21 तोपों के धमाके तो सब सुनते हैं, लेकिन गणतंत्र दिवस परेड में ’21 तोपों की सलामी’ का राज कुछ और ही है – 21 gun salute on republic day celebrations know interesting facts behind it

नई दिल्ली: 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस को करीब एक हफ्ता बचा है। गणतंत्र दिवस की परेड की तैयारियां कई दिनों से चल रही हैं। अगर आपने 26 जनवरी की परेड देखी है, तो आपको पता होगा कि इस परेड में 21 तोपों की सलामी दी जाती है। 21 तोपों की गूंज राष्ट्रगान के वक्त सुनाई देती है। लेकिन क्या जानते हैं कि 21 तोपों की सलामी की कहानी कुछ और ही है। अगर आपको लगता है कि परेड में गोले दागने के लिए 21 तोपों का इस्तेमाल किया जाता है, तो आप गलत हैं। 21 तोपों की सलामी का गणित कुछ और ही है। आज हम आपको गणतंत्र दिवस परेड से जुड़ी ये मजेदार जानकारी बता रहे हैं।21 नहीं केवल 8 तोपें होती हैं परेड में शामिलगणतंत्र दिवस परेड के दौरान 21 तोपों से सलामी देने की प्रथा पहले गणतंत्र दिवस से ही चली आ रही है। दरअसल, 21 तोपों की सलामी का मतलब 21 गोलों से है। परेड के दौरान महज 7 तोपों का इस्तेमाल किया जाता है। हर एक तोप 3 गोले दागती है। हालांकि परेड में 8 तोपों को लाया जाता है, ताकि किसी भी इमरजेंसी में एक्स्ट्रा तोप का इस्तेमाल किया जा सके। गणतंत्र दिवस परडे के दौरान जब राष्ट्रगान होता है, तभी इन तोपों द्वारा 21 गोले दागे जाते हैं। हर एक तोप हर 2.25 सेकेंड में एक गोला दागता है। इसके पीछे भी एक मकसद है। दरअसल, हमारा राष्ट्रगान 52 सेकेंड में खत्म होता है और 21 तोपों की सलामी भी 2.25 सेकेंड के साथ 52 सेकेंड में खत्म हो जाती है।क्या असली गोले दागे जाते हैं?कई लोगों के मन में ये सवाल जरूर आता होगा कि 21 तोपों की सलामी के दौरान जिन गोलों का इस्तेमाल किया जाता है, क्या वो असली होते हैं? आपको बता दें कि सलामी में इस्तेमाल किए जाने वाले गोले खास तरह से बनाए जाते हैं। इसे सेरोमोनियल कार्टरेज कहा जाता है। ये गोले अंदर से खाली होते हैं, जब इनको फायर किया जाता है तो केवल धुआं और आवाज आती है। इससे किसी तरह का नुकसान नहीं होता।आजाद भारत में पहली बार कब दी गई सलामी?आजाद भारत में पहली बार 21 तोपों की सलामी की परंपरा 26 जनवरी 1950 को शुरू हुई। पहली बार तभी राजपथ पर राष्ट्रगान के साथ 21 गोले दागे गए। पहले गणतंत्र दिवस पर 2281 फील्ड रेजीमेंट की सात केनन ने एक साथ तोपों से सलामी दी। रेजीमेंट के तीन-तीन जवानों ने हर एक तोप को संभाला था। राष्ट्रगान के साथ ही गोले दागे जाएं, इसके लिए एक खास घड़ी का इस्तेमाल किया गया। लेकिन रेजीमेंट के जवानों ने राष्ट्रगान के 52 सेकेंड के साथ ही 21 तोपे दाग दिए। उसके बाद से ये परंपरा आज तक चली आ रही है।अंग्रेजों के जमाने में 101 तोपों से दी जाती थी सलामीलेकिन ऐसा नहीं है कि आजादी से पहले किसी को तोपों से सलामी नहीं दी जाती थी। अंग्रेजों के जमाने में भी तोपों से सलामी देने का चलन था। उस वक्त केवल ब्रिटिश काउन के सम्मान में 101 तोपों की सलामी दी जाती थी। इस सलामी को शाही सलामी कहा जाता था। लेकिन बाद में ब्रिटिश महारानी और शाही परिवार के अन्य सदस्यों को 31 तोपों की सलामी देने की प्रथा शुरू हुई। इसके बाद राज्यों के प्रमुख यानी वायसराय और गवर्नर जनरल को भी तोपों की सलामी दी जाने लगी, ये सलामी 21 तोपों द्वारा दी जाती थी। लेकिन फिर ब्रिटिश हुकूमत ने तय किया कि अंतर्राष्ट्रीय सलामी 21 तोपों की ही होनी चाहिए। इसके बाद से सर्वोच्च सलामी के रूप में 21 गोले दागने की परंपरा शुरू हो गई।जब आयरन लेडी इंदिरा गांधी करने लगीं लोक कलाकारों के साथ डांस, जानिए 26 जनवरी परेड का वो किस्साRepublic Day 2023: 26 जनवरी की परेड देखने का शानदार मौका, घर बैठे फटाफट ऐसे बुक करें टिकटRepublic Day 2023: गणतंत्र दिवस समारोह में हिमाचल में दिखेगी सुख-आश्रय मॉडल की झलक, आसमान से बरसेंगे फूल