नई दिल्ली Refind Oil Price: खाद्य तेलों के बढ़ते भाव ने गर्मियों के रसोई का बजट बिगाड़ दिया है। सरकार खाद्य तेलों के भाव पर लगाम लगाने के लिए कई कोशिश कर रही है। इसी कड़ी में सरकार ने सितंबर में खाद्य तेलों का आयात बढ़ाने के लिए कई प्रोत्साहन दिए थे। खाद्य तेलों की भंडारण सीमा तय करने के बाद पाम, सोया और सूरजमुखी के कच्चे तेल पर बेसिक कस्टम ड्यूटी भी घटा दी गई है। इसके साथ ही सरकार ने सेस में भी कमी की है। उम्मीद की जा रही है कि इससे आने वाले दिनों में तेल के भाव में 15 रुपये प्रति लीटर तक की कमी आ सकती है। यह भी पढ़ें: Delhi-NCR का घटेगा दायरा, ड्राफ्ट रीजनल प्लान 2041 को सरकार की मंजूरीचौथी बार हुई कटौती सरकार ने खाद्य तेलों के दाम कम करने के लिए पिछले कुछ महीने में चौथी बार उत्पाद व सीमा शुल्क में कटौती की है। बुधवार को सेस और सीमा शुल्क में कटौती के बाद रिफाइंड पाम तेल के दाम 8-9 रुपये लीटर और सूरजमुखी व सोयाबीन तेल के दाम 12-15 रुपये लीटर तक नीचे आ जाएंगे।सितंबर में आयात रिकॉर्ड पर सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने एक बयान में कहा कि वनस्पति तेलों का कुल आयात, जिसमें खाद्य और अखाद्य दोनों प्रकार के तेल शामिल हैं, सितंबर के दौरान 66 प्रतिशत बढ़कर 17,62,338 टन हो गया, जबकि सितंबर 2020 में यह आयात 10,61,944 टन का हुआ था।सरकारी नीति में बदलावआरबीडी पामोलिन और आरबीडी पाम तेल का आयात जुलाई 2021 से 31 दिसंबर, 2021 तक के लिए प्रतिबंधित से मुक्त कैटेगरी में हो गया है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने कहा, “पिछले कुछ महीनों में देश में खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों पर अंकुश के लिए भारत सरकार द्वारा खाद्य तेलों पर आयात शुल्क की नीति में लगातार बदलाव किए गए हैं।”कीमत पर काबू पाने में आसानीएसईए ने कहा, “सितंबर, 2021 के दौरान खाद्य तेलों के आयात ने किसी एक महीने में 16.98 लाख टन के आयात का नया रिकॉर्ड बनाया है। इससे पहले अक्टूबर 2015 में भारत ने 16.51 लाख टन का आयात किया था।” एसईए के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता ने कहा, “साल 1996 में भारत द्वारा पाम तेल का आयात शुरू करने के बाद से सितंबर 2021 में 12.62 लाख टन पाम तेल का आयात किसी एक महीने में सबसे अधिक आयात है।”किसानों को हो सकती है दिक्कत देश में इस समय खाद्य तेलों के भाव बढ़ने का फायदा किसानों को भी मिल रहा है। आमतौर पर मार्च-अप्रैल में उपजने वाला सरसों ₹42-45 किलो के भाव से बिकता है, जिसकी कीमत अब ₹85 किलो तक चल रही है। इस साल सरसों के रिकॉर्ड भाव को देखते हुए बहुत से किसान सरसों की खेती करने का मन बना रहे थे। अब खाद्य तेल के खुदरा भाव में कमी की वजह से किसान दूसरी फसल की खेती करने की तरफ मुड़ सकते हैं।यह भी पढ़ें: Tata Group के शेयरों ने निवेशकों को डेढ़ साल में बना दिया अमीर, आप मौका चूक तो नहीं गए!Loan By Whatsapp: इस नंबर पर ‘Hi’ वाट्सऐप करने भर से मिल जाएगा 10 लाख रुपये का लोन!