नई दिल्ली: आंखों में खुशी के आंसू छलक रहे थे, सारे बंधन टूट चुके थे, कौन खिलाड़ी है और कौन दर्शक एक पल को पता लगा पाना मुश्किल हो गया था। यह दृश्य है 25 जून 1983 का था, जब लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर भारत ने वनडे विश्व कप के खिताब अपने नाम किया था। कुछ ही दिन बाद इस घटना को 40 साल पूरे हो जाएंगे। भारतीय क्रिकेट के इतिहास में इससे पहले ऐसा गौरवान्वित पल शायद ही पहले कभी आया था। कपिल देव की अगुवाई में टीम इंडिया विश्व चैंपियन तो बन गई थी लेकिन कप्तान के दिल में एक टीस बची हुई थी।वह टीस थी टेस्ट मैचों में इंग्लैंड को क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स में हराना। विश्व चैंपियन बनने के तीन साल बाद ही वह पल भी आ गया। 10 जून 1986 को लॉर्ड्स के मैदान पर भारतीय टीम इंग्लैंड को पहली बार टेस्ट मैच में धूल चटा पाई थी। टीम इंडिया ने अपने टेस्ट सफर की शुरुआत 1932 में लॉर्ड्स के मैदान से ही की थी, लेकिन कभी भी उसे यहां जीत मिली थी। हालांकि टीम इंडिया को अपने 11वें प्रयास में सफलता मिल ही गई। इस टेस्ट मैच में टीम इंडिया ने इंग्लैंड को 5 विकेट से हराया था।कहा जाता है कि कपिल देव की कप्तानी में विश्व कप जीतने के बाद अगर कोई दूसरी सबसे बड़ी उपलब्धि थी तो वह लॉर्ड्स में इंग्लैंड को टेस्ट मैच में हराना था। हालांकि इसके बाद भी टीम इंडिया को लंबा इंतजार करना पड़ा।कैसा था 1986 के लॉर्ड्स टेस्ट का रोमांच?इंग्लैंड के खिलाफ इस मुकाबले में कप्तान कपिल देव ने टॉस जीतने के बाद पहले गेंदबाजी का फैसला किया था। बल्लेबाजी में इंग्लैंड के लिए ग्राहम गूच ने 114 रनों की पारी खेली जिसके बदौलत मेजबान 294 रन का स्कोर खड़ा कर पाई। गेंदबाजी में भारत की ओर से चेतन शर्मा ने पांच और रोजर बिन्नी ने तीन विकेट लिए। अब बारी थी भारतीय टीम की बल्लेबाजी की। इंग्लैंड के पहली पारी के जवाब में टीम इंडिया ने 347 रन बनाकर 53 रनों की महत्वपूर्ण बढ़त हासिल की।टीम इंडिया के लिए पहली पारी में दिलीप वेंगसरकर ने नाबाद 126 रन बनाए थे जबकि मोहिंदर अमरनाथ 69 रनों की पारी खेली थी। लॉर्ड्स के मैदान पर वेंगसरकर का यह लगातार तीसरा शतक भी था। इससे पहले वह 1979 (103) और 1982 (157) में भी शतक लगा चुके थे।इंग्लैंड की दूसरी पारी 180 रनों पर सिमटीभारतीय टीम को मैच कैसे जीतना है यह अच्छी तरह से पता था। इसके लिए गेंदबाजों को अपना कमाल दिखाना था और ऐसा ही हुआ। दूसरी पारी में इंग्लैंड की टीम 180 रनों पर सिमट गई। मैच में अब टीम इंडिया को जीतने के लिए 134 रन बनाने थे। हालांकि इंग्लैंड की गेंदबाजी आक्रमण के सामने चौथी पारी में यह बिल्कुल भी आसान नहीं था। भारतीय टीम एक समय 78 रन पर ही अपने 4 विकेट गंवा दिए। टीम का 5वां विकेट 110 पर गिर गया था।ऐसे में अब कपिल देव ने जीत की जिम्मेदारी अपने कंधे पर उठा ली। उन्होंने क्रीज पर आते ही ताबड़तोड़ बल्लेबाजी शुरू कर दी। कपिल देव ने सिर्फ 10 गेंद में 23 रन ठोक डाले और सिक्स लगाकर टीम इंडिया को क्रिकेट के मक्का लॉर्ड्स में ऐतिहासिक जीत दिलाई।लीड्स में मिली थी अजेय बढ़तलॉर्ड्स टेस्ट के बाद अब बारी थी लीड्स की। कपिल देव की कप्तानी में टीम इंडिया लगातार दूसरे टेस्ट में इंग्लैंड को हराने में सफल रही। लीड्स टेस्ट में भारत ने इंग्लैंड को 279 रन से पटखनी थी। इस तरह भारत को तीन मैचों की सीरीज में अजेय बढ़त मिल चुकी थी। वहीं सीरीज का तीसरा मैच बर्मिंघम में खेला गया था जो की ड्रॉ रहा था। इंग्लैंड धरती पर भारतीय टीम की यह दूसरी टेस्ट सीरीज में जीत थी। इससे पहले अजीत वाडेकर की कप्तानी ने भारत ने 1971 में इंग्लैंड को 1-0 से हराया था।Ashes 2023: क्रिकेट की सबसे खूबसूरत तस्वीर, प्रेंस कॉन्फेंस में जिगर के टुकड़े को लेकर पहुंचे उस्मान ख्वाजाSourav Ganguly: बिजनस में भी सौरव गांगुली की दादागिरी, राजा जैसा आलीशान महल और अरबों की नेटवर्थजो भारत और पाकिस्तान नहीं कर सका, बांग्लादेश ने वो कारनामा कर दिखाया, लिखा नया अध्याय