china has to worry as india and us agree niche technology transfer

नई दिल्ली: भारत और अमेरिका के बीच रक्षा क्षेत्र में सहयोग और समर्थन बढ़ाने पर सहमति बन गई है। दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की मीटिंग में फैसला हुआ कि रक्षा औद्योगिक सहयोग (Defense Industrial Cooperation) की रूपरेखा तैयार की जाएगी। अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन (Lloyd Austin) ने भारत के अपने समकक्ष राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) के साथ लंबी चर्चा के बाद सोमवार को इसकी पुष्टी की। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका ने रक्षा औद्योगिक सहयोग के लिए एक महत्वाकांक्षी रूपरेखा तैयार करने का फैसला किया है। ऑस्टिन ने एक संवाददाता सम्मेलन में भारत-अमेरिका वैश्विक सामरिक साझेदारी को मुक्त एवं खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र (Open Indo-Pacific Region) की आधारशिला भी बताया।एनएसए डोभाल से हुई अमेरिकी रक्षा मंत्री की बातऑस्टिन रविवार को दो दिवसीय यात्रा पर दिल्ली आए। खास बात यह है कि अमेरिकी रक्षा मंत्री की यह यात्रा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका की राजकीय यात्रा से दो सप्ताह पहले हुई है। ऑस्टिन ने यहां राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल (NSA Ajit Doval) से मिले। उन्होंने बताया कि उनकी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और एनएसए अजित डोभाल से सार्थक चर्चा की। उन्होंने कहा कि हमारी साझेदारी तेजी से बढ़ रही है और हम रक्षा औद्योगिक सहयोग का विस्तार करने पर विचार कर रहे हैं।मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत को मिलेगी उड़ानध्यान रहे कि समुद्री, सैन्य और हवाई क्षेत्रों में क्षमता विस्तार के लिए अमेरिका और भारत अत्याधुनिक तकनीक के आदान-प्रदान पर सहमत हो गए हैं। खासकर अमेरिका ने भारत को आधुनिकतम तकनीक देने पर सहमति जताई है। उसने ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपनों को उड़ाने देने के लिए भारत के रक्षा उद्योग को हर जरूरी सहयोग का वादा किया है।भारत और चीन की अमेरिका पर कड़ी नजरइसके साथ ही, मिडल ईस्ट, साउथ एशिया, साउथ ईस्ट एशिया और इंडो पैसिफिक रीजन के देशों पर कोई अपनी मर्जी नहीं थोप पाए, यह सुनिश्चित करने पर भी भारत-अमेरिका के बीच गंभीर बातचीत हुई। निश्चित तौर पर बातचीत के केंद्र बिंदु में चीन के नापाक इरादे ही रहे। डोभाल और ऑस्टिन की बातचीत में भारत और अमेरिका के बीच आपूर्ति के विश्वसनीय स्रोतों, लचीले सप्लाई चेन्स और दोनों देशों के उद्योगों के बीच आपसी तालमेल पर भी फोकस रहा।भारत टॉप टेक्नॉलजी देगा अमेरिकाइससे पहले, ऑस्टिन की यात्रा की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने बताया था कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी रक्षा मंत्री ऑस्टिन लड़ाकू विमानों के इंजन के लिए भारत के साथ टेक्नॉलजी साझा करने के जनरल इलेक्ट्रिक के प्रस्ताव और अमेरिकी रक्षा उपकरण कंपनी जनरल एटॉमिक्स एयरोनॉटिकल सिस्टम्स इंक से तीन अरब अमेरिकी डॉलर के 30 एमक्यू-9बी सशस्त्र ड्रोन खरीदने की भारत की योजना पर चर्चा कर सकते हैं।कैसे हो टेक्नॉलजी ट्रांसफर, बनेगी रूपरेखाभारत अपने लड़ाकू विमानों के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण रूपरेखा (Technology Transfer Framework) के तहत देश में लड़ाकू विमानों के इंजन की मैन्युफैक्चरिंग की संभावना तलाश रहा है। अमेरिका ने जून, 2016 में भारत को एक बड़े रक्षा साझेदार का दर्जा दिया था, जिससे अहम रक्षा उपकरणों एवं प्रौद्योगिकी को साझा करने का मार्ग प्रशस्त हुआ। अमेरिकी रक्षा मंत्री सिंगापुर से यहां पहुंचे हैं। ऑस्टिन की यह भारत की दूसरी यात्रा है। इससे पहले, उन्होंने मार्च 2021 में भारत की यात्रा की थी।ऑस्टिन का महत्वपूर्ण बयानअमेरिकी रक्षा मंत्री सिंगापुर से यहां पहुंचे हैं। ऑस्टिन की यह भारत की दूसरी यात्रा है। इससे पहले, उन्होंने मार्च 2021 में भारत की यात्रा की थी। सिंगापुर में शुक्रवार को ‘शांगरी-ला वार्ता (Shangri La Talks)’ में अपने संबोधन में ऑस्टिन ने कहा था, ‘भारत के साथ अहम एवं उभरती टेक्नॉलजी पर हमारी पहल के चलते हम अहम रक्षा उपकरणों को साथ मिलकर विकसित करने का मार्ग ढूंढ सकते हैं।’पिछले साल मई में राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमेरिका-भारत अहम एवं उभरती प्रौद्योगिकी पहल की घोषणा की थी। इसका मकसददोनों देशों के बीच रणनीतिक प्रौद्योगिकी (Strategic Technology) साझेदारी तथा रक्षा औद्योगिक सहयोग (Defense Industrial Cooperation) बढ़ाना है।राजनाथ सिंह ने बताया- ऑस्टिन के साथ बातचीत में क्या हुआबहरहाल, अपने अमेरिकी समकक्ष से बातचीत के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मुक्त, खुले और नियम आधारित हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए भारत-अमेरिका साझेदारी महत्वपूर्ण है। सिंह ने कहा कि भारत क्षमता निर्माण तथा रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में अमेरिका के साथ मिलकर काम करने को उत्सुक है। सिंह ने ट्वीट किया, ‘मेरे दोस्त रक्षा मंत्री ऑस्टिन से नई दिल्ली में मुलाकात करके खुश हूं। हमारी बातचीत सामरिक हितों के अभिसरण और सुरक्षा सहयोग बढ़ाने समेत कई क्षेत्रों में रक्षा सहयोग मजबूत करने पर केंद्रित रही।’रक्षा मंत्री सिंह ने कहा, ‘मुक्त, खुले और नियमों पर आधारित हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए भारत-अमेरिका साझेदारी महत्वपूर्ण है। हम क्षमता निर्माण के क्षेत्रों तथा हमारी रणनीतिक साझेदारी और मजबूत करने के लिए अमेरिका के साथ मिलकर काम करने को लेकर उत्सुक हैं।’