हाइलाइट्स8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा हुई थीनोटबंदी अपने 4 में से 3 उद्देश्यों पर खरी उतरी हैदेश में डिजिटल ट्रांजैक्शंस में लगातार तेजी आ रही हैनकली नोटों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई हैमुंबईआज से ठीक 5 साल पहले 8 नवंबर, 2016 को मोदी सरकार ने नोटबंदी (demonetisation) की घोषणा की थी। इसके तहत 500 और 1000 रुपये के नोट चलन से बाहर कर दिए गए थे। नोटबंदी 4 उद्देश्यों में से कम से कम 3 पर खरी उतरी है। देश में डिजिटल ट्रांजैक्शंस (digital transactions) में लगातार तेजी आ रही है। नकली नोटों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है। साथ ही इस बात के भी संकेत हैं कि इकॉनमी अब ज्यादा से ज्यादा फॉर्मल हो रही है।एसबीआई (SBI) के ग्रुप चीफ इकॉनमिस्ट सौम्य कांति घोष (Saumya Kanti Ghosh) के मुताबिक इंडिकेटर्स के मुताबिक देश में इनफॉर्मल इकॉनमी सिकुड़कर अब जीडीपी (GDP) का 20 फीसदी रह गई है जो कुछ साल पहले 50 फीसदी थी। यह यूरोप के लगभग बराबर है और लेटिन अमेरिकी देशों से कहीं बेहतर है। दक्षिण अमेरिकी देशों में इनफॉर्मल इकॉनमी का अनुमानित साइज करीब 34 फीसदी है।ट्विटर यूजर्स ने Tesla के शेयर बेचने के पक्ष में दी राय, जानिए Elon Musk ने क्या कहाबढ़ रहा है जीएसटी कलेक्शनघोष ने कहा, जीडीपी के सिकुड़ने के बावजूद जीएसटी कलेक्शन में तेजी इस बात का प्रमाण है कि इकॉनमी तेजी से फॉर्मल हो रही है। इससे साफ है कि फिस्कल पॉलिसी को काउंटर साइक्लिकल पॉलिसी टूल के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। यह पूर्व से अलग स्थिति है क्योंकि देश में फिस्कल पॉलिसी को हमेशा प्रो-साइक्लिक फिस्कल पॉलिसी टूल के रूप में इस्तेमाल किया गया है।हाल के आंकड़ों के मुताबिक आर्थिक गतिविधियों में हाल में तेजी आई है लेकिन उस अनुपात में करेंसी सर्कुलेशन में तेजी नहीं आई है। हाई लेवल डिजिटाइजेशन ने इकॉनमी को इकॉनमी को कैश में बढ़ोतरी के बिना आगे बढ़ने की क्षमता दे दी है। इकॉनमी में फॉर्मलाइजेशन बढ़ने और करेंसी अंडर सर्कुलेशन में कोई परस्पर संबंध नहीं है। फॉर्मल इकॉनमी के स्टेकहोल्डर्स भी कंज्यूमर हैं। उनके पास ज्यादा कैश हो सकता है लेकिन अब डिजिटल फुटप्रिंट्स के जरिए ज्यादा ट्रांजैक्शन हो रहा है।