नई दिल्ली: कोरोना महामारी से पहले चीन की इकॉनमी (China Economy) कुलांचे मार रही थी। दो दशक से भी अधिक समय से चीन दुनिया की फैक्ट्री बना हुआ था। पूरी दुनिया चीन के सामान से पटी पड़ी थी। माना जा रहा था कि अगले दशक की शुरुआत में ही अमेरिका को पछाड़कर चीन दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी बन जाएगा। लेकिन एक झटके में सबकुछ बिखर गया। चीन की इकॉनमी हर मोर्चे पर संघर्ष कर रही है। एक्सपोर्ट गिर गया है, सर्विस पीएमआई आठ महीने के लो पर पहुंच गया, रियल एस्टेट का भट्टा बैठा हुआ है, बेरोजगारी चरम पर है, खपत दिन ब दिन कम होती जा रही है, विदेशी कंपनियों और निवेशकों ने मुंह मोड़ना शुरू कर दिया है। हालत यह हो गई है कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग को मुंह छिपाना पड़ रहा है। हाल में वह ब्रिक्स सम्मेलन में इकॉनमी पर बोलने से कन्नी काट गए और अब जी-20 देशों की मीटिंग में भी नहीं आ रहे हैं।ब्लूमबर्ग इकनॉमिक्स के मुताबिक चीन को अमेरिका से आगे निकलने के लिए अब 2040 के दशक के मध्य तक इंतजार करना होगा। तब भी वह मामूली मार्जिन से आगे निकल सकता है और फिर अमेरिका उसे पछाड़ देगा। ब्लूमबर्ग के अर्थशास्त्रियों का मानना है कि चीन की इकॉनमी में अनुमानों से पहले ही सुस्ती आ गई। कोरोना के बाद जो तेजी दिख रही थी वह पटरी से उतर गई है। रियल एस्टेट सेक्टर गहरे संकट में है और इकॉनमी लीडरशिप के हाथ से फिसल रही है। हर बीतते दिन के साथ लोगों का सरकार पर भरोसा कम होता जा रहा है। इससे ग्रोथ के पटरी पर लौटने की संभावना क्षीण होती जा रही है। अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि चीन की इकॉनमी की ग्रोथ 2030 में 3.5 परसेंट रह जाएगी और 2050 में यह एक परसेंट के इर्दगिर्द तक फिसल जाएगी। पहले 2030 तक इसके 4.3 परसेंट और 2050 तक 1.6 परसेंट रहने का अनुमान था।अब भारत बनेगा दुनिया का इंजन… चीन में चौतरफा हताशा के बीच पीएम नरेंद्र मोदी ने दे दी ड्रैगन को बड़ी टेंशनचीन वर्सेज अमेरिकापिछले साल चीन की इकॉनमी तीन फीसदी की ग्रोथ से बढ़ी जो कई दशक में सबसे कम है। अमेरिका और जी-7 देशों की चीन की इस हालत पर करीबी नजर है। वे इसे एक मौके के रूप में देख रहे हैं। चीन को इकॉनमी के अलावा कई और मोर्चों पर भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। 1960 के दशक के बाद पिछले साल पहली बार उसकी आबादी में गिरावट आई है। कंपनियों पर सरकार की कार्रवाई से भी दुनिया का भरोसा चीन पर कम हुआ है। साथ ही अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ चीन का तनाव चरम पर है।दूसरी ओर अमेरिका आज बेहतर स्थिति में दिख रहा है। स्ट्रॉन्ग लेबर मार्केट, कंज्यूमर खर्च में बढ़ोतरी और महंगाई में गिरावट से देश की इकॉनमी में आत्मविश्वास की बहाली हुई है। कुछ महीने पहले तक अमेरिका के मंदी में फंसने का अनुमान लगाया जा रहा था लेकिन फिलहाल अमेरिका की इकॉनमी उस स्थिति से बाहर निकल गई है। ब्लूमबर्ग के अर्थशास्त्रियों के मुताबिक 2022-23 में अमेरिका की इकॉनमी के 1.7 परसेंट की रफ्तार से बढ़ने की उम्मीद है और 2050 तक यह ग्रोथ 1.5 परसेंट रह सकती है।