Foreign investors are running away from China and turning to Japan

नई दिल्ली: दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी चीन (Chinese Economy) की हालत खस्ता होने लगी है। उसके इकॉनमिक ग्रोथ को लेकर तरह-तरह की आशंकाएं जताई जाने लगी है। साथ ही अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ उसका तनाव भी लगातार बना हुआ है। इससे विदेशी निवेशकों ने चीन से किनारा करना शुरू कर दिया है। गोल्डमैन सैश के मुताबिक इस साल के पहले छह महीनों में जापान के शेयरों में विदेशी निवेश चीन के मुकाबले आगे निकल गया है। साल 2017 के बाद यह पहला मौका है जब ऐसा हुआ है। जुलाई में भी यह बिकवाली जारी है जबकि चीन और हॉन्ग कॉन्ग के बाजारों में तेजी आई है।मोर्गन स्टेनली ने पिछले हफ्ते एक रिपोर्ट में लिखा कि विदेशी निवेशक चीन से किनारा कर रहे हैं और जापान के शेयरों में निवेश कर रहे हैं। लंबे समय बाद विदेशी निवेशक जापानी मार्केट का रुख कर रहे हैं। चीन ने इकॉनमी को पटरी पर लाने के लिए कई उपायों की घोषणा की है लेकिन निवेशकों को संदेह है कि इससे कोई फायदा होगा। बैंक ऑफ जापान ने हाल में अपने रुख में बदलाव किया है। जानकारों का कहना है कि जापान में मॉनीटरी पॉलिसी सामान्य हो रही है। इससे येन की कीमत में अचानक तेजी आने की संभावना नहीं है। यही वजह है कि विदेशी निवेशक अब एक बार फिर चीन को छोड़कर जापान का रुख कर रहे हैं।भारत से पंगा चीन को पड़ा बहुत महंगा, मोदी सरकार ने ड्रैगन को दिए पांच बड़े झटकेजापान पर दांवएशिया पर फोकस्ड फंड एलायंज ओरिएंटल इनकम के पास एक अरब डॉलर के एसेट्स हैं। यह कंपनी चीन से पैसा निकालकर जापान में लगा रही है। जून के अंत में फंड में जापान का वेटेज 40 परसेंट था जो चीन में कंपनी के निवेश से पांच गुना ज्यादा है। पिछले साल के अंत में जापान में फंड का वेटेज 25 परसेंट और चीन में 16 परसेंट था। जापान के शेयरों की थाह देने वाले एमएससीआई इंक में 2023 में 21 परसेंट तेजी आई है। वहीं एमएससीआई चाइना इंडेक्स इस साल महज 0.5 परसेंट बढ़ा है। जानेमाने निवेशक वॉरेन बफे ने भी जापान की तारीफ की है। एशिया पैसिफिक में जापान के शेयर मार्केट चीन के बाद दूसरे नंबर पर है।चीन की इकॉनमी सुस्त होती जा रही है और उसके हालात देखकर लोगों को जापान की याद आ रही है। एक जमाने में जापान की इकॉनमी रॉकेट की रफ्तार से बढ़ रही थी और माना जा रहा था कि वह अमेरिका को पीछे छोड़ देगा। लेकिन 1990 के दशक में जापान की इकॉनमी में ठहराव आ गया। हालांकि तब तक जापान की हाई-इनकम वाले देशों की श्रेणी में पहुंच चुका था और अमेरिका के लेवल के करीब था। आज चीन के हालात भी कमोबेश वैसे ही हैं। अंतर इतना है कि चीन मिडल इनकम पॉइंट से थोड़ा ही ऊपर पहुंचा है। चीन के नीति-निर्माताओं को उम्मीद थी कि चीन जल्दी ही अमेरिका को पीछे छोड़ देगा। लेकिन हाल फिलहाल यह संभव नहीं दिखता है।