नई दिल्ली: चीन को पीछे छोड़कर भारत दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन गया है। इसके साथ ही भारत की इकॉनमी भी तेजी से बढ़ रही है। जानकारों का कहना है कि अगले एक दशक तक भारत में इन्वेस्टमेंट बूम देखने को मिल सकता है। गोल्डमैन सैश ग्रुप इंक के एनालिस्ट्स का कहना है कि 2075 तक दुनिया की इकॉनमी में भारत की हिस्सेदारी चार गुना बढ़कर 12 परसेंट हो जाएगी। तब भारत और चीन के बीच अंतर बहुत कम रह जाएगा। दूसरी तरफ अमेरिका की हिस्सेदारी आज के मुकाबले आधी रह जाएगी। यानी निवेशकों के पास भारत और चीन की बढ़ती आर्थिक ताकत से प्रॉफिट कमाने का मौका है। सवाल यह है कि दोनों में से कौन आने वाले दिनों में निवेशकों के लिए ज्यादा फायदेमंद हो सकता है।चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी है। उसके पास बहुत बड़ा कंज्यूमर मार्केट और एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग है। लेकिन भारत के पश्चिमी देशों के साथ अच्छे संबंध हैं और साथ में बहुत बड़ी युवा आबादी है। भारत की इकॉनमी के छह से सात परसेंट की रफ्तार से बढ़ने की उम्मीद है जो चीन से ज्यादा है। देश का मिडिल क्लास भी अपनी जरूरतों से इतर खर्च करने को बेकरार है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक Neuberger Berman में पोर्टफोलियो मैनेजर कोनराड साल्डन्हा ने कहा कि दुनियाभर की कंपनियां मैन्युफैक्चरिंग के लिए चीन की विकल्प खोज रही हैं और इसका फायदा भारत को होगा। उन्होंने कहा कि भारत इस मौके का फायदा उठाने के लिए सबसे बेहतर स्थिति में है।भारत बना दुनिया की तीसरी बड़ी इकॉनमी, अमेरिका को पछाड़ चीन पहले नंबर पर, जापान-रूस हमसे पीछेकिसका पलड़ा भारीइसी तरह फ्रेंकलिन टेंपलटन में पोर्टफोलियो मैनेजमेंट के डायरेक्टर सुकुमार राजा ने कहा कि भारत में कंज्यूमर स्पेंडिंग में बढ़ोतरी से निवेश के नए अवसर खुलेंगे। लेकिन Pictet Wealth Management में चीफ इनवेस्टमेंट ऑफिसर Hugus Rialan ने कहा कि भारतीय शेयर बहुत महंगे हैं। 2016 से 2022 तक हर साल इक्विटी बेंचमार्क्स में तेजी आई है। अगले 12 से 24 महीने तक हम चीन में निवेश करना पसंद करेंगे क्योंकि वहां के शेयर काफी सस्ते हैं। हमें उम्मीद है कि चीन की इकॉनमी में तेजी आएगी। भारत या चीन में निवेश करने के बारे में कहा कहते हैं दुनिया के दिग्गज निवेशक…मार्क मोबियसपार्टनर एंड को-फाउंडर, मोबियस कैपिटल पार्टनर्स, दुबईलॉन्ग टर्म में भारत के मैक्रो फैक्टर्स ज्यादा बेहतर हैं क्योंकि डेमोग्राफी उसके साथ है। भारत में टेक और डिजिटल के स्टॉक बेहतर चॉइस हो सकते हैं। एपीएल अपोलो ट्यूब्स, मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर, परसिसटेंट सिस्टम्स, सीई इन्फो सिस्टम्स और ड्रीमफोक्स सर्विसेज पर दाव खेला जा सकता है। चीन में सीमित अवसर हैं क्योंकि उसकी ग्रोथ पहले जैसी नहीं होगी।माइकल ओपोर्टफोलियो मैनेजर, मैथ्यूज एशिया, सैन फ्रांसिस्कोभारत डेमोग्राफिकली बेहतर पोजीशन में है। भारत में आईसीआईसीआई बैंक पर दाव खेला जा सकता है। मैं सरकारी कंपनियों के बजाय प्राइवेट कंपनियों को पसंद करूंगा। मुझे चीन की बूढ़ी होती आबादी से कोई दिक्कत नहीं है। वहां अब भी प्रॉडक्टिविटी और इनकम लेवल में सुधार किया जा सकता है।हीरेन दसानीमैनेजिंग डायरेक्टर, गोल्डमैन सैश एसेट मैनेजमेंट, सिंगापुरदोनों मार्केट्स अपनी डायनैमिक्स को फॉलो करेंगे। इन्वेस्टर्स एक मार्केट से दूसरे मार्केट में रोटेट कर सकते हैं। भारत लंबे समय तक फायदे का सौदा रह सकता है। भारत उन चंद मार्केट्स में है जो स्केल, ग्रोथ और प्रॉफिटैबिलिटी का संगम है। चीन में एक्सपोर्ट, इन्फ्रा और रियल एस्टेट का बोलबाला था। आगे ग्रोथ के लिए उसे घरेलू खपत को बढ़ाना होगा।एजाज इब्राहिमएमर्जिंग मार्केट्स एंड एशिया पैसिफिक इक्विटीज पोर्टफोलियो मैनेजर, जेपीमोर्गन एसेट मैनेजमेंट, हॉन्ग कॉन्गफंडामेंटली हमें दोनों मार्केट पसंद है। लेकिन वैल्यूएशन में देखें तो हमारी पसंद चीन होगा। भारत में हम फाइनेंशियल खासकर प्राइवेट बैंक्स और इंश्योरेंस कंपनियों को तरजीह देंगे। भारत की इकॉनमी तेजी से बढ़ रही है और मिडल क्लास बढ़ रहा है। इसके साथ ही फाइनेंशियल प्रॉडक्ट्स और सर्विसेज की डिमांड भी बढ़ रही है।सेसीलिया चानचीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर फॉर एशिया पैसिफिक, एचएसबीसी एसेट मैनेजमेंट, हॉन्ग कॉन्गभारत अपनी बढ़ती आबादी, सुधार और गुड पॉलिसी मिक्स के कारण ब्राइट स्पॉट होगा। हमें खासकर रियल एस्टेट सेक्टर में काफी अवसर दिख रहे हैं। साथ ही हम बड़े प्राइवेट बैंकों में भी निवेश करना पसंद करेंगे। जहां तक चीन का सवाल है तो वहां तकनीक से वहां क्वालिटी ऑफ लाइफ में सुधार आएगा। हम वहां कम्युनिकेशन सर्विसेज, आईटी तथा इंडस्ट्रियल शेयरों को फेवर कर सकते हैं।