Nitin Gadkari launches Bharat NCAP now you can know how safe your car is

नई दिल्ली: अब अपने देश में ही कारों का क्रैश टेस्ट कर उन्हें सेफ्टी स्टार रेटिंग दी जा सकेगी। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को भारत NCAP (न्यू कार असेसमेंट कार्यक्रम) और एआईएस-197 के तहत कारों को दी जाने वाली स्टार रेटिंग की शुरुआत की। 1 अक्टूबर से कार निर्माता इस सिस्टम के तहत अपनी कारों की सेफ्टी के लिहाज से स्टार रेटिंग करा सकेंगे। इसमें फाइव स्टार से लेकर सिंगल स्टार रेटिंग शामिल होगी। जो कार जितने सुरक्षा मानकों पर खरी उतरेगी, उसे उसी हिसाब से स्टार रेटिंग दी जाएगी। हालांकि स्टार रेटिंग से कारों की कीमतें बढ़ने की आशंका है। इसका फर्क कारों की कीमत पर कितना पड़ेगा, यह आने वाला वक्त बताएगा।केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि फिलहाल कार बनाने वाली कंपनियों के लिए सेफ्टी स्टार रेटिंग अनिवार्य नहीं है। इसे वैकल्पिक रखा गया है। वे स्वेच्छा से अपनी कारों का सेफ्टी ऑडिट करा सकते हैं। ये ऑडिट पहले विदेशों में कराया जाता था। देश में हर दिन एक हजार से ज्यादा सड़क दुर्घटनाओं में 400 लोगों की मौत हो जाती हैं। कारों की स्टार रेटिंग से यह स्थिति सुधरेगी।अब दुनियाभर में बजेगा भारत की गाड़ियों का डंका, नितिन गडकरी ने लॉन्च किया Bharat NCAPग्लोबल स्टैंडर्ड से कम नहींभारत एनसीएपी किसी भी स्तर पर ग्लोबल एनसीएपी से कम नहीं होगा। इसे भारत की सड़कों, ड्राइविंग पैटर्न और अन्य तमाम परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए ही बनाया गया है। कार बनाने वाली कंपनियों के लिए यह टेस्ट कराना अभी वैकल्पिक है। अधिकतर देशों में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में हेडऑन एक्सीडेंट के मामले काफी देखे जाते हैं। लेकिन भारत में ट्रैफिक सिस्टम काफी अलग है। यहां लोग लेन ड्राइविंग करने में लापरवाही बरतते हैं। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए ही भारत में किए जाने वाले क्रैश टेस्ट के लिए हेडऑन, साइड से टक्कर और अन्य तरह से होने वाली सड़क दुर्घटनाओं को ध्यान में रखते हुए यह टेस्ट किए जाएंगे।इनमें आमने-सामने, साइड और पोल साइड इंपेक्ट को जांचने वाले टेस्ट थ्री, फोर और फाइव स्टार रेटिंग वाले में अनिवार्य रूप से किए जाएंगे। कारों पर स्टार रेटिंग के स्टीकर लगाए जाएंगे। जिससे उपभोक्ताओं को कार खरीदते समय स्टार रेटिंग के बारे में जानकारी रहे। एक्सपर्ट पीयूष तिवारी का कहना है कि यह किसी भी स्तर पर ग्लोबल एनसीएपी से कम नहीं होगा। मानक बनाते समय इस बात का ख्याल रखा गया है कि कारों के क्रैश टेस्ट में वह तमाम जांच होनी चाहिए। जिनसे सड़क दुर्घटनाओं में कार सवारों की जान जाने का खतरा अधिक से अधिक रहता है। कुछ देशों में होने वाली सड़क दुर्घटनाएं कुछ अलग नेचर की हो सकती है। लेकिन भारत के लिहाज से इसमें काफी काम किया गया है। क्योंकि, यहां का ट्रैफिक सिस्टम एकदम अलग है।काम खराब किया तो बुल्डोजर चलेगा… नागपुर में नितिन गडकरी ने ठेकेदारों की जमकर ली क्लासरेटिंग के लिए कैसे होंगे मानकअधिकारियों ने बताया कि जिस कार को फाइव स्टार रेटिंग दी जाएगी। उस कार का 68 तरह का क्रैश टेस्ट किया जाएगा। इसमें 27 तरह की जांच बड़ों के लिए और 41 तरह की जांच बच्चों के लिहाज से की जाएंगी। इन तमाम टेस्टों पर खरी उतरने वाली कारों को ही फाइव स्टार रेटिंग दी जाएगी। अगर इसमें कुछ कमी रह जाती है तो उसी हिसाब से उसकी रेटिंग कम कर दी जाएगी। फोर स्टार रेटिंग में बड़ों और बच्चों के लिए 22 और 35 तरह के टेस्ट, थ्री स्टार रेटिंग में 16 और 27, डबल स्टार में 10 और 18 और सिंगल स्टार रेटिंग में बड़ों के लिए चार तरह के और बच्चों के लिहाज से नौ तरह के क्रैश टेस्ट किए जाएंगे।क्या कम होंगे सड़क हादसेपिछले साल टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री और उनके दोस्त की कार हादसे में मौत के बाद सड़क दुर्घटनाओं को लेकर गंभीर चिंता जाहिर की गई थी। सेफ्टी स्टार रेटिंग के पीछे मकसद ऐसी सड़क दुर्घटनाओं को रोकना ही है। दावा किया जा रहा है कि नये सुरक्षा मानकों में न केवल आगे-पीछे के क्रैश टेस्ट किए जाएंगे, बल्कि कार के दोनों साइडों के भी क्रैश टेस्ट होंगे लेकिन बड़ा सवाल यह होगा कि इसकी निगरानी कैसे होगी। यह भी देखना होगा कि कहीं कार कंपनियां इन फीचर्स के नाम पर कार की कीमतों को बेतहाशा तरीके से न बढ़ा दें। इसके साथ ही दुर्घटनाएं रोकने के लिए सड़कों को भी सुरक्षित बनाना होगा। गाड़ी चलाने वालों का ड्राइविंग सेंस बेहतर करने की कोशिशें भी जारी रखनी होंगी। तभी पूरे विश्व में सबसे अधिक दुर्घटना वाले देश की लिस्ट से हम बाहर आ सकेंगे।