नई दिल्ली: ठेके पर इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी फॉक्सकॉन (Foxconn) के फाउंडर टेरी गाउ (Terry Gou) ने कंपनी को अलविदा कर दिया है। गाउ ने हाल में राष्ट्रपति चुनावों में उतरने की घोषणा की थी। 72 साल के गाउ ने 1974 में Hon Hai Precision Industry के रूप में फॉक्सकॉन की स्थापना की थी। आज यह कॉन्ट्रैक्ट पर इलेक्ट्रॉनिक्स सामान बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है। इसके क्लाइंट्स में ऐपल (Apple) भी शामिल है। 72 साल के गाउ की नेटवर्थ 6.8 अरब डॉलर है। साल 2019 में उन्होंने कंपनी की कमान यंग लियू को सौंप दी थी जो ग्रुप के चेयरमैन हैं। लेकिन वह कंपनी में डायरेक्टर बने हुए थे। अब उन्होंने यह पद भी छोड़कर पूरी तरह राजनीति में उतरने का फैसला किया है।टेरी गाउ का जन्म 18 अक्टूबर, 1950 को ताइपेई में हुआ था। उनका परिवार 1949 में चीन के सिविल वॉर के कारण भागकर ताइवान आ गया था। 24 साल की उम्र तक उन्होंने एक रबर फैक्ट्री और दवा बनाने वाले एक कारखाने में काम किया। साथ ही उन्होंने एयरफोर्स में एंटी-एयरक्राफ्ट आर्टिलरी ऑफिसर के रूप में भी काम किया। 1974 में उन्होंने 7,500 डॉलर की पूंजी दस बुजुर्ग कर्मचारियों के साथ फॉक्सकॉन की स्थापना की। शुरुआत में उनकी कंपनी टेलीविजन सेट्स के लिए प्लास्टिक के हिस्से बनाती थी। 1980 के दशक में वह 11 महीने के दौरे पर अमेरिका गए और वहां कारोबार फैलाया।कभी अरबों डॉलर के मालिक थे, आज पानी के साथ खानी पड़ रही रोटी… 31 की उम्र में ही पलट गई इनकी दुनियाआईफोन बनाती है कंपनीगाउ ने चीन में अपनी पहली फैक्ट्री 1988 में खोली। 1990 के दशक में ऐपल, एचपी और आईबीएम जैसी कंपनियों को उन्होंने अपने साथ जोड़ा। उन्होंने चीन के दक्षिणी हिस्से में कई प्लांट बनाए और हजारों लोगों को रोजगार दिया। उनका बिजनस मॉडल इतना सफल रहा कि दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियों उनसे इलेक्ट्रॉनिक सामान बनवाने लगी। ऐपल ने मैकबुक और आईफोन बनाने का काम फॉक्सकॉन को आउटसोर्स कर दिया। इससे फॉक्सकॉन ताइवान की सबसे बड़ी कंपनी बन गई और गाउ की गिनती देश के सबसे अमीर लोगों में होने लगी।साल 2016 में गाउ ने कुओमिनतांग पार्टी जॉइन की और राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ा। लेकिन वह चुनाव हार गए और प्राइमरी में ही दूसरे नंबर पर रहे। उन्होंने पार्टी से टिकट मांगा था लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी। अब वह इंडिपेंडेंट कैंडिडेट के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। ताइवान में जनवरी 2024 में चुनाव होने हैं। गाउ को चीन का समर्थक माना जाता है। उनका कहना है कि वन-चाइना फ्रेमवर्क के तहत बातचीत बहाल होनी चाहिए। हाल के वर्षों में चीन ने ताइवान के प्रति सख्त रुख दिखाया है।