नई दिल्ली Poverty in India: देश में मल्टीडाइमेंशनल गरीबी पर नीति आयोग के आंकड़े सामने आने के बाद बवाल मचा हुआ है। बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और मेघालय जैसे राज्य देश में सबसे गरीब राज्य बन कर उभरे हैं। बिहार की 50 फ़ीसदी से अधिक आबादी गरीब है। नीति आयोग की मल्टीडाइमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स में यह जानकारी दी गई है। नीति आयोग ने इस इंडेक्स का हाल में ही खुलासा किया है। नीति आयोग के इस इंडेक्स के हिसाब से बिहार की आबादी का करीब 52 फ़ीसदी गरीब है, जबकि झारखंड में 42.16 फ़ीसदी लोग गरीब हैं। उत्तर प्रदेश में करीब 38 फ़ीसदी, मध्यप्रदेश में करीब 37 फ़ीसदी और मेघालय एवं असम में करीब 33 फ़ीसदी लोग गरीब हैं।यह भी पढ़ें: जीवन का सबसे बड़ा नुकसान क्या, उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला ने बतायाकिन राज्यों में सबसे कम गरीबी? केरल, गोवा, सिक्किम, तमिलनाडु और पंजाब जैसे राज्य देश में सबसे अमीर राज्यों की सूची में शामिल है। इन राज्यों में गरीब लोगों की कम आबादी के हिसाब से यह इंडेक्स में सबसे नीचे हैं। केरल में कुल आबादी का करीब 0.71 फ़ीसदी गरीब है, जबकि गोवा में 3.76 फ़ीसदी, सिक्किम में 3.82 फ़ीसदी, तमिलनाडु में 4.89 फ़ीसदी और पंजाब में 5.59 फ़ीसदी लोग गरीब हैं।डबल इंजन की सरकार से फायदा कई बार केंद्र की सरकार यह कहती है कि अगर केंद्र और राज्य दोनों में एक दल की सरकार हो तो उसका विकास तेजी से होता है और वहां के लोगों को गरीबी से मदद मिलती है।अगर नीति आयोग के मल्टीडाइमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स की बात करें तो यह सच साबित होता नहीं दिखता। बिहार, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में कई साल से डबल इंजन की सरकार है इसके बाद भी यह गरीबी के पैमाने पर सबसे आगे मौजूद हैं।केंद्र शासित प्रदेश की हालत बेहतर कम आबादी के साथ केंद्र शासित प्रदेश देश में गरीबी को दूर करने में सफल साबित हुए हैं। पुडुचेरी की आबादी का सिर्फ 1.72% गरीब है जबकि लक्ष्दीप में 1.82% लोग गरीब हैं। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 4.3 फ़ीसदी, दिल्ली में 4.8 फ़ीसदी और चंडीगढ़ में करीब 6 फीसदी लोग गरीब हैं। मल्टीडाइमेंशनल पॉवर्टी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आधार पर विकसित किया गया है। नीति आयोग ने कहा है कि इस इंडेक्स को बनाने में इस बात का ध्यान रखा गया है कि कोई भी इससे बाहर ना रह जाए। सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल में भारत का उद्देश्य यह है कि देश में पुरुष, महिला और बच्चों की कम से कम आधी आबादी को गरीबी के दायरे से बाहर निकाला जाए।राज्यों को किस हिसाब से मिली रैंकिंग बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) में मुख्य रूप से परिवार की आर्थिक और अभाव की स्थिति को आंका जाता है। भारत के एमपीआई में तीन समान आयामों- स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर का मूल्यांकन किया जाता है। इसका आकलन पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, प्रसवपूर्व देखभाल, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने के ईंधन, स्वच्छता, पीने के पानी, बिजली, आवास, संपत्ति और बैंक खाते जैसे 12 संकेतकों के जरिए किया जाता है।यह भी पढ़ें: 2000 रुपये की पूंजी से शुरू कारोबार को वंदना लूथरा ने कैसे पहुंचाया 18 देशों में?बिटकॉइन और आरबीआई की डिजिटल करेंसी CBDC में क्या फर्क होगा?