हाइलाइट्स:प्राइवेट कंपनियां देश या विदेश में रॉकेट (rocket) लॉन्च कर सकेंगी।रॉकेट लॉन्च करने से पहले उन्हें सरकार से इजाजत (approval) लेनी होगी।सरकार के इस कदम से निजी क्षेत्र की कई कंपनियों को फायदा होगा।नई दिल्लीसरकार ने प्राइवेट कंपनियों (private companies) को रॉकेट बनाने और रॉकेट लॉन्च साइट ऑपरेट करने की इजाजत देने का फैसला किया है। ये कंपनियां देश में या देश से बाहर यह काम कर सकेंगी। इसके लिए उन्हें पहले सरकार की इजाजत लेनी होगी। इसी तरह देश में या विदेश में रॉकेट लॉन्च (ऑर्बिटल या सब-आर्बिटल) करने से पहले उन्हें इंडियन नेशनल स्पेश प्रमोशन एंड अथॉराइजेशन सेंटर (National Space Promotion & Authorization Center) की मंजूरी लेनी होगी।सरकार के इस कदम से देश में रॉकेट बनाने वाली या रॉकेट लॉन्चिंग से संबंधित प्राइवेट कंपनियों को फायदा होगा। रॉकेट बनाने या उसके लॉन्चिंग से जुड़ी सेवाएं देने वाले प्रमुख कंपनियों में गोदरेज एयरोस्पेस (Godrej Aerospace), लार्सन एंड टूब्रो (Larsen & Toubro), अग्निकुल कॉसमॉस (AgniKul Cosmos), बेलाट्रिक्स एयरोस्पेश (Bellatrix Aerospace), ध्रुव स्पेस (Dhruva Space) और स्काईरूट एयरोस्पेश (Skyroot Aerospace) शामिल हैं।पुरानी कारों में फ्रंट सीट पैसेंजर के लिए एयरबैग लगवाने की समयसीमा बढ़ी, जानें नई डेडलाइननेशनल स्पेस प्रमोशन एंड अथॉराइजेशन सेंटर (IN-SPACe) भारत सरकार की स्वतंत्र इकाई है। यह डिपार्टेमेंट ऑफ स्पेस के तहत आती है। इस डिपार्टमेंट ने ड्राफ्ट नेशनल स्पेश ट्रांसपोर्टेशन पॉलिसी-2020 पेश की है। इसमें कहा गया है कि रॉकेट को निजी या लीज पर ली गई साइट से लॉन्च किया जा सकता है। कंपनी इसे मोबाइल प्लेटफॉर्म से भी लॉन्च कर सकती है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, कोरोना से हुई मौत पर नहीं दे सकते आर्थिक मदद, बताई यह वजहरॉकेट लॉन्च व्हीकल से जुड़ी सेवाएं देने वाली प्राइवेट कंपनी अग्निकुल कॉसमॉस के सह-संस्थापक और सीईओ श्रीनाथ रविचंद्रन ने कहा, “इस ड्राफ्ट पॉलिसी में रॉकेट लॉन्चिंग, लॉन्चपैड, रीइंट्री ऑफ स्पेश ऑब्जेक्ट सहित कई चीजों के बारे में विस्तार से उल्लेख है।” अग्निकुल एक छोटा रॉकेट बना रही है। इसका इस्तेमाल एक छोटे सैटेलाइट को अंतरिक्ष में भेजने के लिए किया जाएगा। रॉकेट बनाने वाली दूसरी कंपनी स्काईरूट एयरोस्पेश के सह-संस्थापक और सीईओ पवन कुमार चंदन ने कहा, “यह पॉलिसी काफी अच्छी तरह से बनाई गई है। यह हमें विदेश में लॉन्च करने या अपनी लॉन्च साइट बनाने की इजाजत देती है।”संकट में धरती, मंगल पर पैसे क्यों बर्बाद कर रहे वैज्ञानिक?