Recession is coming Chinese exports fell in july again

नई दिल्ली: दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी चीन (Chinese Economy) से एक और बुरी खबर आई है। जून के बाद जुलाई में भी चीन के एक्सपोर्ट में जबरदस्त गिरावट आई है। यह चीन में जुलाई के महीने में तीन साल में सबसे बड़ी गिरावट है। ग्लोबल डिमांड के सुस्त पड़ने से चीन का एक्सपोर्ट गिरा है। इससे चीन पर अपनी इकॉनमी में फिर से जान फूंकने के लिए दबाव बढ़ गया है। जून में चीन का एक्सपोर्ट पिछले साल के मुकाबले 14.5 परसेंट गिरा था जो फरवरी 2020 के बाद उसके एक्सपोर्ट में सबसे बड़ी गिरावट थी। चीन के कस्टम विभाग ने मंगलवार को एक्सपोर्ट के आंकड़े जारी किए। चीन में लगातार तीसर महीने एक्सपोर्ट में गिरावट आई है। जून की तुलना में जुलाई में देश का एक्सपोर्ट 0.9 परसेंट गिरा है।आने वाले महीनों में चीन के एक्सपोर्ट में और गिरावट आने की आशंका है। इसकी वजह यह है कि ग्लोबल डिमांड में सुस्ती के संकेत मिल रहे हैं। खासकर विकसित देशों में लोग ज्यादा खर्च नहीं कर रहे हैं। इससे इस साल के आखिर में मंदी की आशंका भी तेजी हो गई है। हालांकि जानकारों का कहना है कि यह बेहद मामूली हो सकती है। इस साल के पहले सात महीने में चीन के एक्सपोर्ट में पिछले साल की तुलना में पांच परसेंट की गिरावट आई है। खासकर अमेरिका को चीन के एक्सपोर्ट 13 परसेंट गिरा है। अमेरिका चीन का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है। चीन ने कोरोना काल में सख्त लॉकडाउन लगा रखा था लेकिन इसके बावजूद देश का एक्सपोर्ट ज्यादा प्रभावित नहीं हुआ था। पिछले साल चीन की जीडीपी में एक्सपोर्ट का हिस्सा 17 परसेंट था।चीन या भारत! किस देश का बजेगा डंका… जानिए क्या कहते हैं दुनिया के 5 दिग्गज इन्वेस्टर्सक्यों गिर रहा है एक्सपोर्टलेकिन पिछले साल अक्टूबर से चीन के निर्यात में लगातार कमी आ रही है। महंगाई और बढ़ते इंटरेस्ट रेट से ग्लोबल डिमांड पर काफी असर पड़ा है। एक्सपोर्ट के कमजोर होने से चीन के इकॉनमी को तगड़ा झटका लगा है। देश में डिफ्लेशन के संकेत दिख रहे हैं जिससे इस बात की आशंका बढ़ रही है कि चीन भी जापान की तरह स्टैगनेशन के लंबे दौर में फंस सकता है। मंगलवार को आए आंकड़ों के मुताबिक जुलाई में चीन का आयात भी पिछले साल के मुकाबले 12.4 परसेंट गिरा है। इससे साफ है कि देश की घरेलू मांग भी सुस्त पड़ गई है। देश का आयात इस साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है।China Economy: चीन का बज गया बैंड! ड्रैगन को छोड़कर भाग रहे विदेशी निवेशक, जानिए कहां जा रहे?एनालिस्ट्स का कहना है कि चीन को इकॉनमी में जान फूंकने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। इसमें डिमांड बढ़ाने के उपाय भी शामिल हैं। करेंसी के कमजोर होने से चीन को एक्सपोर्ट में मदद मिल सकती है। अब तक चीन ने इकॉनमी को बूस्ट करने के लिए जो उपाय किए हैं, वे निवेशकों को लुभाने में नाकाम रहे हैं। ऐसी स्थिति में युआन का अवमूल्यन चीन के एक्सपोर्ट को बढ़ावा दे सकता है और चीन की इकॉनमी को फिर से पटरी पर ला सकता है।