हाइलाइट्स:तुर्की में पाकिस्तान, कतर, अजरबैजान कर रहे युद्धाभ्यासकतर के राफेल, अजरबैजान के मिग-19 भी हैं शामिलपाकिस्तानी पायलट्स को मिल रहा है लड़ने का अनुभवपाकिस्तान के साथ चीन की भी निगाहें जानकारी जुटाने परअंकारातुर्की में चल रहा Anatolian Eagle 2021 युद्धाभ्‍यास भारत के लिए एक बड़ी चिंता का सबब बन गया है। इसमें कतर से राफेल लड़ाकू विमान पहुंचे हैं जिनकी खरीद भारत के लिए गेम-चेंजर मानी जा रही थी। फ्रांस से ही खरीदे गए इन विमानों के साथ पाकिस्तानी पायलट एक्सरसाइज कर रहे हैं जो भारत के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। नवभारत टाइम्स ऑनलाइन से बातचीत में भारतीय वायुसेना के रिटायर्ड विंग कमांडर प्रफुल्ल बख्शी ने बताया कि क्यों यह युद्धाभ्यास भारत के लिए चिंताजनक है।’पाकिस्तान के लिए अनुभव, चीन को भी फायदा’विंग कमांडर बख्शी का कहना है, ‘पाकिस्तान इस युद्धाभ्यास में अपने J-17 ले जाएगा और राफेल के खिलाफ लड़ने का अनुभव हासिल करेगा। पाकिस्तानी पायलट इससे राफेल की परफॉर्मेंस को भांप सकेंगे। दूसरी और, तुर्की और फ्रांस के बीच भी रिश्ते सही नहीं हैं। यह युद्धाभ्यास तुर्की, कतर पाकिस्तान के लिए तो अच्छा है ही, चीन भी इसके बारे में जानकारी जुटाना चाहता है।’राफेल और मिग-29 के साथ ‘जंग’ लड़ रहे पाकिस्‍तानी लड़ाकू विमान, भारत के लिए खतरे की घंटी!उनका कहना है कि राफेल के अलावा मिग-29 के साथ भी अभ्यास चल रहा है जो भारतीय वायुसेना का एयर सुपीरियॉरिटी फाइटर प्लेन है। पाकिस्तान उसकी परफॉर्मेंस जानना चाहता है। मिग-29 अजरबैजान लेकर आया है। रूस मिग-29 सप्लाई कर सकता है। मिग-29 का वर्जन चीन के पास भी है। इसकी मदद से राफेल के साथ अंतर भी समझ आ जाएगा। JF-17, मिग-29 और राफेल के एक साथ होने से अभ्यास के नतीजे से अजरबैजान और दूसरे देशों को भी फायदा होगा।क्यों गेम चेंजर रहा है राफेल?राफेल के आने से पहले एक्सपर्ट्स इसे गेम-चेंजर बता रहे थे। पाकिस्तान क्या, चीन के पास भी इसकी टक्कर में लड़ाकू विमान नहीं उतार सकते थे जो इसकी काइनमैटिक परफॉर्मेंस और शक्तिशाली इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम के सामने टिक सकें। राफेल को अमेरिका के स्टेल्थ F-35 और F-22 के जैसा बताया जा रहा था। यह एयर सुपीरियॉरिटी, एयर डिफेंस, एयर सपॉर्ट, इन-डेप्थ स्ट्राइक, रेकी, ऐंटी-शिप स्ट्राइक और परमाणु हमले को रोकने जैसे ऑपरेशन 1.8 Mach की स्पीड से कर सकता है।इसका इस्तेमाल अफगानिस्तान, लीबिया, माली, इराक और सीरिया में किया जा चुका है। फ्रांस, मिस्र और कतर के बाद इसे खरीदने वाला भारत चौथा देश था। यह 30 हजार घंटे तक फ्लाइट ऑपरेशन की क्षमता वाला है। इसकी तुलना में F-35 ज्यादा तेज गति पर ज्यादा दूरी तक नहीं जा सकता है। इस दौरान यह कई तरह के हथियार भी ढो सकता है। हालांकि, F-35 में ज्यादा एवियॉनिक्स और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम हैं। पाकिस्तान में मची थी खलबली दिलचस्प बात यह है कि भारत को राफेल खरीदता देख पाकिस्तान को काफी खलबली मची थी। उसने फौरन चीन से रक्षा डील तेज कर दी थी। चीन के तेज लड़ाकू विमान J-10 के 30 से ज्यादा यूनिट्स खरीदने के लिए हर जोर लगाना शुरू कर दिया था। उसकी एक टीम ने चीन जाकर 50 विमानों की डील भी की थी। इसके अलाव मिसाइलों की भी आपात खरीद की थी। वहीं, फ्रांस ने राफेल पर काम करने से पाकिस्तानी मूल के टेक्नीशियन्स को इसीलिए मना कर दिया था ताकि उसके पास जानकारी न पहुंचे। उसने कतर से भी इसके लिए मना किया था।Galwan Clash: वो हैं गलवान के वीर… चीन से झड़प के 1 साल पूरे होने पर सेना ने जारी किया जोशीला वीडियोराफेल के साथ पाकिस्तान का अभ्यास