China’s all weather ally Pakistan will also Joing BRICS why experts are saying this पाकिस्‍तान को भी बनना है ब्रिक्‍स का सदस्‍य, ‘परम मित्र’ चीन लगा रहा पूरा जोर, जानें क्‍या है मकसद

इस्‍लामाबाद: दक्षिण अफ्रीका के जोहान्‍सबर्ग में आयोजित 15वें ब्रिक्‍स सम्‍मेलन के बाद ऐलान कर दिया गया है कि छह नए देश भी इस संगठन का हिस्‍सा हैं। करीब 40 देशों की तरफ से इसमें शामिल होने की इच्‍छा जाहिर की गई थी। अब जो खबरें आ रही हैं उसके मुताबिक पाकिस्‍तान की भी इच्‍छा इस संगठन में शामिल होने की है। उसकी इस इच्‍छा को उसके ‘परममित्र’ चीन की तरफ से समर्थन भी मिलने लगा है। माना रहा है कि पाकिस्‍तान के ब्रिक्‍स में शामिल होने की ख्‍वाहिश को रूस की तरफ से भी आगे बढ़ाया जा सकता है। हालांकि अभी तक पाकिस्‍तान ने इसके लिए कोई औपचारिक अनुरोध नहीं किया है।चीन ने शुरू की मुह‍िमब्रिक्‍स के नए सदस्‍यों के तौर पर सऊदी अरब, मिश्र, यूएई, अर्जेंटीना, ईरान और इथियोपिया को ब्रिक्स में शामिल होंगे। पाकिस्‍तान के इस संगठन में शामिल होने पर अभी देश के अधिकारियों की तरफ से कुछ नहीं कहा गया है। उन्‍होंने बस इतना ही कहा कि जब समूह ने अभी तक इस पर आम सहमति नहीं बनाई है तो कोई निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी। पिछले दिनों ऐसी खबरें आई थीं कि पाकिस्तान ने ब्रिक्स में शामिल होने में रुचि दिखाई है और चीन ने पहले ही इसके लिए पैरवी शुरू कर दी है। ब्रिक्स दुनिया की करीब 40 फीसदी आबादी और ग्‍लोबल जीडीपी के एक चौथाई का प्रतिनिधित्व करता है। भले ही पाकिस्‍तान के अधिकारी इस पर कुछ न कहें मगर जानकारों का कहना है कि सदाबहार दोस्‍त चीन ने इसके लिए पूरी ताकत झोंक दी है।ब्राजील में मिलेगी मंजूरी?विशेषज्ञों का कहना है कि हैरानी नहीं होनी च‍ाहिए अगर अगले ब्रिक्‍स सम्‍मेलन में पाकिस्‍तान को शामिल करने का प्रस्‍ताव आए। ब्रिक्‍स का अगला सम्‍मेलन ब्राजील में होना है। उनकी मानें तो ब्राजील के बाद जिस किसी भी देश में ब्रिक्‍स का आयोजन होगा, वहां पर पाकिस्‍तान की सदस्‍यता को ग्रीन सिग्‍नल मिल सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन का कहना है अगर ग्‍लोबल साउथ की बात होगी तो फिर इसके तहत आने वाले और विकासशील देश का इसमें शामिल किया जाना चाहिए। हालांकि देश क राजनीतिक और आर्थिक अव्‍यवस्‍था बड़ा सवाल हो सकती है।तो यह है असली मकसदविशेषज्ञों की मानें तो इस्‍लामिक देश पाकिस्‍तान को निराश कर चुके हैं और अफ्रीकी एशियाई देशों से भी उसे कोई मदद नहीं मिल रही है। साथ ही अब अमेरिका भी उससे कन्‍नी काटने लगा है। उसका मकसद ब्रिक्‍स बैंक से आर्थिक मदद हासिल करना है ताकि अर्थव्‍यवस्‍था को पटरी पर ला सके। साल 2009 में ब्रिक्‍स का गठन हुआ था और आज यह एक बड़े संगठन में तब्‍दील हो चुका है। ब्रिक्‍स के विस्‍तार से चीनी राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग काफी खुश हैं। उन्‍होंने विस्‍तार को ऐतिहासिक करार दिया है।