीसीटीएनएस सर्विस को डिजिटल सेवा पोर्टल के साथ लिंक करें। इससे कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से आम नागरिकों को यह सेवा उपलब्ध कराने में सहायता मिलेगी।बढ़ रहा है सेकेंड हैंड व्हीकल का बाजारकॉमन सर्विस सेंटर के प्रबंध निदेशक दिनेश त्यागी का कहना है कि भारत में पुरानी गाड़ियों का बाजार बढ़ रहा है। शहरों में ही नहीं, गांवों में भी लोग निजी और व्यवसायिक वाहनों को बड़ी संख्या में खरीद रहे हैं। ऐसे में कॉमन सर्विस सेंटर लोगों को तेजी से पुरानी गाड़ियों की खरीद के लिए नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट उपलब्ध करा सकता है। विशेष कर ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगों को इसका बड़ा लाभ मिलेगा। नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट यह भी बताएगा कि गाड़ी बेचने से पहले कहीं उसका किसी पुलिस रिकॉर्ड में कोई उल्लेख तो नहीं है।यह भी पढ़ें: Sovereign Gold Bond: दिवाली से पहले सस्ता सोना खरीदने का सुनहरा मौका, जानिए कैसे और कहां से मिलेगा!क्यों जरूरी है एनओसीजब कोई व्यक्ति पुराने मोटर वाहन खरीदता है तो उसे नजदीक के परिवहन विभाग से अपने नाम कराता है। उस समय भी रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस या आरटीओ गाड़ी के ट्रांसफर पेपर बनाने से पहले नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट हासिल करता है। जिससे यह पता चले कि वह गाड़ी किसी कानूनी मुकदमा या अन्य मामले में तो उल्लेखित नहीं है।