नई दिल्ली: (नवीन कुकरेजा, पैसाबाज़ार के को-फाउंडर और सीईओ) यह साल का वह समय है जिसका हम सभी को इंतज़ार रहता है। क्योंकि सैलरी बढ़ती है और बोनस मिलता है। लेकिन ये वो समय भी है जब हमें समझदारी से सोचना चाहिए कि हम अपने बोनस के पैसे को कैसे बढ़ा सकते हैं। बोनस को हमें उस फाइनेंशियल गोल्स को पूरा करने के लिए उपोग करना चाहिए जिसके लिए हमें पैसों की कमी पड़ रही है। वर्तमान में हम जिस अस्थिर स्थिति में हैं, उसे देखते हुए जीवन के लक्ष्यों को प्राथमिकता देना और निवेश करना अनिवार्य हो गया है। तो, बोनस मिलते ही खुश होने के साथ साथ हमें इन पांच चीज़ों के बारे में भी सोचना चाहिए:1. इमरजेंसी फंड बनाना: हमेशा सबसे पहले घरेलू नज़रिये से सोचें। 6 से 12 महीनों तक का एक इमरजेंसी फंड बनाएं। आप इस फंड पर ब्याज भी कमा सकते हैं। वर्तमान में जो ब्याज दरें हैं उन्हें देखते हुए, आपको एफडी में पैसा निवेश करना चाहिए और ज़रूरत पड़ने पर इसे आसानी से निकाल सकते हैं। ऐसे लोग जो फ़्री-लांसर हैं या किसी स्थापित संसथान में नहीं बल्कि स्टार्ट-अप में नौकरी करते हैं, उनके पास कम से कम 12 महीने का इमरजेंसी फण्ड होना चाहिए। क्योंकि स्टार्ट-अप इकोसिस्टम में लोगों की नौकरियां जा रही हैं, और जब भी वहां कोई आर्थिक मुश्किल आती है तो उसका असर नौकरियों पर दिखता है।2. हैल्थ इंश्योरेंस कवर लें: आमतौर पर, हैल्थ इंश्योरेंस एक ऐसी चीज़ है जो आप लेना चाहते हैं लेकिन कभी-कभी ऐसा नहीं कर पाते । क्योंकि या तो आपकी मासिक इनकम पर्याप्त नहीं बचती या आप केवल कम इनकम का बहाना बनाकर इंशोरेंस लेने से बचना चाहते हैं। जो लोग महानगरों में रहते हैं, उनके लिए 5 लाख -7 लाख रु. का मेडिकल कवर पर्याप्त नहीं है। ऐसे कई नौकरीपेशा लोग हैं जिनके लिए 5 लाख रु. तक का मेडिकल बिल चिंता का विषय नहीं है, लेकिन क्या होगा अगर ये बिल 30 लाख रु. या उससे ज़्यादा का हो जाए। अगर आप मेट्रो शहर में रहते हैं, तो 1 करोड़ रु. या ज़्यादा का इंश्योरेंस लेने की सलह दी जाती है, और ये महंगा नहीं होगा। कुछ हैल्थ इंश्योरेंस कम्पनियाँ बहुत कम प्रीमियम पर 5-10 लाख रु. के बुनियादी हैल्थ कवर और 90-95 लाख रु. के टॉप-अप कवर वाली पॉलिसी देती हैं।3. होम लोन के प्री-पेमेंट की कोशिश करें: होम लोन की ब्याज दरें 9% तक जा रही हैं, और फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट से 8.5% या 9% प्रति वर्ष ब्याज कमाना बहुँत मुश्किल है। इसलिए, आपको अपने होम लोन की प्री-पेमेंट करने की कोशिश करनी चाहिए। प्री-पेमेंट करने के बाद ईएमआई राशि कम करने के बजाय लोन भुगतान अवधि को घटाने का विकल्प चुनें, क्योंकि तभी आपके ब्याज की बचत ज़्यादा होगी। मौजूदा होम लोन बॉरोवर्स होम लोन ओवरड्राफ्ट अकाउंट खोल सकते हैं, जिसे अलग-अलग बैंकों द्वारा होम सेवर, होम लोन एडवांटेज, मैक्सगैन, होम लोन इंट्रेस्ट सेवर आदि नामों के तहत ऑफर किया जाता है। यदि उनका बैंक उन्हें होम लोन ओवरड्राफ्ट अकाउंट ऑफर नहीं कर रहा है, वो किसी ऐसे बैंक में अपना लोन ट्रान्सफर कर सकते हैं जो ओवरड्राफ्ट सर्विस दे रहा हो। इसमें होम लोन अकाउंट के साथ एक सेविंग या करंट ओवरड्राफ्ट अकाउंट खोला जाता है, जिसमें बॉरोवर्स अपना एक्स्ट्रा फंड रख सकते हैं और ज़रूरत पड़ने पर निकाल भी सकते हैं। इसमें फायदा ये है कि जब भी आपके बकाया लोन बैलेंस पर इंटरेस्ट कैलकुलेट किया जाता है तो उसमें से पहले ओवरड्राफ्ट अकाउंट में जमा पैसों को काट लिया जाता है और फिर इंटरेस्ट कैलकुलेट होता है। इस तरह होम लोन बॉरोवर्स को प्री-पेमेंट का बेनिफिट भी मिल जाता है और पैसों की ज़रूरत पड़ने पर उन्हें परेशानी का सामना भी नहीं करना पड़ेगा।4. लम्बे समय के लिए इक्विटी म्युचुअल फण्ड में निवेश करें: इसमें कोई दो राय नहीं है कि अगर आप लम्बे समय के लिए निवेश करना चाहते हैं तो इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश करना सबसे अच्छा है। मैं खुद भी लार्ज कैप इंडेक्स फंड और फ्लेक्सी कैप फंड को कंसीडर करूंगा क्योंकि ये दोनों अच्छी कैटेगरी हैं। इंडेक्स फंड कम कॉस्ट वाले प्रोडक्ट हैं, यानी उनका एक्सपेंस रेश्यो बहुत कम है, और वे भारत की इक्विटी मार्किट में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, इसलिए लम्बे समय में फ़ायदा ही होना चाहिए। मैं फ्लेक्सी कैप फंड्स को भी प्रेफर करता हूं क्योंकि इन फंड्स में ये ऑप्शन है कि बाज़ार में बदलाव को देखते हुए बिना किसी रेगुलेटरी रेस्ट्रिक्शन के किसी भी मार्केट कैप, सेक्टर या थीम में निवेश किया जा सकता है।5. स्केड्यूल बैंक में ज़्यादा ब्याज वाली एफडी खोलें: इस फाइनेंशियल इयर से डेट फण्ड पर इंडेक्सेशन का बेनिफिट मिलना बंद हो गया है, वहीं डेट फण्ड से मिलने वाले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर निवेशक को अपनी टैक्स स्लेब के हिसाब से टैक्स भरना होगा। इन बदलावों से डेट फंड और फिक्स्ड डिपॉज़िट के बीच टैक्स के मामले में समानता आई है। डिपॉज़िट अकाउंट पर मिलने वाली ब्याज दरें अभी बहुत आकर्षक हैं और एफडी रिटर्न पर वैसे ही टैक्स लग रहा है जैसे डेट फंड पर, जबकि एफडी पर मार्किट का वो रिस्क नहीं है जो डेट फंड के साथ जुड़ा है। वर्तमान में, ज़्यादातर स्मॉल फाइनेंस बैंक और कई निजी क्षेत्र के बैंक 7.5% और उससे ज़्यादा ब्याज दर पर एफडी दे रहे हैं। इन बैंकों को स्केड्यूल बैंकों की लिस्ट में रखा गया है, जिसका मतलब है कि इन बैंकों के डिपॉज़िटर्स आरबीआई की सहायक कंपनी, डीआईसीजीसी के डिपॉज़िटर इंश्योरेंस प्रोग्राम के लिए योग्य हैं। इसलिए अपनी एक्स्ट्रा इनकम को कम समय के लिए निवेश करने के लिए एफडी बहुँत अच्छा विकल्प है, क्योंकि उसमें टैक्स समानता, स्थिर इनकम, पूंजी की सुरक्षा और आकर्षक ब्याज दरें हैं। निवेश हमेशा इस पर निर्भर करता है कि आप कितना रिटर्न चाहते हैं और कितना रिस्क ले सकते हैं। तो, अपने बोनस का अधिकतम लाभ उठाने के लिए, रिटर्न और रिस्क के हैल्थी बैलेंस को बनाएं। एक बड़े वर्ग के लिए, बोनस मिलने का मतलब है अधिक खर्च करना, लेकिन समझदार लोग इस पैसे से अधिक पैसा कमा सकते हैं।