(डॉ. डिकसन अमुग्सी, अफ्रीकी जनसंख्या एवं स्वास्थ्य अनुसंधान केंद्र)नैरोबी (केन्या), 19 सितंबर (द कन्वरसेशन) शिशु को पहले छह महीनों में केवल स्तनपान कराना, यानी कोई अन्य भोजन या पानी न देना सबसे उपयुक्त है। स्तनपान कराने से शिशु को वे सभी आवश्यक पोषण मिल जाते हैं, जिसकी उन्हें जरूरत होती है। एक अध्ययन में मां और बच्चे के लिए स्तनपान के दीर्घकालीन स्वास्थ्य लाभों पर प्रकाश डाला गया है, जिनमें अधिक वजन बढ़ने का खतरा कम होना और बचपन तथा किशोरावस्था में कम मोटापा होना शामिल है। साथ ही इससे बाद के जीवन में कुछ गैर संचारी रोग होने का खतरा भी कम हो जाता है। इसके अलावा स्तनपान से माताओं में स्तन और गर्भाशय का कैंसर, टाइप 2 मधुमेह और उच्च रक्तचाप की समस्या होने का खतरा भी कम हो जाता है। ये स्तनपान के लाभों में से कुछ ही है। कुल मिलाकर इससे बच्चे के स्वास्थ्य पर काफी असर पड़ता है। यही वजह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने निमोनिया और डायरिया के लिए वैश्विक कार्य योजना में इसे सत्यापित सुरक्षात्मक उपाय के तौर पर शामिल किया है। डब्ल्यूएचओ ने शुरुआत में 2025 तक स्तनपान के 50 प्रतिशत प्रसार का लक्ष्य तय किया। हाल में 2030 तक कम से कम 70 प्रतिशत प्रसार तक का लक्ष्य तय किया गया। इसका मतलब है कि प्रत्येक सदस्य देश से 2030 के अंत तक स्तनपान का कम से कम 70 प्रतिशत तक प्रसार करने की उम्मीद की जाती है। पूर्व के अध्ययन से यह पता चला है कि स्तनपान करने वाले बच्चों की संख्या निम्न और मध्यम आय वाले देशों में कम है। अध्ययन के तहत 94 निम्न और मध्यम आय वाले देशों के दो दशकों (2000-2018) तक के आंकड़ों का विश्लेषण प्रकाशित किया गया। इस तरह के विश्लेषण से देशों को आवश्यक नीतियां बनाने और स्तनपान की प्रवृत्ति को बढ़़ावा देने में मदद मिल सकती है। हमारे अध्ययन के नतीजे : अध्ययन की अवधि (2000-2018) के दौरान सभी देशों में स्तनपान का प्रसार 27 से 39 प्रतिशत तक बढ़ा। लेकिन हमने देशों और क्षेत्रों के बीच विभिन्न विविधताएं पायी। इससे अंतर-क्षेत्रीय असमानताओं का पता चलता है जिस ओर नेताओं को ध्यान देने की जरूरत है। अध्ययन में शामिल देशों में अच्छी-खासी प्रगति हुई। उदाहरण के लिए 94 में से 57 देशों में 2000 में स्तनपान की दर 30 प्रतिशत से भी कम थी लेकिन 2018 तक इनमें से कुछ देशों (8) में स्तनपान की दर 50 प्रतिशत तक बढ़ी। अध्ययन के दौरान अफ्रीकी देशों में से चाड और सोमालिया में स्तनपान की दर में कमी दर्ज की गयी। 70 प्रतिशत के लक्ष्य की ओर प्रगति : हम मानते हैं कि मौजूदा प्रवृत्ति जारी रहेगी। हमने पहले 2025 तक 25 प्रतिशत का शुरुआती लक्ष्य तय किया और बाद में 2030 तक कम से कम 70 प्रतिशत तय कर दिया। सामान्य रूप से देशों में 2018 में स्तनपान की 39 प्रतिशत दर के 2025 तक 43 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद की जाती है। यह एक सकारात्मक प्रगति है लेकिन 70 प्रतिशत के लक्ष्य से कम है। हमारे अध्ययन में छह देशों बुरुंडी, कम्बोडिया, लेसोथो, पेरू, रवांडा और सिएरा लियोन के 2030 तक 70 प्रतिशत स्तनपान का लक्ष्य हासिल करने की उम्मीद है। 94 देशों में से 88 के 2030 तक स्तनपान पर वैश्विक पोषण लक्ष्य हासिल करने की संभावना नहीं है। केवल तीन देश (बुरुंडी, लेसोथो और रवांडा) के इस लक्ष्य को हासिल करने का अनुमान है। स्तनपान की कम दरों की वजहें :1) स्तनपान का विकल्प देने वाली चीजों का प्रचार।2) स्तनपान के लिए कार्यस्थल पर सहयोग की कमी।3) प्रसवपूर्व देखभाल की कमी।4) स्वास्थ्य केंद्रों में स्तनपान पर काउंसिलिंग या कौशलयुक्त सहायता की कमी।5) सामाजिक या सांस्कृतिक मान्यताएं।आगे का रास्ता :स्तनपान में मां की आर से काफी कोशिश करने की आवश्यकता और उनके परिवारों, समुदायों, कार्य स्थल, स्वास्थ्य प्रणालियों और सरकारी नेतृत्व के सहयोग की जरूरत होती है।स्तनपान बढ़ाने के लिए अहम नीतियों में ये शामिल है :1) स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए वित्त पोषण बढ़ाना और दो साल तक स्तनपान कराना।2) इंटरनेशनल कोड ऑफ मार्केटिंग ऑफ ब्रेस्ट मिल्क सबस्टीट्यूट की निगरानी।3) कार्य स्थल पर स्तनपान की नीतियां लागू करने और वैतनिक पारिवारिक अवकाश।4) स्वास्थ्य केंद्रों में कौशल युक्त स्तनपान काउंसिलिंग में सुधार।5) स्तनपान का सहयोग करने के लिए स्वास्थ्य केंद्रों और समुदायों के बीच संबंध मजबूत करना।6) प्रगति पर नजर रखने के लिए निगरानी प्रणालियां मजबूत करना।निष्कर्ष के तौर पर हमारे अध्ययन में पाया गया कि 94 निम्न और मध्यम आय वाल देशों में से महज छह देश ही 2030 तक कम से कम 70 प्रतिशत स्तनपान बढ़ाने के डब्ल्यूएचओ के लक्ष्य को पूरा करने की राह पर हैं। द कन्वरसेशन गोला गोला सुभाषसुभाष