खस्ताहाल चीन के हालात इन 6 बिन्दुओं से समझिए1. चीन भारी डिफ्लेशन का शिकार है। कोविड के बाद से जहां दुनियाभर के देशों में महंगाई चरम पर है तो वहीं चीन में स्थिति विपरीत है। चीन में चीजों की कीमतें बढ़ने की बजाय सस्ती हो रही है। चीनी अर्थव्यवस्था डिफ्लेशन मोड में है। लोगों की खरीदने की क्षमता और डिमांड घटती जा रही है, जो अर्थव्यवस्था की सेहत के लिए अच्छा नहीं है।2. चीन में बेरोजगारी चरम पर है। यहां बेरोजगारी का स्तर 21 फीसदी तक पहुंच गया है। युवाओं को नौकरियां नहीं मिल पा रही है। स्थिति ऐसी है कि अब चीनी सरकार ने रोजगार से जुड़े आंकड़े जारी करने बंद कर दिए हैं।रियल एस्टेट धड़ाम3. चीन का रियल एस्टेट उसकी इकॉनमी की सबसे बड़ी ताकत है, लेकिन कोविड के बाद से वहां रियल एस्टेट की हालत खराब हो चुकी है। घर खरीदारों के अभाव में रियल एस्टेट कंपनियों के प्रोजेक्ट अटके हुए हैं। घर बिक नहीं रहे हैं और कंपनियों पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। चीन ने तेज विकास के लिए रियल एस्टेट में निवेश तो कर लिया, लेकिन अब खरीदार नहीं मिल रहे हैं। हालात ऐसे हैं कि चीन के कई शहर तो घोस्ट शहर ( भूतिया शहर) बन चुकी हैं।4. चीनी मुद्रा युआन पिछले 16 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है। बीते एक साल में डॉलर के मुकाबले युआन 7 फीसदी टूट चुकी है। स्थिति ऐसी बनी कि चीन के लोगों ने हांगकांग में निवेश बढ़ा रहे हैं।बेरोजगारी चरम पर5. चीन में बेरोजगारी और लोगों की घटती परचेजिंग पावर के कारण इसकी इकोनॉमिक ग्रोथ को बड़ा झटका लगा है।चीन का ग्रोथ गिर रहा है तो वहीं कर्ज बढ़ता जा रहा है। चीन पर कर्ज का बोझ उसकी जीडीपी के 300% तक पहुंच चुका है।6. चीन की हालत को देखकर विदेशी कंपनियां भी उससे मुंह मोड़ रही हैं। कंपनियों ने कोरोना महामारी के लिए चीन को जिम्मेदार मानते हुए उसका बॉयकॉट करना शुरू कर दिया और चीन से बाहर निकलने लगी। चीन की इकॉनमी को इसके बड़ा झटका लगा है। लेकिन सवाल ये है कि आखिर चीन की इस हालत के लिए कौन जिम्मेदार है। अगर आप आंकड़ों को देखेंगे तो पाएंगे कि अपनी हालात के लिए बहुत हद तक चीन खुद जिम्मेदार है।