नई दिल्ली: श्रम मंत्रालय (Labour Ministry), वेतन संहिता (Wage Code) पर चिंताओं को दूर करने के लिए सभी क्षेत्रों के एचआर हेड्स के साथ चर्चा कर रहा है। श्रम और रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव ने ईटी की योगिमा सेठ शर्मा और दीपशिखा सिकरवार को एक इंटरव्यू में बताया कि नियमों के मौजूदा ढांचे में बदलाव किए बिना इश्यूज को नियमों के माध्यम से सुलझाया जाएगा। पेश हैं उस इंटरव्यू के कुछ अंश…श्रम संहिताओं के कार्यान्वयन के समय को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। इनके कब रोल आउट किए जाने की संभावना है?श्रम संहिताओं को जल्द से जल्द लागू किया जाएगा। लगभग 26 राज्यों ने वेतन संहिताओं पर नियम अधिसूचित कर दिए हैं और सभी राज्य सभी चार संहिताओं पर नियमों को अधिसूचित करने पर काम कर रहे हैं। हमने सामाजिक सुरक्षा संहिता को आंशिक रूप से लागू किया है लेकिन हम चारों को व्यापक रूप से एक साथ देखना चाहते हैं। सरकार सब कुछ सर्वसम्मति से और पारदर्शी तरीके से करेगी।वेज कोड पर नियोक्ताओं और कर्मचारियों के बीच मतभेद हैं। क्या रास्ता है?ऐसे कोई मतभेद नहीं हैं। कुछ चीजों को नियमों के जरिए सुलझाया जा सकता है। ये चर्चा की बातें हैं और हम आम सहमति बना रहे हैं। मासिक आधार पर, हम ट्रेड यूनियन लीडर्स और कंपनियों के मानव संसाधन विभाग के प्रमुखों के साथ विचार-विमर्श करते हैं।क्या हम संहिताओं की वर्तमान संरचना के साथ आगे बढ़ेंगे या इसमें बदलाव की संभावना है?कोड्स संसद में पहले ही पारित हो चुके हैं। विभिन्न राज्य इन संहिताओं पर नियमों का मसौदा तैयार कर रहे हैं और आगे बढ़ते हुए हम आम सहमति बना रहे हैं।लेबर मार्केट में रिकवरी को लेकर सरकार का क्या आकलन है?सरकार ने पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे पर भरोसा किया है, जो दर्शाता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार में वृद्धि हुई है। संगठित क्षेत्र में, हमारे पास कर्मचारी भविष्य निधि संगठन और कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) का पेरोल डेटा है, जो दर्शाता है कि औपचारिक क्षेत्र में रोजगार में वृद्धि हुई है। हमारे पास श्रम ब्यूरो का त्रैमासिक रोजगार सर्वेक्षण भी है और इसकी दूसरी रिपोर्ट से पता चलता है कि अतिरिक्त 2 लाख रोजगार सृजित हुए हैं और पंजीकृत इकाइयों की संख्या में वृद्धि हुई है। हम डेटा की पवित्रता में विश्वास करते हैं और पारदर्शी डेटा तैयार किया है, जिसका कोई खंडन नहीं है। कुल मिलाकर, ये डेटा सेट देश में रोजगार सृजन की सकारात्मक तस्वीर दिखाते हैं।असंगठित क्षेत्र के कामगारों के बारे में आपका क्या आकलन है?देश में उपलब्ध कौशल सेट के साथ नौकरी के अवसरों का मिलान करने की आवश्यकता है। हम इस पर आगे बढ़ते हुए राष्ट्रीय करियर सेवा पोर्टल और ई-श्रम पोर्टल के माध्यम से काम कर रहे हैं। असंगठित क्षेत्र में, जो देश के कुल कार्यबल का 90-94% या अनुमानित 38 करोड़ है, हमने ई-श्रम पोर्टल के माध्यम से लगभग 26 करोड़ असंगठित श्रमिकों के लिए डेटा एकत्र किया है और 400 व्यवसायों की पहचान की है। हमारे लेबर कोड्स भविष्यवादी हैं। भारत दुनिया के उन कुछ देशों में से एक है, जिसने हमारे कोड में गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को मान्यता दी है और उन्हें ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत किया गया है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम सामाजिक सुरक्षा और चिकित्सा लाभों के लिए उनकी चिंता को भी दूर कर रहे हैं और एक बार सामाजिक सुरक्षा संहिता आने के बाद, हम कर्मचारी राज्य बीमा निगम के लाभों के दायरे का विस्तार करेंगे।श्रम मंत्रालय को गिग वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा योजना लागू करने से कौन रोक रहा है?इन सबकी चर्चा हो रही है। हम इसे समग्र रूप से और प्रत्येक हितधारक को साथ लेकर करना चाहते हैं। हम सभी संहिताओं को लागू करना चाहते हैं, हालांकि सभी हितधारकों के साथ आम सहमति और चर्चा जारी है।प्रवासी कामगारों के सर्वेक्षण और घरेलू कामगारों पर श्रम ब्यूरो द्वारा किए जा रहे सर्वेक्षण की स्थिति क्या है?हम सभी यूनियनों के सदस्यों और घरेलू कामगारों के प्रतिनिधियों से मिले हैं। घरेलू कामगार कई व्यवसायों में हैं, लेकिन मुख्य रूप से घर के कामों में शामिल लोगों का एक बड़ा हिस्सा है। इसमें बहुत गुंजाइश है और हमें उनकी सामाजिक सुरक्षा के बारे में चिंतित होने की जरूरत है। हम काम की परिस्थितियों और घरेलू कामगारों की सामाजिक सुरक्षा पर सर्वेक्षण के निष्कर्षों की प्रतीक्षा कर रहे हैं।संसदीय स्थायी समिति ने पूर्व में राज्य सरकारों द्वारा संचालित ईएसआईसी अस्पतालों के कामकाज पर सवाल उठाए थे। क्या है मंत्रालय का स्टैंड?यह ईएसआईसी का एक क्षेत्र है। वर्तमान में ईएसआईसी अस्पतालों में डॉक्टरों को भुगतान राज्य सरकारें करती हैं और वेतन में भी अंतर है। ईएसआईसी के कुछ सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों में हमारे डॉक्टरों के वेतन को संशोधित करने की आवश्यकता है। हमने ईएसआईसी बोर्ड की बैठक में एक सचेत निर्णय लिया है कि ईएसआईसी द्वारा सीधे डॉक्टरों को मजदूरी का भुगतान किया जाएगा, हालांकि वे राज्य सरकारों के अधीन काम करना जारी रखेंगे।क्या श्रम मंत्रालय ने सेवा क्षेत्र पर महामारी के प्रभाव का कोई आकलन किया है?हमने होटलों और आतिथ्य सत्कार में रोजगार सृजन में कुछ गिरावट देखी है, लेकिन आईटी क्षेत्र और अस्पतालों में इस मामले में तेजी आई है। मुख्य बिंदु यह है कि हमें श्रमिकों को डिजिटल रूप से लैस करने की आवश्यकता है। हमने डिजी सक्षम प्रोजेक्ट के तहत माइक्रोसॉफ्ट के साथ करार किया है, जिसके तहत हम अपने कर्मचारियों को स्किल्ड बनाएंगे, उनकी रिस्किलिंग ओर अपस्किलिंग पर काम होगा। क्या प्रोफेशनल्स EPFO के दायरे में आएंगे?फिलहाल इस पर विचार नहीं किया जा रहा है। ईपीएफओ की एक सीमा होती है और कल्याणकारी सरकार की जिम्मेदारी है कि वह अपनी योजनाओं के बावजूद अंतिम छोर तक कामगार की मदद करे। इसके अलावा, जो सक्षम हैं और खर्च कर सकते हैं, उनके पास सामाजिक सुरक्षा के अन्य विकल्प भी हैं।महिला श्रम बल की भागीदारी बढ़ाने के लिए किन उपायों पर विचार किया जा रहा है?महिला भागीदारी, महिला आर्थिक स्वतंत्रता और महिला सामाजिक सुरक्षा इस सरकार का फोकस क्षेत्र है। नया वेज कोड लैंगिक समानता पर जोर देता है और सरकार इस मुद्दे को लेकर चिंतित है। हम तय करेंगे कि कब इसकी जरूरत होगी।क्या मंत्रालय वर्क फ्रॉम होम के दिशा-निर्देशों पर विचार कर रहा है, यह देखते हुए कि यह काम का एक नया रूप बन गया है और यह रहने वाला है?जहां हम आईटी क्षेत्र के लिए दिशा-निर्देश लेकर आए हैं, वहीं अन्य क्षेत्रों के लिए वर्क फ्रॉम होम पर विचार-विमर्श जारी है। विभिन्न सर्वेक्षण रिपोर्ट आने के बाद हम इस पर विचार करेंगे।ईएसआईसी योजना से दिसंबर में 15.26 लाख नए सदस्य जुड़े