afzal ansari verdict, गवाह क्यों मुकर जाता है… लोकसभा में अफजाल अंसारी ने किस ओर किया था इशारा – sansad me bahas afzal ansari criminal procedure amendment act speech in lok sabha

नई दिल्ली: साल 2006 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की सरकार केंद्र में थी। जेसिकालाल हत्याकांड (Jessica Lal Case) के मामले और प्रियदर्शनी मट्टू की हत्या के मामले में गवाह जिस तरह से अपने बयानों से पलटे उसके बाद सरकार पर दंड प्रक्रिया संहिता में बदलाव के लिए दबाव बढ़ रहा था। मई 2006 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल ने लोकसभा में दंड प्रक्रिया संहिता (Code Of Criminal Procedure) संशोधन विधेयक- 2006 पेश किया। इस संशोधन विधेयक में गवाहों द्वारा बयान बदलने की स्थिति में उनके खिलाफ सख्त दंडात्मक उपायों का प्रावधान किया गया। विधेयक में प्रावधान किया गया है कि गवाह अगर गंभीर नहीं है और अपना बयान बदल रहा है, तो उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है। लोकसभा में इस विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते सपा सांसद अफजाल अंसारी (Afzal Ansari) ने कहा कि मैं कुछ सुझाव देना चाहता हूं। गवाह मुकर क्यों जाता है। अफजाल अंसारी ने यूपी के गाजीपुर सीट से 2004 में सपा से चुनाव जीता था।संसद में बहस, इस सीरीज में हम आपको बताएंगे कि लोकसभा में मई 2006 में चर्चा में हिस्सा लेते हुए तत्कालीन सपा सांसद अफजाल अंसारी ने क्या कहा था। दंड प्रक्रिया संशोधन विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए अफजाल अंसारी ने कहा कि मुझे ऐसा लग रहा है कि इस तरह के किसी संशोधन की आवश्यकता थी। लेकिन जो चर्चा हुई उसके माध्यम से यह देखने में आया है कि एक केस को ज्यादा ध्यान में रखकर इस संशोधन का प्रारूप तैयार किया गया है। अफजाल अंसारी ने कहा कि मैं इस पर कुछ सुझाव रखना चाहता हूं। गवाह क्यों मुकर जाता है। गवाह के मुकर जाने से केस क्यों छूट जाता है। यह एक गंभीर सवाल है।इससे भी अधिक गंभीर सवाल यह है कि जब गवाह बनाया जाता है और आईओ के द्वारा 161 के तहत उसका बयान रिकॉर्ड किया जाता है तो क्या आईओ ने उसे केस डायरी में दर्ज किया है। बयान उस गवाह ने दिया था या नहीं यदि सिर्फ यह मान लिया जाए कि केस डायरी में आईओ के द्वारा लिखा गया बयान ही वह बयान है जो उसने दिया था तो यह आधा सच होगा। सच्चाई यह है कि एक तरफ यह भी देखने को मिलता है कि बयान शुरू में कुछ दिया जाता है और बाद में बदल जाता है। एक सच यह भी है कि आईओ केस में मजबूती लाने के लिए चाहे गवाह की शक्ल देखी हो या न देखी हो उसकी तरफ से एक बयान अपनी केस डायरी में दर्ज कर लेता है।जब इस तरह के बयान को कटघरे में खड़े होकर देने की जरूरत होती है और जब गवाह से जिरह होती है तब वह उस पर खरा नहीं उतर पाता है। जेसिका लाल हत्याकांड में गवाह मुकर गया था। जेसिका लाल हत्याकांड शहर में हुआ जिसमें गवाह मुकर गया। चूंकि यह दिल्ली का मामला था और मीडिया ने इसे हाइलाइट किया था। पहली बार ऐसा देखने को मिल रहा है कि ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट जो कुछ प्रक्रिया चल रही है ये दोनों गढमढ हो गई। अफजाल अंसारी ने कहा कि मैं मंत्री से अनुरोध करता हूं इसमें संशोधन कि आवश्यकता है लेकिन एक मामले को देखकर ही न किया जए उससे भी आगे जाकर देखना होगा।