नई दिल्ली लक्षद्वीप के बीजेपी प्रशासक ने हाल में ही एक नियम बनाकर दो बच्चों से अधिक वाले (Two child policy) पैरेंट्स को स्थानीय निकाय के चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर दिया है। राज्य सरकार ने कुछ इसी तरह का नियम (Two child policy) असम, ओडिशा, महाराष्ट्र, राजस्थान, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में भी बनाया है। भारत और दुनिया में इस समय लोगों की बच्चे पैदा करने की क्षमता घट रही है। इस हिसाब से दुनिया में आबादी बढ़ाने के लिए 2 बच्चों से अधिक पैदा करने की जरूरत है। चीन ने कुछ साल पहले सिंगल चाइल्ड पॉलिसी (single child policy) पेश की थी। बाद में उसने 2 बच्चों की नीति (Two child policy) बना दी और अब 3 बच्चे पैदा करने के लिए लोगों को प्रोत्साहन दे रहा है। वास्तव में चीन की कामकाजी आबादी अब बूढी हो रही है और जीडीपी को बढ़ावा देने के लिए उसे ज्यादा से ज्यादा नए वर्कर की जरूरत है। एक स्थिर आबादी वाले देश में टोटल फर्टिलिटी रेट 2.1 होना चाहिए। इससे पापुलेशन ग्रोथ अचानक नहीं रुक सकता क्योंकि भविष्य में बच्चे पैदा करने वाली माताएं पहले ही जन्म ले चुकी होती हैं।यह भी पढ़ें: जुलाई से DA मिलने वाली सोशल मीडिया की चिट्ठी आपके पास भी पहुंची, जानिए क्या है हकीकतजीडीपी ग्रोथ के लिए कामकाजी आबादी जरूरी वास्तव में किसी देश की आबादी पर इसका असर दो दशक तक दिखता है और उसके बाद यह सामान्य हो जाता है। भारत में बच्चे पैदा होने की दर घट रही है। अब इसे आबादी का बोझ बढ़ने के बेकार के डर से बाहर निकलना चाहिए और भविष्य की कामकाजी आबादी के सही संतुलन के हिसाब से काम करना चाहिए। अगर किसी देश में सीनियर सिटीजन की आबादी अधिक हो जाती है तो उस देश की जीडीपी पर इसका बड़ा असर पड़ता है।अधिक बच्चों के लिए प्रोत्साहन विज्ञान के नए आविष्कार की वजह से अब लोगों की औसत उम्र 90 साल की तरफ बढ़ रही है। नई तकनीक की मदद से लोग अधिक समय तक जीवित रहते हैं लेकिन उनका खर्च भी बढ़ रहा है। किसी भी सोसाइटी में सीनियर सिटीजन की केयर करने के लिए अधिक कामकाजी आबादी होनी चाहिए। बहुत से देशों ने अधिक बच्चा पैदा करने के लिए प्रोत्साहन देना शुरू कर दिया है। बच्चे को पालने का खर्च बढ़ रहा है इसलिए बहुत से युवा अब 2 बच्चे भी पैदा करना नहीं चाहते। बहुत से देशों ने फ्र चाइल्ड केयर, लंबी मेटरनिटी लीव और इस तरह के प्रोत्साहन देने की शुरुआत की है। इसके बाद भी फर्टिलिटी रेट में लगातार कमजोरी दर्ज की जा रही है।यह भी पढ़ें: जुलाई से DA/DR मिलने वाली मीटिंग में क्या रहा खास, NFIR के हवाले से जानिएMRF के शेयरों ने एक लाख के निवेश को बना दिया है सवा करोड़ रुपये(यह ओपिनियन मूल रूप से हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित हुआ है।)