हाइलाइट्स:सड़क सुरक्षा को लेकर अब आम लोगों में जागरूकता बढ़ रही हैतब भी अभी तक इस दिशा में कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं हुई हैइसी को देखते हुए सरकार ने सड़क सुरक्षा को लेकर सरकार ने एक नया फैसला किया हैयह फैसला सड़कों की सुरक्षा ऑडिट का हैनई दिल्लीसड़क सुरक्षा (Road Safety) को लेकर आम लोगों में जागरूकता भले ही बढ़ रही हो, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं हुई है। इसी को देखते हुए सरकार ने सड़क सुरक्षा को लेकर सरकार ने एक नया नियम जारी किया है। यह नियम सुरक्षा ऑडिट (Safety Audit) का है। सड़क दुर्घटनाओं (Road Accident) को कम करने के लिए केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने यह पहल की है।क्या हुआ है नयाकेंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने पिछले दिनों सड़क सुरक्षा ऑडिट की घोषणा की है। उनका कहना है कि अभी तक सड़क बनाने के सभी चरणों में रोड सेफ्टी के उपायों पर पर्याप्त तवज्जो नहीं दी जाती थी। इसे देखते हुए ही अब सड़क निर्माण के सभी चरणों में दुर्घटनाओं को कम करने के लिए सुरक्षा ऑडिट अनिवार्य कर दिया गया है।क्या है सुरक्षा ऑडिटनियम यही है कि किसी भी ग्रीनफील्ड या ब्राउनफील्ड सड़क परियोजना पर काम शुरू करने से पहले उसकी सुरक्षा ऑडिट की जाती है। इसमें इस बात की जांच की जाती है कि इस परिस्थिति में यदि पूरी क्षमता के साथ सड़क पर वाहन चले तो हादसे की आशंका कितनी है। जब यह ऑडिट अनिवार्य हो गया है, तो सड़क सुरक्षा का बड़ा काम हो गया है। ऐसा इसलिए, क्योंकि जब तक सुरक्षा की पूरी जांच नहीं हो जाती, तब तक उसे यातायात के लिए नहीं खोला जाएगा। सुरक्षा ऑडिट में क्या होगी छानबीनसुरक्षा ऑडिट में विशेषज्ञ सड़क सुरक्षा उपाय के तहत सड़कों पर बने फुटओवर ब्रिज, अंडरपास, स्पीड ब्रेकर, सड़क पर गाड़ियों की रफ्तार, पेव शोल्डर, इंटरचेंज, रेलवे क्रॉसिंग, बाजार या स्कूल के पास रोड पर लगे साइन बोर्ड, सड़कों पर चेतावनी के लिए लगाए गए साइन बोर्ड और संभावित खतरे, तीव्र मोड़ आदि की जानकारी देते हैं। अगर ऑडिट में इन बातों का जिक्र और जांच में पाई गई खामियों के बारे में जानकारी नहीं दी जाएगी तो उसे आम जानता के लिए खोलने में देरी होगी। सुरक्षा ऑडिट में यह भी देखा जाएगा कि सड़क बनाने वाली कंपनी ने कहीं पैसे बचाने के लिए घटिया मैटेरियल का तो उपयोग नहीं कर लिया है। भारत में खूब होती है सड़क दुघर्टनाभारत में सड़क दुर्घटनाओं की दर बहुत अधिक है। यह हर साल सड़कों पर 4.80 लाख दुर्घटना होती है। इस क्रम में हर साल लगभग 1.5 लाख लोग काल के गाल में समा जाते हैं। यह कोविड-19 महामारी से हुई मौतों की संख्या से भी ज्यादा है। इसलिए सरकार ने वर्ष 2030 तक सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों में 50 फीसदी तक कम करने का लक्ष्य रखा है।