China’s economic woes is not good news for Americans know why

नई दिल्ली: चीन की इकॉनमी संकट (China Economic Crisis) में है। जीडीपी सुस्त पड़ी है, एक्सपोर्ट लगातार गिर रहा है, फैक्ट्रियों में प्रॉडक्शन कम हो रहा है, विदेश निवेश कम हो रहा है, विदेशी कंपनियां अपना बोरिया बिस्तर समेट रही हैं, बेरोजगारी चरम पर है, खपत कम हो रही है और रियल एस्टेट सेक्टर बैठ गया है। हालत यह हो गई है कि चीन की सरकार ने बेरोजगारी के आंकड़े देना बंद कर दिया है। अमेरिका और चीन के बीच तनाव हर बीतते दिन के साथ बढ़ता जा रहा है। ट्रेड पॉलिसी से लेकर टेक्नोलॉजी तक, कई मुद्दों पर दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच ठनी हुई है। लेकिन चीन से बज रही खतरे की इस घंटी से अमेरिका में खलबली है।पिछले हफ्ते अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चीन की एडवांस्ड टेक्नोलॉजी इंडस्ट्रीज में अमेरिका के निवेश को सीमित कर दिया। इससे फंड मैनेजरों में चिंता है कि वे चीन में कैसे निवेश करेंगे। साथ ही संसद की एक समिति इस बात की जांच कर रही है कि ब्लैकरॉक और एमएससीआई कहीं चीन की प्रतिबंधित कंपनियों में निवेश तो नहीं कर रही हैं। ब्लैकरॉक दुनिया की सबसे बड़ी एसेट मैनेजमेंट कंपनी है जबकि एमएससीआई इंडेक्स फंड्स देने वाली सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है। सवाल यह है कि अमेरिका के लिए चीन की क्या अहमियत है।China Crisis: चीन की मुश्किलें और बढ़ीं, दिग्गज रियल एस्टेट कंपनी Evergrande हुई दिवालियाथम गई दुनिया की फैक्ट्रीकरीब दो दशक से अधिक समय तक चीन दुनिया की फैक्ट्री बना रहा। अमेरिका समेत दुनियाभर की कंपनियों ने वहां सस्ते में सामान बनाकर पूरी दुनिया में बेचा और दोनों हाथों से माल कमाया। वजह साफ है कि अगर चीन की इकॉनमी में सुस्ती आती है तो इसका असर पूरी दुनिया पर होगा। अगर ऐसा हुआ इसका असर अमेरिकी कंपनियों के शेयरों पर भी पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि अमेरिका की कई कंपनियों ने चीन में जमकर निवेश किया हुआ है। साथ ही कई कंपनियों के लिए चीन सबसे बड़ा मार्केट है।यहां तक कि जिन कंपनियों का चीन में ज्यादा बिजनस नहीं है वे भी चीन की स्थिति से चिंता में हैं। उदाहरण के लिए ExxonMobil का चीन में ज्यादा बिजनस नहीं है लेकिन चीन की ग्रोथ में गिरावट आती है तो तेल की डिमांड गिरेगी। इसका असर भी दिखने लगा है। चीन से आ रही खबरों के कारण तेल की कीमत में गिरावट आने लगी है। ऐपल, इंटेल, फोर्ड और टेस्ला जैसी कंपनियों ने चीन में बड़ी-बड़ी यूनिट लगा रखी हैं। इसी तरह स्टारबक्स और नाइकी जैसी कंपनियां चीन के ग्राहकों पर टिकी हैं।एक तरफ आर्थिक मंदी तो दूसरी तरफ बढ़ रही बेरोजगारी, अब आंकड़े जारी करने से भी परहेज, चीन में ये क्या चल रहा?चीन में निवेश घटायाइसी साल बैंक ऑफ अमेरिका ने ऐसी टॉप कंपनियों की एक लिस्ट बनाई थी जिनका चीन में सबसे ज्यादा एक्सपोजर है। इस लिस्ट में पहले नंबर पर लास वेगास सैंड्स पहले नंबर पर है। इस कसीनो कंपनी का 68 परसेंट रेवेन्यू चीन से आता है। पिछले एक महीने में कंपनी के शेयरों में करीब 10 परसेंट गिरावट आई है। इसी तरह सेमीकंडक्टर बनाने वाली कंपनी क्वालकॉम का 67 परसेंट एक्सपोजर चीन में है। पिछले एक महीने में कंपनी के शेयरों में करीब 11 परसेंट गिरावट आई है। इसी तरह एनवीडिया, विन रेजॉर्ट्स और एमजीएम रेजॉर्ट्स का भी चीन में बहुत एक्सपोजर है।चीन में अमेरिका का प्राइवेट इक्विटी और वेंचर कैपिटल इनवेस्टमेंट्स आठ साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है और लगातार गिर रहा है। माइकल बरी के सायन एसेट मैनेजमेंट, मूर कैपिटल मैनेजमेंट, Coatue, डी1 कैपिटल और टाइगर ग्लोबल ने दूसरी तिमाही में चीन की कंपनियों में अपना निवेश कम किया है। इसी तरह अमेरिका और पश्चिमी देशों की कई कंपनियां चीन में अपना बिजनस सीमित कर रही हैं। इसकी वजह यह है कि कोरोना काल में चीन से सप्लाई बाधित हुई थी। साथ ही पश्चिमी देश चीन पर अपनी निर्भरता कम कर रहे हैं।