हाइलाइट्स:एक छोटा सिम कार्ड होता है बड़े काम काकहीं भी हो जाती है बातइतने प्रकार के होते हैं सिमवेदांत कुमार, नई दिल्ली। क्या आपको पता है जो सिम आप अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल करते हैं वो कैसे काम करता है और वो कितने तरह के होते हैं? क्या आपको यह पता है कि जिस सिम का इस्तेमाल लोगों से बातें करने या फिर इन्टरनेट चलाने में किया जाता है उसके पीछे कौन-सी टेक्नोलॉजी शामिल है? अगर नहीं, तो आज हम आपको बताएंगे कि दुनिया में कितने तरह के सिम कार्ड होते हैं और वो किस टेक्नोलॉजी पर काम करते हैं। सिमकार्ड इतना महत्वपूर्ण इसलिए होता हैं क्योंकि वो आपके फोन नंबर और बाकी काम की जानकारियों को अपने पास जमा कर लेता है। तो आइए विस्तार से जानते हैं इन छोटे से सिमकार्ड के बार में।फटाफट करना है ट्रेन टिकट बुक तो अपनाएं यह तरीका, 12% तक डिस्काउंट के साथ मिनटों में ऐसे करें बुकिंगकैसे करता है काम?सबसे पहले यह जानते हैं कि सिम कार्ड कैसे काम करता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि जब हम किसी फोन में सिम लगाते हैं तो उसके कुछ देर बाद फोन में सिग्नल आते हैं। इसे ही नेटवर्क कहते हैं। सिम लगाने के कुछ देर बाद नेटवर्क दिखाई देते हैं। जब हम फोन में सिम लगाते हैं तो वो सिम उस कंपनी के नजदीकी टावर से कनेक्ट करती है। यह GSM नेटवर्क मोबाइल के ट्रांसलेटर से सिग्नल भेजकर कनेक्ट होता है। जब यह कनेक्ट हो जाता है तो इसकी मदद से यूजर कॉल कर पाते हैं। फिर हम जब भी किसी सिम से कॉल लगाते हैं तो वे अपनी कंपनी द्वारा बनाए गए पास के किसी भी GSM नेटवर्क से फोन की पहचान कर लेते हैं और कॉल लग जाती है। सिमकार्ड के अंदर सीरियल नंबर और आईडेंटिफाइड कोड्स पहले से ही मौजूद होते हैं। सिम कार्ड के अंदर हमारी सभी कॉन्टैक्ट लिस्ट और सभी टेक्स्ट मैसेज का डाटा मौजूद होता है।कभी नहीं खोएंगे DL, आधार कार्ड जैसे डॉक्यूमेंट्स अगर इस तरह रखेंगे सुरक्षित, आज ही आजमाएं यह तरीकाकितनी तरह के होते हैं सिम कार्ड: सिम कार्ड 5 तरह के होते हैं।फुल सिम: फुल सिम सबसे पहला सिम कार्ड था जिसका अब कोई भी व्यक्ति इस्तेमाल नहीं करता हैं। इस सिम को 1990 में बनाया गया था। इस सिम का साइज 86X54 mm था। इसका ज्यादा हिस्सा प्लास्टिक से बना होता है।मिनी सिम: मिनी सिम का इस्तेमाल फुल सिम के बाद से होना लगा। इस सिम को 1996 में बनाया गया था। इस सिम का साइज 25X15mm था। हालांकि, इस सिम का इस्तेमाल अब न के बराबर हो गया है।माइक्रो सिम: माइक्रो सिम का इस्तेमाल मिनी सिम के बाद से होने लगा। इस सिम को 2003 में बनाया गया था। इस सिम का साइज मिनी सिम से भी कम था जो 15X12mm था। इस सिम का इस्तेमाल बहुत वर्षों तक हुआ था।नहीं जानते होंगे WhatsApp के इन कूल और मजेदार फीचर्स के बारे में, इनके साथ चैटिंग में आ जाएगा मजानेनो सिम: इस सिम को 2012 में बनाया गया था। इस सिम का साइज माइक्रो सिमकार्ड से भी छोटा है जो कि 12.3×8.8mm है। इस सिम का इस्तेमाल भारत में सबसे ज्यादा तब बढ़ा जब भारत में 4G नेटवर्क लॉन्च हुआ था। हालांकि, इसी सिम का इस्तेमाल हम अभी भी कर रहे हैं। लगभग सभी एंड्राइड और iOS में नैनो सिम ही लगते हैं।ई-सिम: इस सिम को 2016 में लॉन्च किया गया था। हालांकि, सिम का कोई साइज नहीं हैं क्योंकि यह इलेक्ट्रॉनिक सिम है। सिम का इतना इस्तेमाल फिलहाल नहीं किया जाता है।