नई दिल्ली: साल 2020 से लेकर 2022 के बीच अडानी समूह (Adani Group) से रॉकेट की रफ्तार से अपना विस्तार किया। अडानी समूह के मालिक गौतम अडानी की संपत्ति में भी उसी रफ्तार से तेजी आई। फोर्ब्स बिलेनियर इंडेक्स के आंकड़ों के मुताबिक दो सालों में गौतम अडानी (Gautam Adani) की दौलत 9 अरब से बढ़कर 90 अरब डॉलर तक पहुंच गई। साल 2023 की शुरुआत में गौतम अडानी का नेटवर्थ 127 अरब डॉलर तक पहुंच गया था, लेकिन 24 जनवरी 2023 के बाद सबकुछ बदल गया। अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग ने एक रिपोर्ट जारी की। 109 पन्नों की इस रिपोर्ट में अडानी समूह पर गंभीर आरोप लगाए गए। हिंडनबर्ग ने चौंकाने वाले खुलासे किए, जिसके बाद गौतम अडानी की कंपनियों के शेयर, उनका मार्केट कैप, उनकी संपत्ति जब धराशाही हो गए। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी समूह की कंपनियों के शेयर के भाव 85 फीसदी तक गिर गए। वहीं अडानी ग्रुप का मार्केट कैप 147 अरब डॉलर तक गिर गया। खुद गौतम अडानी का नेटवर्थ 127 अरब डॉलर से लुढ़कर 31 अरब डॉलर तक गिर गया। जो गौतम अडानी कभी दुनिया के तीसरे सबसे अमीर उद्योगपति हुआ करते थे वो गिरकर 37वें नंबर पर पहुंच गए। लेकिन गौतम अडानी उन कारोबारियों में से नहीं जो हार मान जाएं । हिंडनबर्ग के बवंडर से उठे तूफान से अडानी वापस निकल रहे हैं। करीब 1 महीने की गिरावट के बाद अडानी के शेयरों में तेजी लौटने लगी है। पिछले 10 दिनों से अडानी के शेयरों में तेजी लौटी है। 10 में से अधिकांश शेयर चढ़ने लगे हैं। ट्रांसमिशन, अडानी पोर्ट्स, अडानी ग्रीन एनर्जी, अडानी टोटल गैस जैसे शेयरों में अपर सर्किट लगे हैं। आखिर वो कौन सी वजह है, जिसके कारण अडानी इस मुश्किल से निकल पा रहे हैं। हम ऐसी ही पांच वजह बता रहे हैं। मजबूत कारोबारहिंडनबर्ग के खुलासे के बाद बाजार का सेंटिमेंट बिगड़ा और अडानी के शेयरों में गिरावट आने लगी। लेकिन एक समय के बाद लगने लगा क इस गिरावट की कोई वजह नहीं रह गई है। अडानी का कारोबार काफी मजबूत है। अडानी की कंपनियां मुनाफे में हैं। खासकर अडानी पोर्ट्स, अडानी ग्रीन एनर्जी, अडानी विल्मर का बिजनस कफी मजबूत है और अपने सेक्टर में उनकी मोनोपोली है। अगर अडानी पोर्ट्स की ही बात करें तो भारत का 25 फीसदी से ज्यादा पोर्ट्स कारोबार अडानी समूह के पास है। वहीं ग्रीन एनर्जी सेक्टर में अब तक दूसरी कंपनियां अपनी मौजूदगी तलाश रही हैं। अडानी ग्रीन का कारोबार 12 राज्यों में फैला है। अडानी ग्रीन एनर्जी के पास 20434 मेगावाट की परियोजनाएं है। कारोबार की मजबूती देखकर निवेशकों का भरोसा फिर से अडानी समूह पर बढ़ने लगा। निवेशकों का भरोसा बढ़ा, रेटिंग एजेंसियों का मिला साथरेटिंग एजेसियों ने पहले अडानी समूह को झटका दिया, लेकिन फिर स्थिति को एनालिसिस करने के बाद अडानी की रेटिंग में सुधार कर दिया। फिच , मूडीज जैसी रेटिंग एजेंसियों की रेटिंग के कारण निवेशकों का भरोसा अडानी समूह पर बढ़ा। रेटिंग एजेंसियों ने अडानी के कर्ज को भी खतरे से निशान से नीचे बताया। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने अडानी ग्रीन को अंडर ऑब्जर्वेशन से बाहर कर दिया । इन सबका असर निवेशकों के भरोसे को बढ़ाने पर हुआ। कर्ज को लेकर बैंकों का भरोसाअडानी समूह पर कर्ज को लेकर पहले भी बातें होती रही है। हिंडनबर्ग ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा कि गौतम अडानी की कंपनियों पर जरूरत से ज्यादा कर्ज है। लेकिन एसबीआई, बैंक ऑफ बड़ौदा ने अडानी के कर्ज को खतरे के निशान से नीचे बताया। एसबीआई ने कहा कि अडानी समूह की कंपनियों को दिया गया कुल कर्ज का मात्र 0.88 फीसदी है। बैंकों की सफाई ने भी निवेशकों के भरोसे को बढ़ाने में मदद की।अमेरिका से मिला साथमुश्किल के वक्त में अडानी के लिए अमेरिका से बड़ी खुशखबरी आई। अमेरिकी इन्वेस्टमेंट फर्म जीक्यूजी ने अडानी समूह की 4 कंपनियों में 15446 करोड़ रुपये का निवेश किया। बुटीक इन्वेस्टमेंट फर्म जीक्यूजी पार्टनर्स के चैयरमैन राजीव जैन ने कहा कि अडानी समूह के पास मजबूत कारोबार, अनुभव और आकर्षक वैल्यूएशन वाले एसेट्स हैं। कंपनी की स्थिति अच्छी है इसलिए वो निवेश कर रहे हैं। लोन की प्रीपेमेंट और रोड शोअडानी समूह ने निवेशकों का भरोसा जीतने के लिए समय से पूर्व कर्ज चुकाने पर काम करना शुरू कर दिया। अडानी ने हाल ही में कहा है कि 7374 करोड़ रुपये का कर्ज चुकाया है। वहीं अडानी पोर्ट्स ने एसबीआई म्युचुअल फंड के 1500 करोड़ का लोन समय से पहले चुका दिया। वहीं कंपनी ने कहा है कि वो अपने बाकी कर्ज भी समय से पहले चुका देगी। वहीं अडानी समूह निवेशकों का भरोसा जीतने के लिए सिंगापुर, हांगकांग, दुबई, अमेरिका, लंदन में रोडशो कर चुके हैं। सिंगापुर और हांगकांग में फिक्स्ड इनकम रोडशो के बाद उन्होंने तीन और देशों में रोडशो का फैसला किया। रोडशो के जरिए वो निवेशकों को भरोसा दिलाना चाहते हैं कि उनकी कमपनी की स्थिति मजबूत है।