नई दिल्ली बेंगलुरु में रहने वाले कमल एस करण रोजाना अपने दिन की शुरुआत आवारा कुत्तों (Stray Dogs) और अन्य जानवर को खाना देने (Feeding) के साथ करते हैं। बेंगलुरु के बनासवाडी में रहने वाले करण शहर के अन्य इलाकों में भी आवारा पशुओं को खाना बांटते हैं। मई में देश में कोरोना संक्रमण (Covid Infection) चरम पर पहुंचने के बाद 39 साल के इस टेकी ने अन्य लोगों के साथ मिलकर रोजाना 200-250 जानवरों को खाना खिलाना शुरू किया है।यह भी पढ़ें: कोरोना संकट के बीच मई 2021 में स्कोर्पियो, क्रेटा, ब्रेजा जैसी एसयूवी की क्यों बढ़ी बिक्रीकोरोना संक्रमण रोकने के लिए इस साल अप्रैल-मई में देश के कई राज्यों में लॉकडाउन (LockDown)किया गया था। कोरोना लॉकडाउन (Covid LockDown) के चलते जब लोग घर में बंद हुए तो आवारा पशुओं की मुश्किल बढ़ गई। पहले लोग इन्हें खाना खिला देते थे। लॉकडाउन (LockDown) में लोग घरों में कैद हो गए तो आवारा पशु भूख के कारण सड़कों कर भटकने को मजबूर हो गए थे।IBM इंडिया के सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटरकमल आईबीएम इंडिया (IBM India) में सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर हैं। उन्होंने सर्विस फॉर ह्यूमंस (Service For Humans) नाम की एक संस्था बनाई और अपने पैसे से इसे फंड किया। इसके बाद उन्होंने कंपनी के टास्क फोर्स ग्रुप की मदद ली।कमल के इस अभियान में उनके सहयोगी सुनील यादव के साथ श्याम सुंदर और किरण कुमार ने ज्वाइन किया। इसके बाद यह सभी लोग मिलकर रोजाना 15 किलो चावल और चिकन पकाते थे, इसे शहर में घूम कर आवारा जानवरों को खाना खिलाते थे। बेंगलुरु के तकरीबन हर इलाके को इन लोगों ने कवर कर लिया था।रोजाना 1000 रुपये का खर्च करीब 200 जानवरों को खाना खिलाने के इस काम में रोजाना उनका एक हजार रुपये का खर्च आता था। यह रकम आईबीएम (IBM) के स्टाफ और कमल के ग्रुप के लोग डोनेट करते थे। कोरोनावायरस के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन के दौरान इन लोगों ने चिकबल्लापुर में बंदरों को फल भी खिलाए। कमल ने कहा, “बंदरों को आमतौर पर पर्यटक या मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं की तरफ से फल खाने को मिल जाते हैं। जब सब कुछ बंद था, ऐसे दौर में हमने यह सोचा कि वह भी भूखे ना रहें।”केले की जगह आम बांटा बेंगलुरु की IT कंपनियों में काम करने वाले इन युवाओं ने 150 किलो केले और कुछ आम, अमरूद, तरबूज और सेब की मदद से यह अभियान शुरू किया। कमल ने कहा, “हमने यह देखा कि बंदरों को आम ज्यादा पसंद है। इसके बाद हमने अन्य फलों के साथ रोजाना डेढ़ क्विंटल आम लेना शुरू कर दिया।” एक बार बंदरों को खाना खिलाने का यह खर्च करीब ₹4000 आता था। कमल के इस एफर्ट की वजह से उन्हें अपने दफ्तर IBM में कोविड-19 हीरो (Covid Hero) का खिताब मिला। कमल ने अपनी कंपनी आईबीएम के टास्क फोर्स के साथ जरूरतमंद लोगों को दवा अस्पताल में बेड और अन्य मदद उपलब्ध कराने के लिए भी काम किया।यह भी पढ़ें: राकेश झुनझुनवाला ने इन तीन सेक्टर के लिए सरकार से क्यों की राहत की मांगरेलवे ने शुरू की 20 जोड़ी से अधिक ट्रेन, जानिए इनके बारे में