हाइलाइट्समौजूदा परिस्थितियों में सरकारी जमीन से जुड़े लेन-देन करने में क्षमता की कमी के कारण प्रक्रिया में देरी हुई है। नई एंटिटी में डोमेन विशेषज्ञों के साथ-साथ जटिल लेनदेन में प्रशिक्षित लोगों का स्टाफ होगा।बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नॉन कोर एसेट्स के मॉनेटाइजेशन के लिए एक कंपनी के रूप में एक एसपीवी का प्रस्ताव रखा था। नई दिल्लीNational Monetisation Pipeline: 6 लाख करोड़ रुपये की नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन (NMP) की घोषणा करने के बाद, सरकार ने सरप्लस भूमि को अलग करने के प्रयासों को तेज कर दिया है। जल्द ही सरकारी कंपनियों, मंत्रालयों और विभागों के लिए भूमि लेनदेन शुरू करने के लिए एक विशेष एंटिटी (स्पेशल पर्पस व्हीकल, या एसपीवी) स्थापित करने को लेकर कैबिनेट की मंजूरी ली जाएगी। एंटिटी, बंद हो चुकी है या बंद होने की कगार पर खड़ी सरकारी कंपनियों के भूमि लेनदेन को भी संभालेगी। सरकार पिछले चार-पांच वर्षों से जमीन के मॉनेटाइजेशन के लिए कई मॉडलों के साथ काम कर रही है और अब लगता है कि आखिरकार निर्णय को लागू करने की दिशा में आगे बढ़ गई है।10-15 दिनों में कैबिनेट से किया जाएगा संपर्कएक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘हम विवरण को अंतिम रूप दे रहे हैं और अगले 10 से 15 दिनों में हम इस एसपीवी की मंजूरी के लिए कैबिनेट से संपर्क करेंगे, जिसकी घोषणा बजट में की गई थी। बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नॉन कोर एसेट्स के मॉनेटाइजेशन के लिए एक कंपनी के रूप में एक एसपीवी का प्रस्ताव रखा था। ये नॉन कोर एसेट्स मंत्रालयों, विभागों और सार्वजनिक उपक्रमों की काफी हद तक सरप्लस भूमि हैं। वित्त मंत्री ने एसपीवी का प्रस्ताव रखते हुए कहा था, “भूमि का मॉनेटाइजेशन या तो प्रत्यक्ष बिक्री या रियायत या इसी तरह के माध्यम से हो सकता है। इसके लिए विशेष योग्यता की आवश्यकता है।”यह भी पढ़ें:मुकेश अंबानी तैयार कर रहे कोविड19 वैक्सीन, फेज-1 क्लीनिकल ट्रायल्स के लिए मिली मंजूरीबेचने से पहले सबमिट किया जाएगा लैंड एसेटअधिकारी ने कहा कि नई एंटिटी, पीएसयू और अन्य सरकारी एजेंसियों के लिए एक शुल्क के लिए भूमि लेनदेन करेगी और एक एजेंसी के रूप में कार्य करेगी, जहां लैंड एसेट्स को बेचने से पहले जमा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कई सार्वजनिक उपक्रम जो निजीकरण के कगार पर हैं, जैसे एयर इंडिया और बीईएमएल, जमीन और इमारतों सहित नॉन कोर एसेट्स यानी गैर जरूरी परिसंपत्तियों को बंद करने की प्रक्रिया में हैं। सरकारी टेलिकॉम कंपनियां BSNL और MTNL भी रिस्ट्रक्चरिंग प्रॉसेस के हिस्से के तौर पर सरप्लस लैंड के साथ-साथ बिल्डिंग और अपार्टमेंट बेचने की संभावना तलाश रही हैं। अधिकारी ने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में सरकारी जमीन से जुड़े लेन-देन करने में क्षमता की कमी के कारण प्रक्रिया में देरी हुई है। नई एंटिटी में डोमेन विशेषज्ञों के साथ-साथ जटिल लेनदेन में प्रशिक्षित लोगों का स्टाफ होगा।क्या है नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन, जिस पर हंगामा है बरपा