हाइलाइट्सबीसीसीआई को टैक्स विभाग के खिलाफ बड़ी जीत मिली हैआईपीएल से होने वाली कमाई पर टैक्स का है मामलाBCCI ने कहा कि IPL का मकसद क्रिकेट का प्रमोशनITAT ने बीसीसीआई की दलील को सही ठहरायानई दिल्लीदेश की सबसे अमीर खेल संस्था बीसीसीआई (BCCI) को टैक्स विभाग के खिलाफ बड़ी जीत मिली है। इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्युनल (ITAT) ने बीसीसीआई की इस दलील को सही ठहराया है कि भले ही वह आईपीएल (IPL) के जरिए कमाई कर रहा है लेकिन इसका मकसद क्रिकेट को बढ़ावा (promotion of sports) देना है। इसलिए इस टूर्नामेंट से हुई इनकम टैक्स छूट के दायरे में आती है। ITAT ने 2 नवंबर को इस पर फैसला दिया।रेवेन्यू डिपार्टमेंट ने 2016-17 में बीसीसीआई को 3 कारण बताओ नोटिस जारी किए थे। इनमें क्रिकेट संस्था से पूछा गया था कि आईपीएल से होने वाली कमाई पर इनकम टैक्स कानून (Income Tax Act) की धारा 12 ए के तहत मिलने वाली छूट क्यों नहीं हटाई जानी चाहिए। इसके खिलाफ बीसीसीआई ने ITAT का दरवाजा खटखटाया था। इस पर सुनवाई करने हुए ITAT ने रेवेन्यू डिपार्टमेंट की दलील को खारिज कर दिया।PayTm के आईपीओ से देश में बने 350 नए करोड़पति, जानिए कितनी हो गई उनकी कमाईअपनी-अपनीदलीलइनकम टैक्स विभाग का कहना था कि आईपीएल में एंटरटेनमेंट वैल्यू है। इससे जुड़ी गतिविधियां ट्रेड, कॉमर्स और बिजनस के दायरे में आती हैं। दूसरी ओर बीसीसीआई का कहना था कि उसकी गतिविधियां पूरी तरह चेरिटैबल हैं। उसका असली मकसद क्रिकेट को बढ़ावा देना है और आईपीएल भी इसी सोच को आगे बढ़ाता है। इससे आने वाले फंड्स को क्रिकेट के प्रमोशन पर खर्च किया जाता है।ITAT ने क्या कहाITAT बेंच ने कहा कि अगर किसी खेल टूर्नामेंट को इस तरह से बनाया जाता है कि उससे इस खेल को और अधिक लोकप्रिय बनाया जा सके और इसके परिणामस्वरूप अधिक स्पॉन्सरशिप और संसाधनों को जुटाया जा सकें, तो इससे क्रिकेट को लोकप्रिय बनाने की इसकी एक्टिविटी का मूल चरित्र खो नहीं जाता है। बीसीसीआई का कहना है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने आईपीएल से जुड़ी गतिविधियों से हुई इनकम की व्याख्या में गलती की। विभाग ने इसे बीसीसीआई की गतिविधियों पर समग्र रूप से विचार नहीं किया और यह निष्कर्ष निकाला कि ये गतिविधियां स्पोर्ट्स प्रमोशन के दायरे में नहीं आती हैं।रेलवे में सफर करना अब होगा सस्ता लेकिन नहीं मिलेंगी ये सुविधाएंफैसले का क्या होगा असरटैक्स एडवाइजरी फर्म KPB & Associates में पार्टनर Paras Savla ने कहा कि ITAT के फैसले का पब्लिक ट्रस्ट्स पर व्यापक असर होगा क्योंकि अगर वे बताए गए उद्देश्यों के लिए जुटाए गए धन का इस्तेमाल कर रहे हैं तो वे टैक्सेशन के दायरे से बाहर रहेंगे। यह फैसला दूसरे ट्रस्टों के लिए नजीर बन सकता है लेकिन यह उन प्राइवेट ट्रस्ट्स पर लागू नहीं होगा जिनका नाम पंडोरा लीक्स जैसे मामलों में आया है।