हाइलाइट्स:देश के ट्रक ट्रांसपोर्टरों का सरकार के प्रति गुस्सा बढ़ता जा रहा हैडीजल की बढ़ती कीमतों और रोड ट्रांसपोर्ट बिजनस की समस्याओं के प्रति उदासीन सरकारी तंत्र के खिलाफ आज देश भर में ट्रांसपोर्टरों ने काला दिवस मनायाइसका आह्वान ऑल इंडिया मोटर परिवहन कांग्रेस ने किया थानई दिल्लीदेश के ट्रक ट्रांसपोर्टरों (Truck Transporters) का सरकार के प्रति गुस्सा बढ़ता जा रहा है। डीजल की बढ़ती कीमतों और रोड ट्रांसपोर्ट बिजनस (Road Transport Business) की समस्याओं के प्रति उदासीन सरकारी तंत्र के खिलाफ आज देश भर में ट्रांसपोर्टरों ने काला दिवस मनाया। इसका आह्वान ऑल इंडिया मोटर परिवहन कांग्रेस (All India Motor Transport Congress) ने किया था।प्रधानमंत्री समेत सभी प्रमुख मंत्रियों को सौंपा ज्ञापनएआईएमटीसी (AIMTC) की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार ट्रक ट्रांसपोर्टरों ने आज देश के हर राज्य, जिले, शहर और तालुका में काला दिवस मनाया। परिवहन बिरादरी ने अपने वाहनों पर काला झंडा फहराया। उन्होंने मौन विरोध मार्च निकाला। इसके साथ ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को ज्ञापन सौंपा। ईंधन की बढ़ती कीमतों के खिलाफ, छह महीने के मोराटोरियम की मांग, ई-वे बिल और अन्य लंबित मुद्दों का समाधान के ज्ञापन डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर के माध्यम से दिया गया।यह भी पढ़ें: Covid Relief: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के फ्री टूरिस्ट वीजा प्लान से भारत को क्या फायदा होगा?ट्रांसपोर्टर चाहे देश भर में डीजल का एक दामएआईएमटीसी के अध्यक्ष कुलतारन सिंह अटवाल का कहना कि देश की परिवहन बिरादरी मिल कर सरकारसे मांग करती है कि केंद्र और राज्य सरकारें मिल कर डीजल और पेट्रोल पर टैक्स कम करे। इसके साथ ही देश भर में डीजल और पेट्रोल की एक समान दर हो। डीजल और पेट्रोल की कीमतों में कमी-बेशी करनी हो तो वह तिमाही संशोधन हो। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में कम से कम छह महीने के लिए ईएमआई मोराटोरियम की घोषणा की जाए। उन्होंने ई-वे बिल की वैधता के लिए निर्धारित समय सीमा को हर 100 किलोमीटर के लिए 1 दिन के पहले के स्तर पर बहाल करने की मांग की। सबसे खराब संकट का सामनाउनका कहना है कि भारत की सड़क परिवहन बिरादरी वर्तमान आर्थिक मंदी के कारण सबसे खराब संकट का सामना कर रही है। कोरोना की वजह से लॉकडाउन ने कमजोर मांग और खपत को प्रेरित किया। इससे ट्रकों को भाड़े पर लेने की मांग पहले जैसी नहीं है। यदि सरकार इन ज्वलंत मुद्दों को दूर करने में विफल रहती है तो छोटे ऑपरेटरों की एक बड़ी आबादी व्यवसाय से बाहर हो जाएगी और इस क्षेत्र पर निर्भर 20 करोड़ से अधिक लोगों के अस्तित्व के लिए संकट होगा। यहां तक कि पूरे देश में आपूर्ति श्रृंखला बुरी तरह प्रभावित होगी।यह भी पढ़ें: NPS: नेशनल पेंशन सिस्टम के इन सात फंड मैनेजर के प्रदर्शन के बारे में जानिएडीजल की कीमत लागत की 65 फीसदीअटवाल के मुताबिक डीजल की बढ़ती कीमतें व्यवसाय की परिचालन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही हैं क्योंकि यह परिचालन लागत का 65 प्रतिशत है। इससे टायर, पुर्जों और ल्यूब की लागत में और वृद्धि हुई है। इसके अलावा टैक्स, परमिट फीस, बीमा, टोल, वेतन, ईएमआई और जबरन वसूली के पैसे का भुगतान करना बाकी है। इस परिस्थिति में माल भाड़ा नहीं बढ़ता क्योंकि यह बाजार की ताकतों पर निर्भर करता है। इसलिए सरकार से प्रार्थना है कि डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी को सरकार रोके। साथ ही डीजल की कीमतें 40 से लेकर 50 रुपये प्रति लीटर तक तुरंत कम हो। 95 लाख ट्रकरों का करता है नेतृत्वएआईएमटीसी ट्रांसपोर्टरों का 85 वर्ष पुराना शीर्ष निकाय है। यह करीब 95 लाख ट्रक वालों और लगभग 50 लाख बसें और पर्यटक टैक्सी और मैक्सी कैब ऑपरेटरों का प्रतिनिधित्व करता है। इसका दायरा देश के 3,500 से अधिक तालुका, जिला, राज्य स्तरीय संघों और परिवहन संघों तक फैला है। संगठन का दावा है कि ट्रक ट्रांसपोर्ट सेक्टर देश में 20 करोड़ से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार उपलब्ध कराता है।Petrol Diesel Price Hike: पेट्रोलिमय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तेल की बढ़ती कीमतों के लिए कांग्रेस को बताया जिम्मेदार