नई दिल्ली: अमेरिकी रिसर्च फर्म Hindenburg Research की रिपोर्ट आने के बाद अडानी ग्रुप (Adani Group) को जबरदस्त नुकसान हुआ है। अडानी ग्रुप ने अपनी फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) का FPO वापस लेने के बाद बॉन्ड प्लान भी कैंसल कर दिया है। कंपनी ने इसके जरिए 10 अरब रुपये (12.2 करोड़ डॉलर) जुटाने की योजना बनाई थी। कंपनी पहली बार बॉन्ड्स की पब्लिक सेल करने जा रही थी। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी ने इस प्लान को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। Hindenburg Research की रिपोर्ट आने के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में 70 फीसदी तक गिरावट आई है और उसका मार्केट कैप 100 अरब डॉलर से ज्यादा घट गया है। अब हिंडनबर्ग-अडानी ग्रुप के मामले में बाजार नियामक सेबी की ओर से चुप्पी तोड़ी गई है।सेबी ने इस मामले में बयान जारी किया है। सेबी ने कहा है कि वह शेयर बाजार की अखंडता और सभी आवश्यक निगरानी सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। किसी शेयर में अत्याधिक उतार-चढ़ाव को रोकने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। हालांकि बाजार नियामक की ओर से जारी किए बयान में अडानी ग्रुप का नाम नहीं लिया गया था। पिछले हफ्ते देश के बड़े कारोबारी समूह अडानी के शेयरों में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला था। सेबी का यह बयान भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई के उस बयान के बाद आया है जिसमें उधारदाताओं की चिंताओं को दूर करते हुए कहा गया है कि देश की बैंकिंग प्रणाली लचीली और स्थिर बनी हुई है।इधर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि अडानी समूह के 20,000 करोड़ रुपये का एफपीओ (FPO) वापस लेने से देश की वृहत आर्थिक बुनियाद और अर्थव्यवस्था की छवि प्रभावित नहीं हुई है। वित्त मंत्री ने बजट के बाद यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पिछले दो दिनों में ही आठ अरब अमेरिकी डॉलर की विदेशी मुद्रा आई है। सीतारमण ने संवाददाताओं से कहा, ”…हमारा व्यापक आर्थिक बुनियादी आधार या हमारी अर्थव्यवस्था की छवि, इनमें से कोई भी प्रभावित नहीं हुई है। हां, एफपीओ (अनुवर्ती-सार्वजनिक पेशकश) आते रहे हैं और एफआईआई बाहर निकलते रहते हैं।” उन्होंने कहा कि अडानी मामले में नियामक अपना काम करेंगे।