हाइलाइट्स:हैंड सैनिटाइजर बनाने वाली कई कंपनियों पर टैक्स विभाग की नजरआइटम्स को गलत कैटगरी में दिखाने और टैक्स नहीं भरने का आरोपअप्रत्यक्ष कर विभाग की जांच शाखा DGGI ने इस मामले में जांच शुरू कीगुजरात और महाराष्ट्र की सैकड़ों कंपनियों पर कर विभाग की नजरनई दिल्लीकोरोना काल में देश में हैंड सैनिटाइजर की मांग में खूब इजाफा हुआ और इन्हें बनाने वाली कंपनियों की चांदी हो गई। लेकिन हैंड सैनिटाइजर और इससे जुड़ा कच्चा माल बनाने वाली कई कंपनियों पर टैक्स विभाग (Tax Department) की नजर है। इन कंपनियों पर आरोप है कि इन्होंने आइटम्स को गलत कैटगरी में दिखाया और टैक्स नहीं भरा। सवाल यह है कि सैनिटाइजर को मेडिकामेंट माना जाए या डिसइंफेक्टेंट या कंज्यूमर प्रॉडक्ट्स। मेडिकामेंट पर 12 फीसदी जीएसटी लगता है जबकि डिसइंफेक्टेंट्स या कंज्यूमर प्रॉडक्ट्स पर 18 फीसदी।जीएसटी फ्रेमवर्क के तहत मेडिकामेंट्स को मोटे रूप से दवाओं के श्रेणी में रखा गया है। इसमें ऐसी चीजों को रखा गया है जिसे मेडिसिन के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है या मेडिसिन बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। दूसरी ओर डिसइंफेक्टेंट्स साबुन या लिक्विड है जिसे साबुन की तरह इस्तेमाल किया जाता है।मांग बढ़ने से तीन साल के उच्चतम स्तर पर पहुंचा कच्चा तेल, अपने यहां फेरबदल नहींक्या है पेचफार्मा कंपनियों का कहना है कि सैनिटाइजर मेडिकामेंट्स है जबकि टैक्स अधिकारी इसे डिसइंफेक्टेंट्स मानते हैं। अप्रत्यक्ष कर विभाग की जांच शाखा डायरेक्टर जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलीजेंस (DGGI) ने इस मामले में जांच शुरू की है और कुछ कंपनियों को नोटिस भी भेजा गया है। ईटी ने इस नोटिस को देखा है। इसमें डीजीजीआई ने कहा है कि मेडिकामेंट्स में इलाज के लिए मिक्स्ड या अनमिक्स्ड प्रॉडक्ट्स होते हैं।हैंड सैनिटाइजर बनाने वाली कंपनियों की दलील है कि यह कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में बहुत अहम है और इसलिए यह मेडिकामेंट्स की तरह ही है। इसलिए इस पर 12 फीसदी टैक्स लगना चाहिए। इस मामले में गुजरात की कुछ फार्मा कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें हाई कोर्ट में जाने को कहा था। सूत्रों के मुताबिक गुजरात और महाराष्ट्र की सैकड़ों कंपनियों पर कर विभाग की नजर है।फ्लाइट टिकट पर मॉनसून सेल का आज आखिरी दिन, इस क्रेडिट कार्ड से बुकिंग पर मिलेगा 1500 रुपये की छूटकई कंपनियों पर नजरइनमें सैनिटाइजर्स या उसी तरह के प्रॉडक्ट बनाने वाली कंपनियां या ऐसे आइटम को लिए कच्चा माल बनाने वाली कंपनियां शामिल हैं। कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद कई कंपनियों ने हैंड सैनिटाइजर बनाना शुरू कर दिया था। डीजीजीआई की नजर साथ ही उन फार्मा और अन्य कंपनियों पर भी है जो अस्पतालों को डिसइंफेक्टेंट्स सप्लाई करती हैं।इन कंपनियों का कहना है कि वे महामारी के पहले से ही लोअर जीएसटी रेट क्लेम कर रही हैं। डीजीजीआई के अधिकारियों का कहना है कि इनमें से अधिकांश प्रॉडक्ट्स लिक्विड हैं जिनका इस्तेमाल हॉस्पिटल्स को सैनिटाइज करने के लिए किया जाता है। ये हैंड सैनिटाइजर्स की तरह हैं और ज्यादा जीएसटी की श्रेणी में आते हैं।