नई दिल्ली। Online gaming can help parents bond with children : कोरोना महामारी के चलते दुनिया भर में लॉकडाउन्स का दौर जारी है, जिसके कारण बच्चे और परिवार घरों के अंदर रहने के लिए मजबूर हैं। इसका असर छोटे बच्चों और उनके अभिभावकों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। दुनिया भर में 2.2 बिलियन बच्चे हैं, जो कुल आबादी का तकरीबन 28 फीसदी हिस्सा हैं। कई स्टडी से साफ हो गया है कि लंबे समय तक चार-दीवारी के अंदर रहने का असर लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। पिछले साल बहुत से लोग अपनी मानसिक स्वास्थ्य की शिकायतें लेकर डॉक्टरों के पास पहुंचे। कोविड-19 के चलते लगाए गए प्रतिबंधों के कारण दुनिया भर में अकादमिक संस्थानों की कक्षाएं बंद कर दी गईं। इस वहज से लाखों बच्चे भौतिक रूप से अपने टीचर्स और दोस्तों से मिल नहीं पा रहे हैं। महामारी को देखते हुए इंटरैक्टिव मनोरंजन की आवश्यकता बढ़ी है। हाल ही में यूनिसेफ के जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा महामारी के चलते दुनिया भर के बच्चों का विकास कई साल पीछे खिसक गया है। ये बच्चे अपने जीवन के रचनात्मक वर्षों में हैं और इस समय उन्हें पाठ्येत्तर गतिविधियों और मनोरंजन के ज्यादा अवसर चाहिए। ऐसे अवसरों की कमी से उनका भावनात्मक विकास रूक सकता है, जिसके चलते माता-पिता पर भी दबाव बन रहा है। आज के दौर को देखते हुए आपको यह जानकार हैरानी नहीं होगी कि कुछ बच्चों का स्क्रीन टाइम 500 फीसदी तक बढ़ गया है, क्योंकि वे ऑनलाइन पढ़ाई के साथ-साथ मनोरंजन के विकल्प भी स्क्रीन पर ही खोज रहे हैं।पूरी दुनिया आज फादर्स डे का जश्न मना रही है, इस अवसर पर हम महामारी के दौरान बच्चों के जीवन में पिता की भूमिका पर रोशनी डालना चाहते हैं, जो अपने बच्चों को रोचक मनोरंजन देने के लिए निरंतर नए अवसरों की खोज में रहते हैं। मां अपने बच्चों के लिए बहुत से काम करती है, वहीं बच्चे अपनी पाठ्येत्तर गतिविधियों, जैसे खेल, घूमना-फिरना और गेमिंग के लिए पिता से उम्मीद रखते हैं। इस तरह की गतिविधियां पिता और बच्चों के बीच एक अच्छी बॉन्डिंग बनाती हैं, साथ ही उनके भावनात्मक एवं मानसिक विकास में भी महत्वपूर्ण होती हैं।बच्चों के दोस्त बनकर रहें पिता (इमेज- Independent.co.uk)आजकल ऑनलाइन गेमिंग, आउटडोर गतिविधियों और खेलों का रोचक विकल्प बन गई हैं। हम यह बिल्कुल नहीं कह रहे हैं कि बच्चों को घंटो अकेले रहकर वीडियो गेम्स खेलने चाहिए। इसकी बजाय हम ऑनलाइन मल्टीप्लेयर गेम्स की बात कर रहे हैं, जो बच्चों को इंटरैक्शन के साथ-साथ पारदर्शी प्रतियोगिता के अवसर भी प्रदान करते हैं। हम सोशल गेमिंग के सुनहरे दौर में जी रहे हैं, जहां माता-पिता, खासतौर पर युवा पिता अपने बच्चों के लिए इसी कोशिश में जुटे हैं। ऑनलाइन गेमिंग व्यस्कों में भी तनाव कम करने में कारगर पाई गई है। पिता अपने बच्चों के लिए कौशल आधारित गेम चुनकर उन्हें व्यस्त एवं सक्रिय बनाए रख सकते हैं। पश्चिमी देशों में आमतौर पर ऐसा देखा जाता है, जहां माता-पिता अक्सर अपने बच्चों के साथ ऑनलाइन गेम्स खेलते हैं। गेमिंग के बीच वे अपने बच्चों के स्कूल, उनके दोस्तों और उनके जीवन से जुड़ी सामान्य बातचीत करते रहते हैं। पश्चिमी देशों के इसी रूझान के साथ लोकप्रिय ‘डैड गेमिंग लीग’ का विकास हुआ, जो महामारी के दौरान तेजी से विकसित हुई है।ऑनलाइन गेमिंग के फायदेसक्रियता और इंटरैक्टिव मनोरंजन अब सिर्फ विकल्प नहीं रहे, बल्कि मौजूदा परिस्थितियों में एक व्यक्ति के भावनात्मक और मानसिक सवास्थ्य को सामान्य बनाए रखने के लिए अनिवार्य हो गए हैं। अभिभावकों के लिए जरूरी है कि वे अपने बच्चों के जीवन में पूरी तरह सक्रिय रहें, इस मुश्किल समय में उनपर पूरा ध्यान दें, उन्हें हर तरह से सपोर्ट करें। चूंकि आज के दौर में आउटडोर गतिविधियां संभव या व्यवहारिक नहीं हैं, ऐसे में ऑनलाइन गेमिंग बच्चों को सक्रिय बनाए रखने के लिए अच्छा विकल्प हो सकता है। इस तरह के गेम्स बच्चों और पिता दोनों को एक दूसरे के जोड़ने के लिए महत्वपूर्ण प्लैटफॉर्म की भूमिका निभाते हैं, साथ ही एक इंटरैक्टिव सेटअप में प्रतिस्पर्धा की भावना को भी बढ़ावा देते हैं। अगर बच्चों की शिक्षा को भी गेमीफिकेशन से जोड़ दिया जाए तो ये गेम्स बच्चों की लर्निंग के तरीकों में भी बड़े सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।बच्चों के साथ ऑनलाइन गेम खेलकर उनका दिल बहला सकते हैंभारत में ऑनलाइन गेमिंग का विकास2020 में फिक्की और ईवाय द्वारा देश के मीडिया एवं एंटरटेनमेंट सेक्टर पर जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक ऑनलाइन गेमिंग ने 2019-2020 में 40 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की, जिससे रु 65 बिलियन (2019) का राजस्व हुआ। केपीएमजी रिपोर्ट के अनुसार, भारत में ऑनलाइन गेमर्स की संख्या जुलाई 2020 से जनवरी 2021 के बीच 20 फीसदी बढ़कर 500 मिलियन के आंकड़े को पार कर गई है, जिसमें से 90 फीसदी गेमर्स स्मार्टफोन या टैबलेट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। बीएआरसी-नीलसन रिपोर्ट के अनुसार भारत में अब गेमर्स ऑनलाइन गेम्स पर 218 मिनट बिताते हैं- यह आंकड़ा 2020 मे हुए लॉकडाउन की तुलना में 151 मिनट बढ़ चुका है। आपको यह जानकर बिल्कुल हैरानी नहीं होगी कि निवेशकों और स्टार्ट-अप्स की रुचि भी गेमिंग में बढ़ती चली जा रही है। साल 2020 के दौरान इस क्षेत्र में 173 मिलियन डॉलर का निवेश किया गया, देश में वर्तमान में 400 मिलियन से अधिक गेमिंग स्टार्ट-अप्स हैं। यह सेक्टर तेजी से विकसित हो रहा है और ऑनलाइन गेमिंग में विकास की अपार संभावनाएं हैं। मौजूदा महामारी के चलते बच्चों के मानिसक स्वास्थ्य और अकादमिक संभावनाओं पर भी प्रभाव पड़ रहा है, ऐसे में ऑनलाइन गेमिंग समाज एवं अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने में कारगर भूमिका निभा सकती है। इसके लिए नीति निर्माताओं को खुली सोच के साथ अनुकूल नीतियां बनाने की जरूरत है।(लेखक डॉ. सुबी चतुर्वेदी, पीएचडी, आईआईआईडी, एक प्रख्यात पब्लिक पॉलिसी पेशेवर हैं और युनाइटेड नेशंस, इंटरनेट गवर्नेंस फोरम, मल्टी-स्टेकहोल्डर अडवाइजरी ग्रुप के पूर्व सदस्य हैं।)