नई दिल्ली: कोरोना काल में एक ओर जहां देश में बेरोजगारी बढ़ने के दावे किए जा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ कंपनियों को मैनेजमेंट संस्थानों के कैंपस से खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। इकॉनमी के पटरी पर लौटने के साथ ही कंपनियां जमकर रिक्रूटमेंट (placement in management schools) कर रही हैं। देशभर के मैनेजमेंट स्कूलों में प्लेसमेंट कुछ ही घंटों में निपट गया और कंपनियों को मायूस होकर लौटना पड़ा। मैनेजमेंट संस्थानों के पास प्लेसमेंट के लिए छात्र नहीं हैं।पिछले साल जब कोरोना लॉकडाउन में ढील दी गई थी तो देशभर में पर्यटकों की बाढ़ आ गई थी। इसे revenge tourism नाम दिया गया था। मैनेजमेंट संस्थानों में प्लेसमेंट में भी कुछ इसी तरह की स्थिति देखने को मिल रहे है। इसे revenge placements कहा जा सकता है। महामारी के कारण इन संस्थानों में पिछले दो साल रिक्रूटमेंट की रफ्तार सुस्त रही थी। लेकिन इस बार युवा प्रतिभाओं के लिए कंपनियों में होड़ मची हुई है। कई कंपनियों को कैंपस से वापस लौटना पड़ा है। इसकी वजह यह है कि संस्थानों के पास अब रिक्रूटमेंट के लिए कोई छात्र नहीं है।Unemployment news: रेलवे पर यूं ही नहीं फूटा युवाओं का गुस्सा, जानिए इसकी असली वजहकंपनियों से मांगनी पड़ी माफीजमनालाल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (JBIMS) में फाइनल प्लेसमेंट तीन दिन में ही निपट गया। संस्थान के डायरेक्टर श्रीनिवासन अयंगर ने बताया कि कुल 112 कंपनियों ने प्लेसमेंट के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था जिनमें से 57 से संस्थान को माफी मांगनी पड़ी। संस्थान ने इन कंपनियों को भेजे लेटर में कहा है कि 2022 बैच की फाइनल प्लेसमेंट प्रोसेस पूरी हो गई है और सभी स्टूडेंट्स का रिक्रूटमेंट हो गया है। विभिन्न सेक्टर्स की कंपनियों ने इसमें बढ़चढ़कर हिस्सा लिया। इसका असर देश में सभी बिजनस संस्थानों पर पड़ा है और जेबीआईएमएस भी अपवाद नहीं है। हमें इस बात का खेद है कि कई कंपनियों को इसमें जगह नहीं मिल पाई।Jobs news: इस सरकारी योजना से मिलेंगी तीन करोड़ नौकरियां, रूरल इकॉनमी को मिलेगा दमइंडियन इंस्टीट्यूट्स ऑफ मैनेजमेंट (IIM) में भी यही स्थिति रही। आईआईएम कोझिकोड के डायरेक्टर प्रोफेसर देवाशीष चटर्जी ने कहा कि revenge travel की तरह यह साल revenge placements का रहा। पिछले साल जिस प्रोसेस में छह दिन लगे थे, इस बार वह तीन दिन में ही निपट गया। बैच साइज और प्रोग्राम पोर्टफोलियो में ज्यादा डाइवर्सिफिकेशन के बावजूद एवरेज सैलरी में भी भारी बढ़ोतरी देखने को मिली। लिबरल स्टडीज एंड मैनेजमेंट और फाइनेंस में पीजीपी के पहले बैच में भी रेकॉर्ड हायरिंग देखने को मिली।जॉब खोजने या बदलने की है कोशिश, आपको जल्द मिलने वाली है खुशखबरीनौकरियों की भरमारआईआईएम इंदौर में भी प्लेसमेंट सीजन रेकॉर्ड टाइम में निपट गया। संस्थान के डायरेक्टर हिमांशु राय ने कहा कि इकॉनमी पटरी पर लौट रही है और इसे देखते हुए प्रमुख कंपनियों ने बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स को रिक्रूट किया। इस रेस में कई कंपनियों को नंबर नहीं आ पाया। इसी तरह मुंबई के NMIMS को एमबीओ कोर और एमबीए एचआर के छात्रों के फाइनल प्लेसमेंट में आठ दिन लगे जबकि पिछले साल इसमें करीब तीन हफ्ते का समय लगा था। संस्थान के डीन प्रशांत मिश्रा ने कहा कि कंपनियो ने बड़ी संख्या में रिक्रूटमेंट किया है। 30 फीसदी बैच पीपीओ रूट से प्लेस हुआ।