हाइलाइट्स:आईएएस अशोक खेमका ने फिर DHFL में हुई कथित धोखाधड़ी का मामला उठायाग्रांट थॉर्नटन की रिपोर्ट में 46,500 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का खुलासा हुआ हैउन्होंने कहा कि रेग्युलेटर नैशनल हाउसिंग बैंक सो रहा है या मिलीभगत में शामिल हैनई दिल्लीभ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने वाले चर्चित आईएएस अशोक खेमका (IAS Ashok Khemka) ने एक बार फिर दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (DHFL) में हुए कथित धोखाधड़ी का मामला उठाया है। उन्होंने ट्वीट किया कि ग्रांट थॉर्नटन (Grant Thornton) फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट में डीएचएफएल में 46,500 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का खुलासा हुआ है लेकिन रेग्युलेटर नैशनल हाउसिंग बैंक (National Housing Bank) सो रहा है।खेमका ने ट्वीट किया, ‘ग्रांट थॉर्नटन (Grant Thornton) फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट में डीएचएफएल में 46,500 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का खुलासा हुआ है। आरबीआई द्वारा नियुक्त एडमिनिस्ट्रेटर ने एनसीएलटी में रिकवरी एप्लिकेशंस फाइल की हैं। रेग्युलेटर नैशनल हाउंसिंग बैंक क्या कर रहा है- सो रहा है या मिलीभगत में शामिल है। भविष्य में होने वाली रिकवरी पीरामल्स के लिए बोनांजा होगी।’E-commerce Rule: छिटपुट नियम अक्सर अदूरदर्शिता को बढ़ावा देते हैं, जानिए कैसेपहले भी उठा चुके हैं आवाजयह पहला मौका नहीं है जब आईएएस अशोक खेमका ने इस मुद्दे पर आवाज उठाई है। इससे पहले भी उन्होंने एक ट्वीट में कहा था कि जब टेरर फाइनेंसिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के अपराधों में सीबीआई और ईडी को डीएफएचएल के प्रमोटर्स की तलाश है और देश एक वैश्विक वैश्विक महामारी से लड़ रहा है, तो उन्हें कानून के शिकंजे से भागने में सीनियर अफसरों द्वारा मदद करना शर्मनाक काम है। निजी हित या राजनीतिक आकाओं के हितों की पूर्ति देश के हितों से ऊपर नहीं हो सकती है। उल्लेखनीय है कि नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने कर्ज में डूबी होम फाइनेंसर DHFL के लिए पीरामल कैपिटल एंड हाउसिंग (Piramal Capital and Housing Finance) के रिजॉल्यूशन प्लान को मंजूरी दे दी है। एनसीएलटी ने कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स को रीटेल डिपॉजिटर्स और बॉन्ड होल्डर्स से मिलकर उनकी मांग पर विचार करने को कहा है। क्रेडिटर्स ने कंपनी पर 87,000 करोड़ रुपये के बकाये का दावा किया है।महामारी से पहले के 90 फीसदी के स्तर तक पहुंची पेट्रोल की मांग, जानिए पिछले महीने आया कितना उछालक्या है मामला2018 में IL&FS संकट के बाद कंपनी का पतन शुरू हुआ था। DHFL पहली फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी थी जिसे आरबीआई ने नवंबर 2019 में एनसीएलटी में भेजा था। कंपनी ने भुगतान में डिफॉल्ट किया था और उसके लेंडर्स आरबीआई के 7 जून के सर्कुलर के तहत समाधान निकालने में नाकाम रहे थे। ऑडिटर ग्रांट थॉर्नटन की फाइनल फॉरेंसिक रिपोर्ट के मुताबिक डीएचएफएल में धोखाधड़ी के लिए फेक अकाउंट्स और फ्रॉड कर्जदारों का इस्तेमाल किया गया था।