Naresh Goyal: अर्श से फर्श तक… दिल्ली के बंगाली मार्केट में क्या करते थे जेट एयरवेज के फाउंडर नरेश गोयल? – meet naresh goyal who built jet airways a successful airline and then sank it

​शुरुआती दिन1975 के आसपास का दौर था, जब पंजाब के संगरूर से आए नौजवान नरेश गोयल दिल्ली की बंगाली मार्केट की एक मशहूर मिठाई की दुकान बंगाली स्वीट हाउस में पार्ट टाइम काम करते थे। नरेश गोयल बंगाली मार्केट की ही एक बरसाती में रहते भी थे। जेट एयरवेज के फाउंडर नरेश गोयल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में भेजे जाने से बंगाली मार्केट के बहुत से बुजुर्ग दुकानदारों को वो गुजरा जमाना याद आ गया, जब नरेश गोयल यहां का हिस्सा थे।​बंगाली मार्केट की बरसातीनरेश गोयल पंजाब के शहर संगरूर से दिल्ली आए थे। वे बंगाली मार्केट की एक कोठी की बरसाती में रहने लगे। उन दिनों तक दिल्ली में बरसाती कल्चर था। कई मकान मालिक अपने घरों के तीसरे फ्लोर में एक कमरा बना देते थे। कुछ उसी तरह की बरसाती में नरेश गोयल रहते थे। वहां पर रहते हुए उनकी मुलाकात बंगाली मार्केट में बंगाली स्वीट्स के मालिक लाला भीमसेन से होने लगी। वह नरेश गोयल से उनके काम-धंधे का हाल-चाल पूछते। लाला भीमसेन अपने कस्टमर्स से लेकर बंगाली मार्केट में रहने वालों के हमदर्द भी हुआ करते थे।​पार्ट टाइम नौकरीकहते हैं कि उन्होंने नरेश गोयल को भी पार्ट टाइम अपनी दुकान में काम देना शुरू कर दिया। वह नरेश गोयल के लिए स्ट्रगल के दिन थे। नरेश गोयल सुबह शाम बंगाली स्वीट्स में खाना खा लेते। वह दिन में अंसल भवन में दास एयरलाइंस नाम की एक एयरलाइंस की टिकटें बेचने वाली कंपनी में काम करते। रोज कुछ घंटे बंगाली मार्केट में जॉब भी करते। कभी-कभी बंगाली मार्केट के करीब की रिफ्यूजी मार्केट में जाकर कुट्टन के साउथ इंडियन रेस्तरां में भी खाना खा लिया करते।​आकाश छूना था नरेश का ख्वाबनरेश गोयल को करीब से जानने वाले वायुदूत एयरलाइंस के फाउंडर चेयरमैन हर्षवर्धन बताते हैं कि वह दिल्ली में नौकरी करने के इरादे से तो नहीं आए थे। उनके कई ख्वाब थे। वह आकाश को छूने का इरादा रखते थे। इसलिए कुछ दिनों तक नौकरी करने के बाद नरेश गोयल ने इराक और कुवैत एयरलाइंस की टिकटों को बेचने का काम चालू कर दिया। तब इराक एयरलाइंस का दफ्तर कस्तूरबा गांधी मार्ग के अंसल भवन में था। नरेश गोयल का धंधा चमकने लगा। काम चला तो गोयल ने कृष्णा नगर में एक घर खरीद लिया पर बंगाली मार्केट की बरसाती नहीं छोड़ी।​क्यों छोड़ी दिल्लीउनके दिल्ली के दिनों के करीबी राजन धवन बताते हैं कि उन्होंने चार्टर फ्लाइट के काम में भी जल्दी हाथ आजमाया। उसमें उन्हें जमकर कमाई होने लगी। नरेश गोयल और उनका एक दोस्त अमृतसर से चार्टर फ्लाइट लंदन में लेकर जाने लगे। फिर नरेश गोयल ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। सरकार ने 1990 के दशक में एविएशन सेक्टर में एफडीआई का रास्ता खोला। उसके फौरन बाद नरेश गोयल ने दिल्ली छोड़ दी। उन्हें समझ आ गया था कि असली उड़ान तो मुंबई में ही भरी जाएगी। मुंबई में जाकर वे आसमान से बातें करने लगे। उनके जेट एयरवेज की उड़ानें 17 अप्रैल 2019 से बंद है।