Germany Russia Relations : तुम्हारी याद के जब जख्‍म भरने लगते हैं, इस बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं…जर्मनी में सोवियत दौर की निशानी – why germany still protects soviet war memorials what is the reason

बर्लिन: लुत्‍जेन, जर्मनी की वह जगह जो उस दर्द को बयां करने के लिए काफी है जो सोवियत युद्ध से जुड़ा है। फरवरी 2022 में जब रूस, यूक्रेन पर हमला करने की तैयारी में था और बॉर्डर पर रूस सेनाएं तबाही मचा रही थीं, उसी समय लुत्‍जेन में जर्मनी की अथॉरिटीज यहां पर सोवियत दौर के युद्ध स्‍मारक को संरक्षित करने में लगी थीं। यह स्‍मारक टाउन सेंटर में किंडरगार्टन के बाहर है और द्वितीय विश्‍व के युद्ध से जुड़ा है। इस पर एक शिलालेख लगा है जिस पर लिखा है, ‘महान रूसी लोगों की जय – विजेताओं का देश।’जर्मन संसद से कुछ ही दूरी परइस स्‍मारक को जून 2022 में स्थानीय अधिकारियों की तरफ से 10 फिट ऊंचे पिरामिड स्मारक के तौर पर एक बार फिर से चित्रित किया गया है। इस पर सोने के रंग का एक हथौड़ा और दरांती है जिस पर चमकीला लाल तारा पिरामिड के शिखर पर लगा है। यह वॉर मेमोरियल नाजीवाद के खिलाफ संघर्ष में सोवियत सैनिकों के बलिदान को याद करता है। यहां पर 4000 से ज्‍यादा छोटे और स्‍मारकों में संरक्षित करके रखा गया है। सोवियत टैंक बर्लिन में जर्मन संसद से सिर्फ आधा मील की दूरी पर खड़े हैं।यहां पर जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्‍ज ने अपना भाषण दिया। उन्‍होंने यहीं से यह घोषणा की कि आगे की दुनिया पहले जैसी नहीं होगी। यूक्रेन पर रूसी आक्रमण को उन्होंने दशकों में यूरोपीय व्यवस्था के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया। पूर्वी बर्लिन में, एक जर्मन बच्चे को पकड़े हुए एक रूसी सैनिक की 40 फुट की मूर्ति और ट्रेप्टावर पार्क के ऊपर एक विशाल तलवार की मीनार है।क्‍यों संरक्षित किए गए स्‍मारकइस तरह के स्मारक, उनमें से ज्यादातर रेड आर्मी या फिर स्थानीय सहयोगियों द्वारा कमीशन किए गए हैं, जो मॉस्को द्वारा उत्पीड़न के घिनौने प्रतीकों के रूप में दशकों से पूरे पूर्वी यूरोप में गिराए गए, हटाए गए या जिनमें तोड़फोड़ की गई। यूक्रेन युद्ध के बाद से ही इस प्रवृत्ति में तेजी आई है। तीन जर्मन राज्यों में इतिहासकारों, कार्यकर्ताओं, अधिकारियों और आम नागरिकों से जितने भी साक्षात्‍कार हुए, उन्‍होंने इन सभी स्‍मारकों के समर्थन में बात रखी। लुत्‍जेन के संग्रहालय की मुखिया 33 साल टेरेसा स्‍काइनविंड ने कहा, ‘हमें दर्द से सीखना सिखाया गया था। हम अपने स्मारकों की परवाह करते हैं, क्योंकि वे हमें पिछली पीढ़ियों की गलतियों से सीखने की अनुमति देते हैं।’