नई दिल्ली Job Change: पिछले एक साल में बड़ी कंपनियों के जिन टॉप एग्जीक्यूटिव ने लीडरशिप रोल छोड़ा है उनमें से 60 फीसदी ने छोटी कंपनियां या स्टार्टअप को ज्वाइन किया है। फिक्स वेतन के अलावा व्यक्तिगत संपत्ति बनाने की प्राथमिकताओं की वजह से अब बड़ी कंपनियों के सीईओ, सीएक्सओ और सीएफओ नौकरी छोड़कर छोटी कंपनियां ज्वाइन कर रहे हैं। हाल में ही आई एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि बड़ी कंपनियों को चला रहे चीफ एग्जीक्यूटिव, सीएक्सओ और सीएफओ नौकरी छोड़कर यूनिकॉर्न ज्वाइन कर रहे हैं। यह ट्रेंड अगले साल भर जारी रहने की उम्मीद है।यह भी पढ़ें: Electric Scooty की बिक्री में तेजी लाने के लिए सरकार को देनी चाहिए दो जरूरी सुविधाएं, इसके बाद फर्राटा भरेगी बिक्री वेतन के अलावा भी कई लाभ पॉजिटिव मूव्स कंसलटिंग के मैनेजिंग पार्टनर वैभव धवन ने कहा, “बड़ी कंपनियों में लीडरशिप रोल पर काम कर रहे एग्जीक्यूटिव यूनिकॉर्न या वैसी छोटी कंपनियां ज्वाइन कर रहे हैं जिन्हें प्राइवेट इक्विटी की मदद मिल रही है। वास्तव में अब अधिकारी यह चाहते हैं कि वे अपने व्यक्तिगत बैलेंस शीट को कैसे बढ़ा सकते हैं। इसके लिए उन्हें नैया छोटी कंपनियों में पर्याप्त मौके दिख रहे हैं। इन मौके का फायदा उठाने के लिए वे जॉब बदल रहे हैं।”व्यक्तिगत लाभ पहले नंबर पर भारत में बड़ी कंपनियों में काम कर रहे लीडर आमतौर पर छोटी कंपनियां ज्वाइन करना नहीं चाहते। चीफ एग्जीक्यूटिव और सीनियर अधिकारी अपनी कंपनी के लिए बड़ी वैल्यू बनाने में सफल रहे हैं, लेकिन बड़ी कंपनियों के लिए काम करते हुए व्यक्तिगत रूप से उनकी वैल्यू में बहुत अधिक इजाफा नहीं हो पाता। व्यक्तिगत फायदे के लिए लीडरशिप रोल में काम कर रहे एग्जीक्यूटिव अब छोटी कंपनियां चुन रहे हैं।किन अधिकारियों ने बदली नौकरी अगर इस तरह के कुछ उदाहरण की बात करें तो स्विगी के पूर्व पूर्व चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर विवेक सुंदर ने ऑनलाइन मैथ्स लर्निंग प्लेटफॉर्म क्यू मैथ को सीईओ के तौर पर ज्वाइन किया है। इसी तरह गोदरेज कंज्यूमर के मैनेजिंग डायरेक्टर विवेक गंभीर ने स्टीरियो हेडफोंस और इयरफोंस कंपनी बोट ज्वाइन किया है। सिप्ला इंडिया के पूर्व सीईओ निखिल चोपड़ा अब जेबी केमिकल्स ज्वाइन कर रहे हैं।आरपीजी ग्रुप के पूर्व सीईओ सोहेल समीर भारत पे के सीईओ के रूप में ज्वाइन कर रहे हैं। यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो रही कंपनियां नए राउंड की फंडिंग के बाद भारत पे ने यूनिकॉर्न क्लब ज्वाइन कर लिया है। अगस्त में इसमें नए राउंड की फंडिंग हुई थी। इसके बाद भारत पे का वैल्यूएशन करीब 3 अरब डॉलर पर पहुंच गया है।कोरोनावायरस संकट के शुरुआती दौर में लोगों की खरीदारी करने के तरीके में काफी अंतर आया है। कोरोना संक्रमण के बाद अब भारत की अर्थव्यवस्था में रिकवरी दर्ज की जा रही है और तकरीबन हर कैटेगरी में खपत में वृद्धि दर्ज की जा रही है। नए जमाने की कंपनियां और स्टार्टअप अब स्थापित कंपनियों को चुनौती देने में जुटी है, इस वजह से उनमें लीडरशिप टैलेंट की मांग अचानक बढ़ गई है।यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो रही कंपनियां सिर्फ इस साल अब तक 35 स्टार्ट अप ने यूनिकॉर्न क्लब या यूनिकॉर्न के रूप में पहचान हासिल की है। यूनिकॉर्न उन कंपनियों को कहते हैं जिनकी वैल्यू एक अरब डॉलर से अधिक हो गई हो। यह भी पढ़ें: एंप्लॉयी पेंशन स्कीम के हैं पेंशनर तो डोंट वरी! एक साल के अंदर कभी भी जमा हो जाता है लाइफ सर्टिफिकेटयूपी में किसान उगा रहे हैं केसर, आप भी करें दो लाख रुपये किलो बिकने वाले फसल की खेती