नई दिल्ली: भारतीय टीम ने एशिया कप के स्क्वॉड की घोषणा कर दी है। उधर पाकिस्तान श्रीलंका में जाकर अफगानिस्तान के खिलाफ वनडे सीरीज खेल रहा है। दुनिया की दूसरी टीमें भी चंद माह बाद शुरू होने वाले वर्ल्ड कप की तैयारियों में जुटी हुईं हैं। मगर इन सारी हलचलों के बीच 23 अगस्त यानी बुधवार की सुबह एक ऐसे खिलाड़ी की चर्चा रही, जिसे क्रिकेट छोड़े ही 18 साल हो गए। यहां बात हो रही है जिम्बाब्वे के पूर्व कप्तान हीथ स्ट्रीक की। सुबह-सुबह उन्हीं के टीममेट रहे हेनरी ओलंगा ने ट्वीट किया कि कैंसर से जूझ रहे 49 साल के हीथ स्ट्रीक की मौत हो गई। क्रिकेट जगत में शोक की लहर दौड़ गई। अपने दौर के दिग्गज ऑलराउंडर को श्रद्धांजलि दी जाने लगी। मगर इसके कुछ ही देर बाद हेनरी ओलंगा ने अपनी ही खबर का खंडन करते हुए सफाई दी कि हीथ स्ट्रीक जिंदा है। अब इस ड्रामे के बाद हीथ स्ट्रीक की हेल्थ, उनके करियर और परिवार पर खूब बातें हो चुकी हैं, लेकिन चलिए आपको हेनरी ओलंगा से मिलवाते हैं। बताते हैं इस क्रांतिकारी की कहानी, जो क्रिकेट छोड़कर अब संगीतकार बन चुका है।जिम्बाब्वे के पहले ‘ब्लैक’ क्रिकेटरआज की जनरेशन शायद ही हेनरी ओलंगा को जानती होगी। आज जिम्बाब्वे क्रिकेट टीम के अधिकतर खिलाड़ी अश्वेत ही होते हैं, लेकिन हेनरी ओलंगा उस दौर में टीम में आए जब देश में रंगभेद अपने चरम पर था। क्रिकेट टीम में भी काले-गोरों की लड़ाई थी। तूफानी गेंदबाज रहे हेनरी ओलंगा जिम्बाब्वे के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने वाले पहले अश्वेत खिलाड़ी थे। 90 के आखिरी दशक में डेब्यू करने वाले हेनरी ओलंगा जिम्बाब्वे क्रिकेट की स्वर्ण पीढ़ी का हिस्सा थे।पोस्टर बॉय बनने के करीब18 साल के ओलंगा 1995 में पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण करने के बाद अपने देश का प्रतिनिधित्व करने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बने। 1998 में शारजाह में सचिन तेंदुलकर को आउट करने से लेकर भारत के खिलाफ 1999 के विश्व कप मुकाबले में परेशान करने तक वह जिम्बाब्वे क्रिकेट के पोस्टर बॉय बनने की राह पर थे, लेकिन उनका करियर एक ऐसी घटना से खत्म हो गया, जो उनकी विरासत को किसी भी दूसरी चीज से ज्यादा परिभाषित करेगी।एक फैसला और करियर तबाहसाल 2003 में हेनरी ओलंगा ने कप्तान एंडी फ्लावर के साथ जिम्बाब्वे में “लोकतंत्र की मृत्यु” पर शोक व्यक्त करने के लिए विश्व कप में नामीबिया के खिलाफ अपने शुरुआती मैच में ब्लैक-आर्मबैंड विरोध प्रदर्शन किया। रॉबर्ट मुगाबे के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा जिम्बाब्वे में गोरे किसानों की जमीनों पर जबरन कब्जा किए जाने और मानवाधिकारों के हनन के मामलों में वृद्धि के मद्देनजर विरोध हुआ। ओलंगा और फ्लावर दोनों इसके बाद कभी दोबारा देश के लिए नहीं खेल पाए। ओलंगा को समय से पहले इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास लेना पड़ा।मौत की सजा के बाद भागेशुरू में देशद्रोह (जिम्बाब्वे में मौत की सजा) के आरोप में ओलंगा को कई गिरफ्तारी वारंट और मौत की धमकियों का सामना करना पड़ा। वह 2003 में देश से भाग गए और 12 साल तक ब्रिटेन में निर्वासन में रहा। ओलंगा 2015 में ऑस्ट्रेलिया चले गए, जहां अब अपनी पत्नी तारा और दो बेटियों के साथ एडिलेड में रहते हैं। 2019 में एंथनी वार्लो की दिस इज द मोमेंट की अपनी सुंदर प्रस्तुति के साथ एक गायन प्रतियोगिता, द वॉयस ऑस्ट्रेलिया में दर्शकों और जजों से तारीफ लेने के बाद ओलंगा आज एक सफल ओपेरा गायक हैं।Heath Streak Statement: मौत की खबर पर NBT ने किया फोन, हीथ स्ट्रीक बोले- जिंदा हूं, ट्रीटमेंट अच्छा चल रहाहेनरी ओलंगा के एक ट्वीट से हंगामा, हीथ स्ट्रीक बोले- जिंदा हूं, मौत सिर्फ अफवाह है