हाइलाइट्स:15 वर्षों बाद देश का कोई राष्ट्रपति ट्रेन से सफर कर रहा है। भारत के राष्ट्रपति देश की जनता से मिलने के लिए ट्रेन का इस्तेमाल करते आए हैं। राष्ट्रपति कोविंद भी उसी परंपरा का पालन कर रहे हैं। नई दिल्लीPresident’s Train Travel: भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ram Nath Kovind) 25 जून को दिल्ली सफदरजंग रेलवे स्टेशन से एक विशेष रेलगाड़ी द्वारा कानपुर की ओर रवाना हो गए। राष्ट्रपति उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में स्थित अपने जन्मस्थान परौंख का दौरा करेंगे। राष्ट्रपति का पदभार संभालने के बाद कोविंद का अपने गांव का यह पहला दौरा है। आजादी के बाद से उपयोग में लाए जा रहे राष्ट्रपति सेलून की सेवाओं को स्वयं राष्ट्रपति के निर्देश पर बंद कर दिया गया था। इससे सेलून के सालाना नवीनीकरण और रख-रखाव पर आने वाले करोड़ों रुपये के खर्च की बचत हुई। कोविड19 महामारी के बाद जब देश में पुनरुत्थान और पुनर्निर्माण की शुरुआत हुई तो भारतीय रेलवे ने राष्ट्रपति से इस जन-परिवहन प्रणाली से यात्रा करने का अनुरोध किया था। इसके लिए नई दिल्ली से राष्ट्रपति के पैतृक गांव के लिए एक विशेष रेलगाड़ी चलाई गई।रेलकर्मियों का बढ़ेगा मनोबलइस कदम से उन रेलकर्मियों का मनोबल बढ़ेगा जिन्होंने महामारी के कठिन समय के दौरान लगन और मेहनत से अपनी सेवाएं दी हैं। इससे लोगों को व्यापार, पर्यटन और अन्य उद्देश्यों के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में रेलगाड़ियों से यात्रा करने का प्रोत्साहन मिलेगा और साथ ही रेलयात्रा में उनका भरोसा भी बढ़ेगा। 29 जून को लौटेंगे दिल्लीराष्ट्रपति को ले जाने वाली यह विशेष रेलगाड़ी कानपुर देहात के झींझक व रूरा रेलवे स्टेशनों पर ठहरेगी, जहां वह अपने परिचितों से मुलाकात करेंगे। इसके बाद कानपुर पहुंचेंगे और अगले दिन अपने पुराने परिचितों से मिलेंगे। इसके बाद राष्ट्रपति अपने पैतृक गांव परौंख और कस्बा पुखरायां हेलिकॉप्टर के जरिए जाएंगे। 27 जून को वहां उनके सम्मान में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। वहां से 27 को ही वह वापस कानपुर आ जाएंगे। यहां रात में रुकने के बाद 28 जून की सुबह वह अपनी खास प्रेजिडेंशियल ट्रेन से लखनऊ के लिए रवाना होंगे। लखनऊ में वह दो दिन रुक कर 29 जून की शाम को एयरफोर्स के विमान से दिल्ली पहुंचेंगे।15 साल बाद भारत के राष्ट्रपति रेलयात्रा पर15 वर्षों बाद देश का कोई राष्ट्रपति ट्रेन से सफर कर रहा है। भारत के राष्ट्रपति देश की जनता से मिलने के लिए ट्रेन का इस्तेमाल करते आए हैं। राष्ट्रपति कोविंद भी उसी परंपरा का पालन कर रहे हैं। इससे पहले राष्ट्रपति अब्दुल कलाम साल 2006 में इंडियन मिलिटरी अकैडमी की पासिंग आउट परेड में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली से देहरादून गए थे। देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद भी अक्सर ट्रेन यात्रा करते थे। राष्ट्रपति बनने के बाद वह बिहार के सीवान जिले में स्थित अपने पैतृक गांव जीरादेई गए थे। उन्होंने छपरा से जीरादेई के लिए स्पेशल प्रेजिडेंशियल ट्रेन पकड़ी और वहां तीन दिन रहे।इस अवसर पर रेलमंत्री पीयूष गोयल, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष एवं सी.ई.ओ. सुनीत शर्मा, उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल, दिल्ली मंडल के मंडल रेल प्रबंधक एस.सी.जैन और रेलवे बोर्ड एवं उत्तर रेलवे के अनेक वरिष्ठ अधिकारी दिल्ली सफदरजंग रेलवे स्टेशन पर मौजूद थे। राष्ट्रपति द्वारा अपनी यात्रा के लिए रेलवे का उपयोग करने पर रेलमंत्री ने उन्हें धन्यवाद दिया और आशा व्यक्त की कि कोरोना महामारी के पश्चात भारतीय रेलवे का विशाल नेटवर्क बहुत जल्द ही देश के आर्थिक गौरव को फिर से हासिल करने में सहायक होगा।