हाइलाइट्स:पेट्रोल और डीजल पर लगाए गए टैक्स से सरकार की कमाई जबरदस्त तरीके से बढ़ रही हैइसका खुलासा क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की एक रिपोर्ट से हुआ हैक्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक पेट्रोलियम ईंधन की कीमत में लगातार बढ़ोतरी से सरकार का खजाना भी खूब भर रहा हैइसमें बताया गया है कि चालू वित्त वर्ष में राज्यों का राजस्व संग्रह कोविड पूर्व के स्तर को पार कर जाएगामुंबईपेट्रोल और डीजल (Petrol Diesel) पर लगाए गए टैक्स (Tax on Petrol Diesel) से सरकार की कमाई जबरदस्त तरीके से बढ़ रही है। इसका खुलासा क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल (Credit Rating Agency Crisil) की एक रिपोर्ट से हुआ है। क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक पेट्रोलियम ईंधन (Petrol-Diesel) की कीमत में लगातार बढ़ोतरी से सरकार का खजाना भी खूब भर रहा है। इसमें बताया गया है कि चालू वित्त वर्ष में राज्यों का राजस्व संग्रह कोविड पूर्व के स्तर को पार कर जाएगा।राजस्व संग्रह में 50 प्रतिशत की वृद्धिरेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट में कहा कि पेट्रोलियम ईंधन की कीमतों में भारी वृद्धि की वजह से राजस्व संग्रह में 50 प्रतिशत की वृद्धि होगी। पिछले वित्तीय वर्ष में 20 प्रतिशत का राजस्व योगदान रहा था। इसकी तुलना में 30 प्रतिशत अधिक टैक्स कलेक्शन होगा। हालांकि ईंधनों की कुल बिक्री में कमी दर्ज की जाएगी। ईंधनों से मिलने वाला कर राज्यों के राजस्व में 10 प्रतिशत का योगदान देता है।यह भी पढ़ें: Reliance 44th AGM: रिलायंस रिटेल जनरेट करेगी 10 लाख रोजगार, महामारी के बीच दीं 65 हजार नई नौकरियांराजस्व में 20 पर्सेंट जीएसटी का योगदानउल्लेखनीय है कि राज्यों के राजस्व में 20 प्रतिशत का योगदान जीएसटी (Good and service Tax) संग्रह के जरिए होता है। लॉकडाउन (Lockdown) में ढील दिए जाने से आर्थिक गतिविधियों में आई तेजी से वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही में सुधार हुआ है। राज्यों के राजस्व में केंद्रीय करों में हिस्सा (25 प्रतिशत) , राज्य जीएसटी (21 प्रतिशत), केंद्र से अनुदान (17 प्रतिशत) तथा पेट्रोल और अल्कोहल पर बिक्री कर (13 प्रतिशत) का बड़ा योगदान है। रिपोर्ट में हालांकि कहा गया, अगर देश में कोविड-19 की तीसरी लहर आती है और लॉकडाउन लगता है तो अनुमान में नकारात्मक बदलाव किया जा सकता है।पिछले साल 6 प्रतिशत की गिरावटपिछले वित्तीय वर्ष में 10 राज्यों के राजस्व में 6 प्रतिशत की गिरावट आई थी, लेकिन इस वित्तीय वर्ष में राजस्व संग्रह महामारी पूर्व का स्तर पार कर जाएगा। यह आकलन 10 बड़े राज्यों के अनुमानों पर आधारित है,जिनकी सम्मिलित सकल राज्य घरेलू उत्पाद में करीब 70 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इन राज्यों में महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और केरल शामिल हैं।टैक्स सेवर FD इन बैंकों में मिलेगा 6.75% तक का ब्याज