नई दिल्ली: भारत का चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) इतिहास रचने को तैयार है। इसका लैंडर विक्रम चांद की सतह पर उतरने की तैयारी कर रहा है। इस पर भारत समेत पूरी दुनिया की नजरें टिकी हैं। यह भविष्य में कई अंतरिक्ष मिशनों का रास्ता साफ करेगा। इनमें एक मिशन चांद पर इंसानी बस्ती बसाने का भी है। अगर ऐसा हुआ तो भविष्य में इसे स्पेस मिशनों में एक प्लेटफॉर्म के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके साथ ही चांद पर जमीन खरीदने का मुद्दा भी एक बार फिर जोर पकड़ने लगा है। बीच-बीच में इस तरह की खबरें आती रहती हैं कि फलां हस्ती ने चांद पर जमीन खरीद ली है। कभी शाहरूख खान का नाम, तो कभी सुशांत सिंह राजपूत का नाम सुनने को मिलता है। इतना ही नहीं कई आम लोगों ने भी चांद पर जमीन खरीदी है। कोरोना काल में तो देश में कई लोगों ने चांद पर जमीन बेचने का धंधा शुरू कर दिया था।मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने साल 2018 में चांद पर जमीन खरीदी थी। सुशांत ने तब दावा किया था कि उन्होंने चांद पर जमीन इंटरनेशनल लूनर लैंड्स रजिस्ट्री से खरीदी थी। उनकी यह जमीन चांद के सी ऑफ मसकोवी इलाके में है। उन्होंने यह जमीन 25 जून 2018 को अपने नाम करवाई थी। वह चांद पर जमीन खरीदने वाले बॉलिवुड के पहले अभिनेता बने थे। हालांकि उनसे पहले शाहरूख खान को किसी फैन ने चांद पर जमीन गिफ्ट की थी। इसी तरह 2002 में हैदराबाद के राजीव बागड़ी और 2006 में बेंगलुरू के ललित मोहता ने भी चांद पर जमीन खरीदने का दावा किया था। इन लोगों की मानें तो कभी न कभी चांद पर इंसान को बसना है।Chandrayaan-3 Mission: चंद्रयान-3 में लगे हैं कई कंपनियों के कंपोनेंट्स, जानिए एक-एक पुर्जे की कहानीक्या कहता है कानूनचांद पर प्लॉट लेना बस फैशन या इमोशन्स जाहिर करने का एक तरीका है। सब जानते हैं कि चांद पर बसना मुमकिन नहीं है। भारत ही नहीं बल्कि दूसरे कई देशों के लोग चांद पर जमीन खरीद चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दुनिया में दो संस्थाएं लूना सोसाइटी इंटरनेशनल और इंटरनेशनल लूनर लैंड्स रजिस्ट्री चांद पर जमीन जमीन बेचने का दावा करती हैं। उनका दावा है कि दुनिया के कई देशों ने उन्हें चांद पर जमीन बेचने के लिए अथॉराइज किया है। लेकिन इसका कोई प्रमाण नहीं है। हालांकि अब इन संस्थाओं की वेबसाइट का लिंक नहीं खुल रहा है।इंटरनेशनल स्पेस कानूनों के मुताबिक चांद पर जमीन खरीदना कानूनी तौर पर मान्य नहीं है। इसकी वजह यह है कि खगोलीय पिंड यानी चांद, सितारे और अन्य खगोलीय वस्तु किसी भी देश के अधीन नहीं आते। 1967 की आउटर स्पेस ट्रीटी के मुताबिक स्पेस में किसी भी ग्रह या उनके उपग्रहों पर किसी भी एक देश या व्यक्ति का अधिकार नहीं है। भारत समेत 110 देशों ने इस पर साइन किए हैं। इसमें कहा गया है कि आउटर स्पेस एक साझा विरासत है। बिना किसी अधिकार के लिए कंपनियां चांद पर जमीन की रजिस्ट्री करने का दावा करती हैं। यह एक तरह से गोरखधंधा है।Chandrayaan-3 vs Luna-25: रूस से एक तिहाई खर्च पर पहुंच गया भारत का चंद्रयान, जानिए नासा ने कितना किया था खर्चकागज का टुकड़ाचांद पर जमीन बेचने का बिजनस पिछले कुछ साल में काफी बढ़ा है। लूनर रजिस्ट्री डॉट कॉम के मुताबिक चांद पर एक एकड़ जमीन की कीमत 37.50 अमेरिकी डॉलर है। भारतीय करेंसी में यह राशि करीब 3112.52 रुपये बैठती है। यह कीमत बहुत कम है। यही वजह है कि लोग भावनाओं में बहकर रजिस्ट्री करा लेते हैं। हालांकि यह रजिस्ट्री महज कागज का टुकड़ा है। इसकी वजह यह है कि कानून की नजर में इस रजिस्ट्री की कोई अहमियत नहीं है। यानी चांद पर जमीन खरीदना का कोई फायदा नहीं है। इसलिए लोगों को इस चक्कर में फंसने से बचना चाहिए।