नई दिल्ली: चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की सफलता ने पूरी दुनिया में भारत की धाक जमा दी है। विक्रम लैंडर बुधवार शाम को जैसे ही चांद की सतह पर उतरा, भारत ने इतिहास रच दिया। भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया। इसके साथ ही भारत को पूरी दुनिया से बधाइयां मिल रही हैं। इसके साथ ही बीबीसी एक पुराना क्लिप भी सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा। इसमें स्टूडियो में बैठा बीबीसी का एंकर भारत के मून मिशन का मजाक उड़ा रहा है। दिग्गज उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने इस वीडियो पर मजेदार ट्वीट (Anand Mahindra Tweet) किया है। उन्होंने कहा कि भारत की गरीबी के लिए काफी हद तक अंग्रेजी हुकूमत जिम्मेदार है जिसने कई दशकों तक भारत में संसाधनों की लूट की।वीडियो में बीबीसी एंकर भारत में मौजूद अपने संवाददाता से पूछ रहा है कि भारत में इन्फ्रास्ट्रक्चर की भारी कमी है, भीषण गरीबी है, 70 करोड़ लोगों पास टॉयलेट नहीं है, क्या ऐसे देश को मून मिशन पर इतना पैसा खर्च करना चाहिए। यह पुराना वीडियो है। लेकिन चंद्रयान-3 की सफलता के बाद यह ट्रेंड कर रहा है। भारत ने चांद पर अपनी तीनों मिशन पर कुल खर्च 1,979 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। साल 2008 में भेजे गए चंद्रयान-1 की कुछ खर्च 386 करोड़ रुपये था। इसी तरह 2019 में भेजे गए चंद्रयान-2 पर कुल खर्च 978 करोड़ रुपये का खर्च आया था।महिंद्रा ने बीबीसी के इस वीडियो पर ट्वीट करते हुए कहा, ‘सही में। सच्चाई यह है कि हमारी गरीबी की सबसे बड़ी वजह यह है कि हम पर दशकों तक अंग्रेजों ने हुकूमत की। उन्होंने पूरे उपमहाद्वीप को सिस्टमैटिक तरीके से लूटा। अंग्रेजों ने हमसे जो सबसे मूल्यवान चीज छीनी थी, वह कोहिनूर हीरा नहीं था, बल्कि हमारा गौरव और अपनी क्षमताओं में विश्वास था। अंग्रेजी हुकूमत का सबसे कपटी लक्ष्य अपने गुलामों को उनके कमतर होने का अहसास कराना था। यही कारण है कि टॉयलेट और स्पेस एक्सप्लोरेशन दोनों में निवेश करना एक विरोधाभास नहीं है। सर, चंद्र मिशन से हमें अपना गौरव और आत्मविश्वास बहाल करने में मदद मिलती है। यह विज्ञान के माध्यम से प्रगति में विश्वास पैदा करता है। यह हमें गरीबी से बाहर निकलने की आकांक्षा देता है। सबसे बड़ी गरीबी आकांक्षा की गरीबी है…