हाइलाइट्सRBI की एमपीसी समीक्षा के नतीजों की घोषणा आजनीतिगत ब्याज दरों को यथावत रख सकता है केंद्रीय बैंकअभी रेपो रेट 4 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी परआखिरी बार ब्याज दरों में 22 मई 2020 को बदलाव हुआ थानई दिल्लीभारतीय रिजर्व बैंक (RBI) आज अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा के नतीजों की घोषणा करेगा। केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikant Das) कुछ देर में इसका ऐलान करेंगे। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 6 दिसंबर को शुरू हुई थी जो इस कैलेंडर वर्ष में समिति की आखिरी बैठक थी। जानकारों का कहना है कि कोरोना को ओमीक्रोन (Omicron) वैरिएंट की आशंका के बीच केंद्रीय बैंक नीतिगत ब्याज दरों को यथावत रख सकता है। बैठक से पहले एसबीआई रिसर्च (SBI Research) सहित कई अर्थशास्त्रियों ने नीतिगत दरों पर अभी यथास्थिति बनाए रखने का सुझाव दिया था। ऐसे में आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी ब्याज दरों (RBI Policy Interest Rates) को जस का तस रखने पर मुहर लगा सकती है। अभी रेपो रेट 4 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी पर है। बैंक अपनी रोजमर्रा के कामकाज के लिए आरबीआई से से कर्ज लेते हैं और इस पर जिस दर ब्याज चुकाते हैं, उसे रेपो रेट कहते हैं। इसके उलट आरबीआई जमा रकम पर जिस दर से बैंकों को ब्याज देता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं।आज यस बैंक, एक्सिस बैंक समेत इन शेयरों पर रखें नजर, भर सकते हैं झोलीक्यों नहीं बढ़ेंगी नीतिगत दरेंइधर एसबीआई की एक रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक एमपीसी की बैठक में मौजूदा हालात को देखते हुए ब्याज दरों में किसी प्रकार के बदलाव को लेकर आरबीआई अभी बचना चाहेगा। प्रॉपर्टी कंसलटेंट कंपनी एनारॉक के चेयरमैन अनुज पुरी का कहना है कि जो स्थिति इस वक्त है, उसमें एक बात की उम्मीद है कि घर खरीदारों को सस्ती दरों पर होम लोन मिलना कुछ और समय तक जारी रहेगा। यानी इस वक्त ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं होगा। इस वक्त निश्चित रूप से इकनॉमी को आगे बढ़ाने और मार्केट में लिक्विडिटी का संतुलित रुख बनाने की जरूरत है।आरबीआई यह दोनों काम करेगा। इस वक्त इकनॉमी को लेकर अनिश्चितता की स्थिति है। कोई नहीं जानता है कि कोरोना के नए वेरिएंट का असर भारत की इकनॉमी पर कितना पड़ेगा। हालांकि, ग्लोबल इकनॉमी पर इसके असर को लेकर कई बातें कही जा रही हैं। ऐसे में यह तय है कि अगर इससे ग्लोबल इकनॉमी प्रभावित होगी तो कुछ असर तो भारत पर पड़ेगा। ऐसे में आरबीआई मॉनेटरी पॉलिसी को लेकर बड़ी सतर्कता से आगे बढ़ेगा।Petrol-Diesel price: कच्चा तेल दो दिन में 75 डॉलर के पार, अपने यहां 34वें दिन भी बदलाव नहींआखिरी बार हुआ था बदलावएसबीआई समूह की मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष के अनुसार इकनॉमी की स्थिति में अभी सुधार हो रहा है। रिवर्स रेपो रेट को यथावत रखने से मौजूदा आर्थिक सुधार को और मजबूत करने के लिए अधिक समय मिलेगा। इस वक्त कुछ भी करना रिस्की हो सकता है। अगर रिजर्व बैंक बुधवार को नीतिगत ब्याज दरें अपरिवर्तित रखता है तो यह लगातार नौवां मौका होगा, जब दरों में कोई बदलाव नहीं होगा। आरबीआई ने आखिरी बार ब्याज दरों में 22 मई 2020 को बदलाव किया था।अगर भारतीय रिजर्व बैंक नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव करता है तो इसका सीधा असर आपकी जेब पर पड़ेगा। इससे लोन लेने वालों पर असर होगा। अगर रिजर्व बैंक ब्याज दरें बढ़ाता है तो लोन महंगे हो जाएंगे और होम लोन की ईएमआई भी बढ़ जाएगी। वहीं इसके उलट अगर रिजर्व बैंक ने ब्याज दरें घटाईं तो देखते ही देखते लोन सस्ता हो जाएगा और होम लोन की ईएमआई में गिरावट देखने को मिलेगी।31 ट्रेनों में 10 दिसंबर से लगने लगेंगे सेकंड क्लास के डिब्बे, अनरिजर्व्ड टिकटों पर भी हो सकेगा सफररेपो रेट क्या हैजब हमें पैसे की जरूरत होती है तो हम बैंक से कर्ज लेते हैं। इसके बदले हम बैंक को ब्याज चुकाते हैं। इसी तरह बैंक को भी अपनी जरूरत के लिए कर्ज लेना पड़ता है। इसके लिए बैंक आरबीआई से कर्ज लेते हैं। बैंक इस लोन पर रिजर्व बैंक को जिस दर ब्याज चुकाते हैं, उसे रेपो रेट कहते हैं। जब बैंक को रिजर्व बैंक से कम ब्याज दर पर लोन मिलेगा तो उनके फंड जुटाने की लागत कम होगी। इस वजह से वे अपने ग्राहकों को सस्ता कर्ज दे सकते हैं। इसका मतलब यह है कि रेपो रेट कम होने पर आपके लिए होम, कार या पर्सनल लोन पर ब्याज की दरें कम हो सकती हैं। अगर रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ा देता है तो बैंकों को पैसे जुटाने में अधिक रकम खर्च करनी होगी और वे अपने ग्राहकों को भी अधिक ब्याज दर पर कर्ज देंगे।रिवर्स रेपो रेट क्या हैदेश में कामकाज कर रहे बैंकों के पास जब दिन-भर के कामकाज के बाद रकम बची रह जाती है, तो उस रकम को भारतीय रिजर्व बैंक में रख देते हैं। इस रकम पर आरबीआई उन्हें ब्याज देता है। आरबीआई इस रकम पर जिस दर से बैंकों को ब्याज देता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं। आप पर रिवर्स रेपो रेट में बदलाव का असर जब भी बाजार में नकदी की उपलब्धता बढ़ जाती है तो महंगाई बढ़ने का खतरा पैदा हो जाता है। आरबीआई इस स्थिति में रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, ताकि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकम उसके पास जमा करा दें। इस तरह बैंकों के कब्जे में बाजार में बांटने के लिए कम रकम रह जाती है।